सद्भावना दौरे पर श्रीलंका पहुंचा Indian Navy का युद्धपोत ‘INS रणविजय’, समुद्री सुरक्षा सहयोग को मिलेगा बढ़ावा

श्रीलंका और भारत के बीच समुद्री और सुरक्षा सहयोग विकसित करने के प्रयासों के तहत भारतीय नौसेना (Indian Navy) का जहाज आईएनएस ‘रणविजय’ (INS Ranvijay) तीन दिवसीय सद्भावना यात्रा पर 14 अप्रैल को श्रीलंका पहुंचा।

INS Ranvijay

INS Ranvijay (File Photo)

भारतीय नौसेना (Indian Navy) डिस्ट्रायर आइएनएस रणविजय (INS Ranvijay) का यह दौरा दोनों देशों के बीच समुद्री संबंधों को मजबूत बनाने और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए है।

श्रीलंका और भारत के बीच समुद्री और सुरक्षा सहयोग विकसित करने के प्रयासों के तहत भारतीय नौसेना (Indian Navy) का जहाज आईएनएस ‘रणविजय’ (INS Ranvijay) तीन दिवसीय सद्भावना यात्रा पर 14 अप्रैल को श्रीलंका पहुंचा। भारतीय नौसेना का युद्धपोत आईएनएस ‘रणविजय’ तीन दिनों के लिए ‘गुडविल विजिट’ यानि सद्भावना दौरे पर श्रीलंका में है।

बता दें कि रणविजय की यह तीन दिवसीय यात्रा आज यानी 14 अप्रैल से शुरू हुई है। भारतीय नेवी डिस्ट्रायर आइएनएस रणविजय (INS Ranvijay) का यह दौरा दोनों देशों के बीच समुद्री संबंधों को मजबूत बनाने और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए है। कोलंबो पहुंचे इस युद्धपोत ने दुनिया को श्रीलंका के साथ भारत के अच्छे संबंधों का संदेश दिया है।

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भारतीय उच्चायोग के अनुसार, भारतीय नौसेना (Indian Navy) का यह जहाज सिंहला और तमिल नववर्ष ‘अवुरुदु’ के शुभ अवसर पर श्रीलंका के लोगों के लिए एकजुटता और सद्भाव का संदेश लेकर कोलंबो पहुंचा है।

उच्चायोग ने बताया, “भारत और श्रीलंका रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में पारंपरिक रूप से एक दूसरे का सहयोग करते रहे हैं। इनकी नौसेनाओं के बीच प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण में पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहयोग का आदान प्रदान होता रहा है। इस जहाज की यात्रा दोनों मित्र और करीबी पड़ोसी देशों के बीच नजदीकी समुद्री तथा सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक और कदम है।”

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बयान के मुताबिक, INS रणवजिय पनडुब्बी भेदी युद्धपोत है, जो निर्देशित मिसाइल विनाशक ले जाने में सक्षम है। ‘कोलंबो गजट’ की खबर के मुताबिक, इसकी कमान कैप्टन नारायण हरिहरन के हाथों में है। वह 15 अप्रैल को पश्चिमी नौसेना क्षेत्र के क्षेत्रीय कमांडर रियर एडमिरल डब्ल्यूडीईएम सुरदर्शन से मुलाकात करेंगे और भारतीय शांतिरक्षक स्मारक जाएंगे।

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बता दें कि भारत-श्रीलंका समझौते के तहत भारतीय शांतिरक्षक दल ने साल 1987 से 1990 के बीच श्रीलंका के युद्धग्रस्त उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में सेवाएं दी थीं।

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