कश्मीर में घट सकती है सेना की मौजूदगी, आतंकी घटनाओं में कमी के बाद फैसला

सेना का काम शांति स्थापित कर सरकार के लिए उपयुक्त माहौल तैयार करना है। यदि आतंकी घटनाओं में कमी रही और यह कमी कम से कम दो साल तक बनी रही तो घाटी से सेना की उपस्थिति कम की जा सकती है।

Siachen

बालाकोट स्ट्राइक और जम्मू–कश्मीर (Jammu Kashmir) से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से पाकिस्तानी सेना की तरफ से संघर्ष विराम के उल्लंघन की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई लेकिन आतंकवादी हलचल में भारी कमी आई है। आतंकवादी (Terrorists) भी केवल पांच बार ही भर्ती अभियान चला पाए। अब आतंवादियों (Terrorists) ने राजनीतिक तौर पर संवेदनशील दक्षिण कश्मीर में ध्यान आकर्षित करने के लिए कुछ हरकतें की हैं। सेना का कहना है कि यदि आतंकवादी घटनाओं में कमी का सिलसिला जारी और निरंतर रहा तो घाटी से सेना की मौजूदगी कम की जा सकती है। सेना गुप्तचर सूत्रों के अनुसार पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से पाकिस्तान सेना की तरफ से एलओसी यानी लाइन आफ कंट्रोल संघर्ष विराम की घटनाएं बढ़ रही हैं क्योंकि वह अपनी उपस्थिति दिखाना चाहता है। पिछले साल अगस्त में अचानक संघर्ष विराम की घटनाएं बढ़कर 307 हो गई थी। इस साल जनवरी में भी 367 बार पाकिस्तान ने संघर्ष विराम किया।

Terrorists
कश्मीर घाटी में आतंकी घटनाओं में गिरावट जारी रहने पर सेना की संख्या कम करने पर हो सकता है विचार।

सेना सूत्रों के अनुसार 370 हटाने से पहले पाक (Pakistan) की तरफ से सीजफायर में छोटे हथियारों का इस्तेमाल होता लेकिन अब उसने दूर तक मार करने वाले अर्टिलरी हथियारों का इस्तेमाल शुरू कर दिया है जिसमें 82 एमएम‚ 105 एमएम और 130 एमएम का भी इस्तेमाल शामिल हैं। बदले में भारतीय सेना को भी 130 एमएम का इस्तेमाल पाकिस्तान के गन एरिया और आतंकी लांच पैड़ पर निशाना साध कर जवाबी कार्रवाई करती है।

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आतंकवादियों (Terrorists) द्वारा की जाने वाली पहल में भी भारी कमी आई है। वर्ष 2018 में 318 बार आतंकवादी हरकतें‚ पथराव या भय पैदा करने की कोशिशें हुई थीं जबकि 2019 में इसकी संख्या कम होकर 173 हो गई और इस साल जनवरी में यह संख्या अब तक 11 बार ऐसी घटनाएं हुई हैं।

खास बात है कि आतंकियों (Terrorists) ने हलचल पैदा करने के लिए दक्षिण कश्मीर के श्रीनगर‚ अनंतनाग‚ बारामूला‚ पुलबामा और गंदरबल को चुना। क्योंकि इन स्थानों पर कोई हरकत खबर बन जाती है और पूरे देश का ध्यान कश्मीर की तरफ चला जाता है।

अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद आतंक वादी संगठन नए आतंकियों (Terrorists) की भर्ती नहीं कर पा रहे हैं। वर्ष 2018 में 219 बार भर्ती की गई जो 2019 में घटकर 119 रह गई और इस साल जनवरी तक केवल पांच बार भी नए आतंकियों को भर्ती किया गया। इनमें दो कैंप अनंतनाग में‚ एक–एक पुलबामा‚ कुलगाम और सोपियां में लगाए गए।

सूत्रों के अनुसार सेना (Indian Army) का काम शांति स्थापित कर सरकार के लिए उपयुक्त माहौल तैयार करना है। यदि आतंकी घटनाओं में कमी रही और यह कमी कम से कम दो साल तक बनी रही तो घाटी से सेना की उपस्थिति कम की जा सकती है। 2008 में भी कश्मीर इसी तरह की शांति हुई थी। तब विधानसभा चुनाव हुए थे।

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