कांगो में टूटा ज्वालामुखी का कहर: गोमा शहर में मची चीख-पुकार, मसीहा बनकर भारतीय सेना ने बचाई सैकड़ों जान

अचानक प्रकट हुये इस खतरे के मद्देनजर भारतीय दल की त्वरित कार्रवाई से गोमा में लोगों और संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के कर्मचारियों को सुरक्षित निकालने में मदद मिली है।

United Nations

volcanic eruption near Goma

संयुक्त राष्ट्र (United Nations) शांति अभियान के तहत कांगो में तैनात भारतीय सेना (Indian Army) की एक टुकड़ी ने मध्य अफ्रीकी देश के गोमा शहर के पास ज्वालामुखी फटने के बाद स्थानीय लोगों के साथ ही यूएन की संपत्ति की भी रक्षा की। हालांकि इस ज्वालामुखी के कारण गोमा शहर में 15 लोगों की जान भी चली गई जबकि हजारों लोग बेघर हो गये।

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दरअसल शनिवार रात में माउंट नाइरागोंगो ज्वालामुखी दो दशकों में पहली बार फटा जिसके बाद गोमा में हजारों लोग अपने घरों को छोड़कर भागने लगे। यूएन अधिकारियों के अनुसार‚ भारतीय टुकड़ी की पहल से ज्वालामुखी फटने के बाद स्थानीय लोगों और संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के मौजूद कर्मचारियों को तेजी से निकालने में मदद मिली।

एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी के मुताबिक‚ अचानक प्रकट हुये इस खतरे के मद्देनजर भारतीय दल की त्वरित कार्रवाई से गोमा में लोगों और संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के कर्मचारियों को सुरक्षित निकालने में मदद मिली है।

संयुक्त राष्ट्र (United Nations) शांति अभियान के तहत कांगो में भारतीय सेना (Indian Army) की महत्वपूर्ण मौजूदगी है‚ जिसका मुख्यालय पूर्वी शहर गोमा और सीमावर्ती रवांडा में है। भारतीय दल का ब्रिगेड मुख्यालय गोमा एयरबेस के पास ही मौजूद है।

यूएन अधिकारियों ने बताया‚ एहतियात के तौर पर आस-पास मौजूद कई देशों की टुकडियों को सतर्क रहने के लिए कहा गया था और अभी यह माना जा रहा है कि इनको अभी वहीं से निकलने की जरूरत नहीं है। हालांकि एयरफोर्स सहित अधिकांश टुकड़ियों को फौरन वहां से निकाला गया।

भारतीय ब्रिगेड मुख्यालय ने शांत तरीके से कदम उठाते हुए शिविर में कर्मचारियों की संख्या 70 फीसदी कम कर दी और कुछ कर्मचारियों को सुरक्षा की मद्देनजर हिम्बी कंपनी ऑपरेटिंग बेस भेज दिया।

यूएन अधिकारियों ने आगे बताया कि शिविर में कम संख्या में जवान बने रहे‚ यह सुनिश्चित करते हुए कि संयुक्त राष्ट्र (United Nations) और अंतर्राष्ट्रीय संपत्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचे। साथ ही खाली एयर बेस और एयर फ्यूल को सुरक्षा प्रदान की जाए। वहीं पास में ही एक निगरानी शिविर भी बनाया गया, जो ब्रिगेड़ मुख्यालय को लावा प्रवाह के वास्तविक समय की जानकारी दे रहा है। जिससे कि संयुक्त राष्ट्र (United Nations) को इसके बारे में सटीक जानकारी मिलती रही। 

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