अमेरिकी शहरों में NPR के समर्थन में रैलियां, भारत के लिए जरूरी है ये कानून

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भारत में नागरिक संशोधित नागरिकता कानून और प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक पंजिका पर मचे बवाल के बीच बड़ी संख्या में भारतीय-अमेरिकी NPR के समर्थन में सामने आए हैं और वे इस विवादित कानून के बारे में ‘गलत सूचनाओं और मिथकों को दूर’ करने के लिए अमेरिका के कई शहरों में रैलियां कर रहे हैं।

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संसद में जब से नागरिकता विधेयक पारित हुआ है तब से भारत में प्रदर्शन चल रहे हैं। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर करने के साथ ही इस विधेयक ने कानून की शक्ल अख्तियार कर ली है। सरकार ने मंगलवार को 2021 की जनगणना और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (NPR) के लिए 12,700 करोड़ रुपये की मंजूरी दी और यह साफ किया कि एनपीआर का विवादित एनआरसी से कोई संबंध नहीं है।

रैली के आयोजकों ने बताया, इन रैलियों का उद्देश्य कानून के बारे में ‘गलत सूचनाओं और मिथकों को दूर करना’ और साथ ही घृणा और झूठ के दुष्प्रचार का विरोध करना है। भारतीय-अमेरिकियों ने दिसम्बर में सिएटल, 22 दिसम्बर को ऑस्टिन तथा 20 दिसम्बर को ह्यूस्टन में भारतीय वाणिज्य दूतावास के सामने सीएए समर्थक रैलियां की। डबलिन, ओहियो और उत्तर कैरोलिना में 22 दिसम्बर को रैलियां की गईं।

क्यों जरूरी है NPR ?

केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा भारत की जनगणना-2021 और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अद्यतन करने के निर्णय पर खड़ा किया जा रहा विवाद दुर्भाग्यपूर्ण है। जनगणना के पूर्व NPR की शुरुआत 2010 से हुई, जिससे सरकार को जनकल्याणकारी कार्यक्रमों के लिए लोगों को चिह्नित करने में आसानी हो गई। जानना जरूरी है कि एनपीआर के आंकड़े पिछली बार 2010 में घर की सूची तैयार करते समय लिए गए थे, जो 2011 की जनगणना से जुड़े थे। इसके बाद 2015 में घर-घर जाकर इन आंकड़ों का उन्नयन किया गया था। उस समय इसका विरोध न होना क्या बताता है?

आज ‘‘उज्जवला गैस योजना’ से लेकर ‘‘आयुष्मान भारत योजना’ अगर आम आदमी के स्तर तक पहुंची है तो उसी कारण क्योंकि सरकार के पास सामाजिक-आर्थिक आंकड़े हैं। उन्हीं से लोगों का नाम निकाल कर आयुष्मान भारत कार्ड भेजे गए, गैस एजेंसियों को उज्जवल के तहत नाम भेजे गए। इस बार इतना ही है कि 2010 में बने पहले रजिस्टर से इस बार कुछ और जानकारी मांगी जाएंगी।

एप के जरिए भी जानकारी एकत्रित की जाएगी। हां, आधार नम्बर और पिता की जन्म तिथि भी मांगी गई है, लेकिन यह वैकल्पिक होगी। यह स्वयं घोषित स्वरूप का होगा। इसके लिए किसी सबूत की जरूरत नहीं होगी और न ही कोई दस्तावेज देना होगा। वस्तुत: यह जनगणना का ही एक भाग हो गया है। जनगणना-2021 में दो चरणों में होगी। पहले चरण में घर की सूची या घर संबंधी गणना होगी जो अप्रैल से सितम्बर, 2020 तक होगी। दूसरा चरण नौ फरवरी से 28 फरवरी, 2021 के बीच होगा। NPR अप्रैल और सितम्बर, 2020 के बीच असम को छोड़ कर देश के अन्य सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होगा।

इतिहास में आज का दिन – 26 दिसंबर

असम को इससे अलग इसलिए रखा गया है क्योंकि वहां पहले ही एनआरसी का कार्य हो गया है। चूंकि मोदी सरकार कर रही है, इसलिए विरोध करना बिल्कुल अनुचित है। यह देश की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को समझने तथा उपयुक्त लोगों तक सहायता और कल्याण को पहुंचाने के लिए आवश्यक है। राजनीति अपनी जगह है, पर राजनीति देश के आवश्यक काम में बाधा न बने। सभी पार्टियों को यह ध्यान रखना चाहिए। इस तरह आवश्यक और जनता हित में किए जाने वाले कायरे को भी विवादित बनाया जाएगा तो इससे देश को क्षति होगी। इसलिए सभी पार्टियां और राज्य सरकार NPR सहित जनगणना के पूरे कार्यक्रम को निर्बाध रूप से पूरा होने दें।

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