समुद्र में भारत ने तैनात किया अपना ‘वजीर’, दुश्मनों की नजरों से बचकर पलटवार करने में माहिर

पहली ‘वजीर’ पनडुब्बी रूस से प्राप्त की गई थी जिसे भारतीय नौसेना (Indian Navy) में तीन दिसम्बर 1973 को शामिल किया गया था और सात जून 2001 को तीन दशक की सेवा के बाद सेवामुक्त किया गया था।

Indian Navy

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भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने स्कॉर्पीन श्रेणी की पांचवी पनड़ुब्बी ‘वजीर’ का दक्षिण मुंबई स्थित मझगांव गोदी में जलावतरण किया‚ जो दुश्मन के रडार से बचने और आधुनिक प्रौद्योगिकी से लैस है। रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाइक की पत्नी विजया ने वीडियो कंफ्रेंस के जरिये पनड़ुब्बी का जलावतरण किया। इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि नाइक गोवा से वीडियो कांफ्रेंस के जरिऐ शामिल हुए।

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‘वजीर’ पनडुब्बी भारत में बन रहीं छह कालवेरी श्रेणी की पनडुब्बियों का हिस्सा है। इस पनडुब्बी को फ्रांसीसी समुद्री रक्षा और ऊर्जा कंपनी डीसीएनएस ने डिजाइन किया है और भारतीय नौसेना (Indian Navy) की परियोजना–75 के तहत इनका निर्माण हो रहा है। ये पनडुब्बियां सतह पर‚ पनडुब्बी रोधी युद्ध में कारगर होने के साथ खुफिया जानकारी जुटाने‚ समुद्र में बारूदी सुरंग बिछाने और इलाके में निगरानी करने में भी सक्षम हैं। इस पनडुब्बी का नाम हिंद महासागर की शिकारी मछली ‘वजीर’ के नाम पर रखा गया है।

पहली ‘वजीर’ पनडुब्बी रूस से प्राप्त की गई थी जिसे भारतीय नौसेना (Indian Navy) में तीन दिसम्बर 1973 को शामिल किया गया था और सात जून 2001 को तीन दशक की सेवा के बाद सेवामुक्त किया गया था।

रडार से बचने का गुण सुनिश्चित करने के लिए पनडुब्बी में लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है जैसे आधुनिक ध्वनि को सोखने वाली तकनीक‚ कम आवाज और पानी में तेज गति से चलने में सक्षम आकार आदि। इसमें दुश्मन पर सटीक गाइडेड हथियारों से हमले की भी क्षमता है।

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