ISRO के वैज्ञानिक तपन मिश्रा को जहर देकर मारने की हुई कोशिश! फेसबुक पोस्ट में किया खुलासा

ISRO के शीर्ष वैज्ञानिक और अहमदाबाद स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के पूर्व निदेशक तपन मिश्रा (ISRO Scientist Tapan Mishra) ने 5 जनवरी को दावा किया कि उन्हें जहर देकर मारने की साजिश की गई थी।

ISRO Scientist Tapan Mishra

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तपन मिश्रा (ISRO Scientist Tapan Mishra) ने अपने दावे के सबूत के तौर पर जांच रिपोर्ट, एम्स का पर्चा, अपने हाथ-पैर के कुछ फोटोज और फोरेंसिक रिपोर्ट भी फेसबुक पर पोस्ट किए हैं। उन्होंने सरकार से इस मामले की जांच की अपील की है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के एक प्रमुख वैज्ञानिक ने सनसनीखेज खुलासा किया है। ISRO के शीर्ष वैज्ञानिक और अहमदाबाद स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के पूर्व निदेशक तपन मिश्रा (ISRO Scientist Tapan Mishra) ने 5 जनवरी को दावा किया कि उन्हें जहर देकर मारने की साजिश की गई थी।

वैज्ञानिक तपन मिश्रा (ISRO Scientist Tapan Mishra) ने आरोप लगाया कि उन्हें 23 मई, 2017 को बेंगलुरु में इसरो मुख्यालय में पदोन्नति साक्षात्कार के दौरान घातक आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड जहर देकर मारने की कोशिश की गई थी। हालांकि उन्होंने ये भी कहा है कि उन्हें इस बारे में कोई आइडिया नहीं है कि उन्हें ये जहर किसने और क्यों दिया था?

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5 जनवरी को सोशल मीडिया पोस्ट में वैज्ञानिक मिश्रा ने खुलासा किया, “मुझे दोपहर के भोजन के बाद स्नैक्स में संभवत: डोसे की चटनी के साथ मिलाकर जहर दिया गया था।” इतना ही नहीं, उन्होंने दावा किया कि उन्हें सांप से कटवाकर भी मारने की कोशिश की गई थी। बता दें कि मिश्रा फिलहाल इसरो में वरिष्ठ सलाहकार के तौर पर काम कर रहे हैं और इस महीने के अंत में सेवानिवृत होने वाले हैं।

उन्होंने फेसबुक पर ‘लॉन्ग केप्ट सीक्रेट’ नामक से एक पोस्ट में यह दावा किया कि जुलाई, 2017 में गृह मामलों के सुरक्षाकर्मियों ने उनसे मुलाकात कर आर्सेनिक जहर दिए जाने के प्रति उन्हें सावधान किया था। मिश्रा ने बताया कि उनके द्वारा डॉक्टरों को दी गई जानकारी के चलते ही उनका सटीक उपचार हुआ और वह बच सके।

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Posted by Tapan Misra on Tuesday, January 5, 2021

 

उन्होंने बताया कि घर पर जो आर्सेनिक देते हैं, वो ऑर्गेनिक होता है। जो जहर उन्हें दिया गया था वो एक इनऑर्गेनिक ऑर्सेनिक था। इसकी एक ग्राम मात्रा किसी इंसान को मारने के लिए काफी होती है। तपन मिश्रा ने कहा- इसके बाद मुझे लगातार दो साल इलाज कराना पड़ा इसीलिए किसी से इस बारे में बात नहीं की। मैं भाग्यशाली हूं क्योंकि इस जहर के लेने के बाद कोई नहीं बचता। मैं जनवरी में रिटायर हो रहा हूं और चाहता हूं कि लोगों को इस बारे में पता चले ताकि अगर मैं मर जाऊं तो सबको पता हो कि मेरे साथ क्या-क्या हुआ था।

तपन मिश्रा (ISRO Scientist Tapan Mishra) ने फेसबुक पोस्ट पर लिखा है कि 23 मई 2017 को उन्हें जानलेवा आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड (Arsenic Trioxide) दिया गया था। इसके बाद से वे पिछले दो साल से लगातार बुरी हालत में हैं। इंटरव्यू के बाद वो बड़ी मुश्किल से बेंगलुरु से अहमदाबाद वापस आए थे। अहमदाबाद लौटने के बाद उनको एनल ब्लीडिंग हो रही थी। उनको अहमदाबाद के अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

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उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही थी। त्वचा निकल रही थी। हाथों और पैर की उंगलियों से नाखून उखड़ने लगे थे। न्यूरोलॉजिकल समस्याएं जैसे हापोक्सिया, हड्डियों में दर्द, सेंसेशन, एक बार हल्का दिल का दौरा, आर्सेनिक डिपोजिशन और शरीर के बाहरी और अंदरूनी अंगों पर फंगल इंफेक्शन हो रहा था।

तपन मिश्रा (ISRO Scientist Tapan Mishra) ने अपना इलाज जायडस कैडिला अहमदाबाद, टाटा मेमोरियल अस्पताल मुबंई और एम्स दिल्ली में करवाया। इस इलाज में उन्हें करीब दो साल का समय लग गए। तपन मिश्रा ने अपने दावे के सबूत के तौर पर जांच रिपोर्ट, एम्स का पर्चा और अपने हाथ-पैर के कुछ फोटो और फोरेंसिक रिपोर्ट भी फेसबुक पर पोस्ट किए हैं। उन्होंने सरकार से इस मामले की जांच की अपील की है।

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अपने फेसबुक पोस्ट में मिश्रा ने यह भी कहा है कि उन्हें सांप से कटवाकर मारने की भी कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि उनके क्वार्टर में जहरीले सांप छोड़े गए। अपने फेसबुक पोस्ट में उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों से मेरे क्वार्टर में कुछ दिनों के नियमित अंतराल पर कोबरा, क्रेट जैसे जहरीले सांपों रहस्यमय तरीके से मिलते रहे हैं।

कार्बोलिक एसिड वेंट्स को हर 10 फीट पर डाला जाता है। फिर भी कोई भी सांपों की घुसपैठ को नहीं रोक सका। उन्होंने कहा कि सौभाग्य से मेरी चार बिल्लियों और मेरे सुरक्षा कर्मचारियों की वजह से वे सभी सांप या तो मारे गए या जिंदा पकड़े गए। उन्होंने दावा किया कि केवल तीन महीने पहले ही उनके घर में एक गुप्त सुरंग मिली है। जब सुरंग को बंद कर दिया गया तो सांप आने बंद हो गए।

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तपन मिश्रा (ISRO Scientist Tapan Mishra) ने फेसबुक पर लिखा है कि इसरो में हमें बड़े वैज्ञानिकों की संदिग्ध मौत की खबर मिलती रही है। साल 1971 में प्रोफेसर विक्रम साराभाई की मौत संदिग्ध थी। उसके बाद 1999 में VSSC के निदेशक डॉ. एस. श्रीनिवासन की मौत पर भी सवाल उठे थे। इतना ही नहीं 1994 में श्री नांबीनारायण का केस भी सबके सामने आया था। लेकिन मुझे नहीं पता था कि एक दिन मैं इस रहस्य का हिस्सा बनूंगा।

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