नक्सल और आतंक प्रभावित राज्यों में IPS अधिकारियों के कई पद खाली, हो सकती है मुश्किल

नक्सल प्रभावित राज्यों और आतंकवाद प्रभावित प्रदेशों में केंद्र सरकार की ओर से भारतीय पुलिस सेवा (Indian Police Service) के जितने पद स्वीकृत किए गए हैं, उनके मुकाबले आईपीएस अफसरों के कई पद खाली पड़े हैं।

IPS

देश में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारियों के लिए कुल 4982 पद स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से 4024 पदों को ही भरा जा सका है।

नक्सल प्रभावित राज्यों और आतंकवाद प्रभावित प्रदेशों में केंद्र सरकार की ओर से भारतीय पुलिस सेवा (Indian Police Service) के जितने पद स्वीकृत किए गए हैं, उनके मुकाबले आईपीएस (IPS)  अफसरों के कई पद खाली पड़े हैं।

नक्सल प्रभावित क्षेत्र छत्तीसगढ़ में 27, झारखंड में 25, महाराष्ट्र में 62, तेलंगाना में 35, ओडिशा में 75 और बिहार में 30 आईपीएस अफसरों के पद रिक्त पड़े हैं। अगर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में आईपीएस (IPS) की संख्या पर गौर करें तो पिछले साल तक कुल 958 पद नहीं भरे जा सके हैं।

बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी आए कोरोना की चपेट में, ट्वीट कर दी जानकारी

इसी तरह, आतंकवाद से प्रभावित जम्मू-कश्मीर में 69 आईपीएस (IPS) अफसरों  की कमी है। एक जनवरी, 2019 की स्थिति के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में आईपीएस के लिए 147 पद स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से केवल 78 पद भरे गए हैं। फरवरी, 2020 की ग्रेडेशन लिस्ट के मुताबिक, यहां 68 आईपीएस कार्यरत हैं। जबकि स्टेट पुलिस सर्विस के 184 अधिकारी तैनात हैं।

देश में आईपीएस अधिकारियों के लिए कुल 4982 पद स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से 4024 पदों को ही भरा जा सका है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, आतंकवाद अब नए तौर तरीकों में ढलता जा रहा है। आईएसआईएस की नई गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। सोशल मीडिया और दूसरे माध्यमों के जरिए ये आतंकी संगठन बड़े पैमाने पर युवाओं की भर्ती करने में लगे हैं।

सीनियर अधिकारी पीआर जांभोलकर बोले- बैकफुट पर है नक्सलवाद, सरकार की नीतियों से मिला फायदा

पिछले दिनों एनआईए ऐसे कई मामलों में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। इसी तरह नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नई भर्ती का संकट खड़ा हो गया है। वहां पर नक्सली नए तौर तरीके अपना रहे हैं। उत्तर-पूर्व और कश्मीर के आतंकियों के साथ वे नया गठजोड़ तैयार करने के प्रयासों में जुटे हैं। ये इनपुट निकट भविष्य में चुनौती बन सकते हैं। इसके लिए सभी एजेंसियों को मिलकर काम करना होगा।

आतंकवाद प्रभावित इलाकों में लंबे समय तक तैनात रहे सीआरपीएफ के पूर्व आईजी वीपीएस पवार बताते हैं कि चाहे कोई भी बल हो, उसमें सभी पद भरे होने चाहिए। आतंक और नक्सल प्रभावित राज्यों में यदि आईपीएस के पद खाली हैं, तो उन्हें भरा जाना चाहिए। अफसरों की कमी का असर ऑपरेशन पर भी पड़ता है। इन राज्यों में आतंकी या नक्सली घटनाओं से निपटने के लिए सामान्य कानून व्यवस्था से अलग रणनीति बनानी पड़ती है। इसके लिए जरुरी है आईपीएस अधिकारी पर्याप्त संख्या में तैनात किए जाएं।

कुलभूषण जाधव की सजा की होगी समीक्षा, पाकिस्तान नेशनल असेंबली ने विधेयक को दी मंजूरी

बता दें कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने गत मार्च में IPS की संख्या को लेकर राज्यसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा था कि आईपीएस की रिक्तियां, सेवानिवृत्ति, त्यागपत्र, मृत्यु व सेवा से बर्खास्तगी आदि के कारण होती है। ये सभी कारक आवर्ती प्रकृति के हैं और भर्ती की दर के सापेक्ष हैं।

ये भी देखें-

चूंकि रिक्तियां और भर्ती, एक सतत प्रक्रिया है, इसलिए वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों और दूसरे प्रदेशों में IPS के रिक्त पदों को भरने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित करना कठिन है। करीब डेढ़ सौ आईपीएस अधिकारी हर साल भर्ती किए जाते हैं। इन्हें भारतीय पुलिस सेवा के 26 कैडरों में आवंटित किया जाता है।

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें