भारत-पाकिस्तान संबंध 2019: जंग-ए-मैदान से पैगाम-ए-अमन तक का सफर

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पाकिस्तान (Pakistan) और भारत 2019 में उस समय युद्ध के कगार पर आ खड़े हुए थे, जब पुलवामा आंतकी हमले में दर्जनों सीआरपीएफ के जवान मारे गए और उसके बाद भारत को पाकिस्तान (Pakistan) स्थित आंतकी शिविरों पर हवाई हमला करने के लिए बाध्य होना पड़ा। हालांकि, साल का अंत एक सकारात्मक घटनाक्रम से हुआ और पाकिस्तान (Pakistan) ने सिख तीर्थयात्रियों के लिए ऐतिहासिक करतारपुर गलियारे का उद्घाटन किया। इस गलियारे के जरिए बिना वीजा के करतारपुर साहिब के दर्शन किए जा सकते हैं।

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क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान के अगस्त 2018 में सत्ता में आने के बाद उनके और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच शुभेच्छाओं का आदान-प्रदान हुआ। लेकिन इसके बाद के महीनों के दौरान बहुत कुछ ऐसा हुआ, जिससे दोनों देशों के बीच न सिर्फ शत्रुता को गहरा किया, बल्कि दोनों पक्षों को युद्ध के कगार पर ला दिया। सद्भावना का ये दौर कुछ समय ही चला और पाक स्थित आंतकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद द्वारा जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी 2019 को 44 सीआरपीएफ सैनिकों की हत्या के साथ ही संबंध कटु हो गए। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान (Pakistan) को दोषी ठहराया और बदला लेने की कसम खाई। हालांकि, पाकिस्तान (Pakistan) ने इन आरोपों को खारिज कर दिया।

इसके बाद 26 फरवरी को भारत के लड़ाकू विमान ने पाकिस्तान (Pakistan) की सीमा में प्रवेश किया और बालाकोट स्थित जैश के शिविर पर बमबारी की। वर्ष 1971 के युद्ध के बाद यह पहला मौका था जब भारतीय युद्धक विमान ने पाकिस्तानी सीमा में प्रवेश किया।

इस हवाई हमले के बाद 27 फरवरी को दोनों देशों के बीच हवाई युद्ध जारी रहा, जब पाकिस्तान (Pakistan) के युद्धक विमान ने भारत की सीमा में प्रवेश किया। पाकिस्तान (Pakistan) जेट को मारने के दौरान भारतीय वायु सेना का एक जेट पाकिस्तान (Pakistan) के कब्जे वाले कश्मीर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया और भारतीय पायलट को पाकिस्तान (Pakistan) ने घायल अवस्था में पकड़ लिया।

एक पल के लिए ऐसा लगा कि दोनों देशों की दुश्मनी अब चरम पर पहुंच चुकी है, लेकिन पाकिस्तान (Pakistan) ने अक्लमंदी का परिचय देते हुए भारतीय पायलट को रिहा कर दिया और दोनों पक्ष युद्ध के मुहाने से आगे नहीं बढ़े।

इतिहास में आज का दिन – 23 दिसंबर

इसके बाद भारत में लोकसभा चुनावों के दौरान भी तेवर तीखे ही बने रहे, और इस बीच खान ने अप्रैल में एक साक्षात्कार के दौरान कहा कि अगर प्रधानमंत्री मोदी दोबारा चुनाव जीते तो दोनों देश शांति की दिशा में कदम बढ़ाएंगे। हुआ भी ऐसा ही। मोदी को चुनाव में भारी जीत मिली और दोनों देश भारतीय सिख तीर्थयात्रियों को बिना वीजा करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए गलियारा बनाने पर सहमत हुए। इसके लिए एक समझौते को औपचारिक रूप देने पर बातचीत शुरू हुई। रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलनी शुरू ही हुई थी कि मोदी सरकार ने अपने चुनावी वादों को पूरा करने का ऐलान कर दिया। ऐसा ही एक फैसला था जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करना।

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