
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के अध्यक्ष न्यायाधीश अब्दुलकावी यूसुफ ने यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा को बताया कि भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव (Kulbhushan Jadhav) के मामले में पाकिस्तान ने वियना संधि के तहत अपने दायित्वों का उल्लंघन किया। महासभा में बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय की रिपोर्ट पेश करते हुए यूसुफ ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख न्यायिक अंग ने पाया कि ‘‘पाकिस्तान ने वियना संधि के अनुच्छेद 36 के तहत अपने दायित्वों का उल्लंघन किया था और इस मामले में उचित उपाय किए जाने बाकी थे।’
इस मामले में भारत ने कहा कि जाधव का ईरान से अपहरण किया गया था, जहां वह नौसेना से सेवानिवृत्त होने के बाद कारोबार कर रहे थे। भारत के लिए एक बड़ी जीत के रूप में आईसीजे ने फैसला सुनाया था कि पाकिस्तान को जाधव को दी गई मौत की सजा की समीक्षा करनी चाहिए, जो भारतीय नौसेना के एक सेवानिवृत्त अधिकारी थे और जिन्हें पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने ‘‘जासूसी और आतंकवाद’ के आरोपों में मौत की सजा सुनाई थी। भारत की दलील थी कि उसके नागरिक को दूतावास तक पहुंच नहीं मुहैया कराई गई, जो 1963 की वियना संधि का उल्लंघन है।
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यूसुफ की अगुवाई वाली पीठ ने ‘‘कुलभूषण सुधीर जाधव (Kulbhushan Jadhav) की सजा की प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार का आदेश दिया था।’ यूसुफ ने महासभा में अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए जाधव मामले में अदालत के फैसले के कई पहलुओं पर विस्तार से बताया। यूसुफ ने कहा कि उनके आदेश के बाद न्यायालय को पाकिस्तान से एक अगस्त 2019 की तारीख वाला एक ज्ञापन मिला, जिसमें उसने 17 जुलाई के आदेश की पूरी तरह लागू करने की प्रतिबद्धता जताई।
यूसुफ ने कहा, ‘‘खासतौर से पाकिस्तान ने यह कहा कि जाधव (Kulbhushan Jadhav) को वियना संधि के तहत उनके अधिकारों के बारे में तुरंत बताया गया और इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के उच्चायुक्त को उनसे मिलने के लिए दो अगस्त 2019 को आमंत्रित किया गया।’’ हालांकि दो अगस्त 2019 को होने वाली यह भेंट भारत और पाकिस्तान के बीच मुलाकात की शतरे को लेकर मतभेद के चलते नहीं हो सकी। जाधव को आखिरकार दो सितंबर को दूतावास तक पहुंच मिली।
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