कोरोना के इलाज में कारगर साबित हो रहा ये ‘संजीवनी बूटी’, भारत है सबसे बड़ा उत्पादक

इसका (Hydroxychloroquine) का इस्तेमाल आमतौर पर मलेरिया के इलाज में किया जाता है। साथ ही इसका प्रयोग आर्थराइटिस के उपचार में भी होता है।

Hydroxychloroquine

इस वक्त पूरी दुनिया कोरोना वायरस (Coronavirus) नामक  महामारी से जूझ रही है। या यों कहें कि पूरा विश्व न दिखने वाले महाबलशाली कोरोना नाम के राक्षस से युद्ध लड़ रही है। वे ऐसा महादानव जिससे सामने आकर नहीं बल्कि छिपकर ही लड़ा जा सकता है और परास्त किया जा सकता है। जो लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं उन्हें स्वस्थ करना इससे भी बड़ी चुनौती है क्योंकि जहां उनको ठीक करना है वहीं उनको ठीक करते हुए अपने आपको भी इस महादानव के प्रहार से बचाना भी है।

Hydroxychloroquine

अभी इस महादानव के प्रहार की मार सबसे ज्यादा अमेरिका समेत यूरोप के देशों पर है। अमेरिका में अभी तक करीब 4 लाख से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं और 20 हजार से अधिक लोग अपनी जान गवां चुके हैं।

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यह महामारी स्पेन में 16 हजार से अधिक और इटली में 19 हजार से अधिक लोगों की जान ले चुकी है। इस बीच मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन (Hydroxychloroquine) चर्चा में है क्योंकि माना जा रहा है कि ये दवा कोरोना वायरस (Coronavirus) के इलाज में कारगर साबित हो रही है।

भारत इस दवा का दुनिया में सबसे बड़ा उत्पादक देश है। इसलिए जहां अमेरिका ने उससे ये दवा दोनों देशों की गाढ़ी मित्रता का हवाला देकर मांगी है वहीं ब्राजील के राष्ट्रपति ने हनुमान जी के संजीवनी लाने का संदर्भ देकर भारत से यह दवा देने की भावुक अपील की।

भारत ने मानवीयता के आधार पर अमेरिका‚ ब्राजील समेत पड़ोसी देशों को भी यह दवा देने का फैसला किया है। ऐसा करते समय अपनी जरूरत का भी पूरा ख्याल रखने की बात कही गई है।

हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन की विशेषता: इसका (Hydroxychloroquine) का इस्तेमाल आमतौर पर मलेरिया के इलाज में किया जाता है। साथ ही इसका प्रयोग आर्थराइटिस के उपचार में भी होता है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस दवा का आविष्कार किया गया था। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ल्यूपस सेंटर के अनुसार‚ मलेरिया रोधी दवा ने मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द‚ स्किन रैशेज़‚ इंफ्लेमेशन ऑफ हर्ट‚ लंग लाइनिंग‚ थकान और बुखार जैसे लक्षणों में सुधार दिखाया है। इसका इस्तेमाल रूमटॉइड गठिया में भी किया जाता है।

वहीं अब ऐसा माना जा रहा है कि ये दवा कोरोना वायरस (Coronavirus) के इलाज में भी काफी कारगार साबित हो रही है। हालांकि अभी तक ऐसा कोई क्लीनिकल ट्रायल नहीं हुआ है जिससे ये साबित होता हो कि ये दवा वाकई कोरोना वायरस (Coronavirus) के इलाज में भी प्रभावी है।

कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक‚ कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण पर इस दवा ने असर दिखाया है।

इस दवा के साइड इफेक्ट्स: हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन (Hydroxychloroquine) दवा के साइड इफेक्ट्स भी हैं। जैसे कि दवा से हार्ट ब्लॉक‚ हार्ट रिदम डिस्टर्बेंस‚ चक्कर आना‚ जी मिचलाना‚ मतली‚ उल्टी और दस्त हो सकते हैं। गत माह मार्च में एरिजोना में एक व्यक्ति ने क्लोरोक्विन फॉस्फेट ले लिया था जिससे उसकी मौत हो गई। इसका इस्तेमाल मलेरिया बुखार को ठीक करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा मछली के टैंकों को साफ करने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है।

जबकि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन (Hydroxychloroquine) का इस्तेमाल मलेरिया के अलावा अन्य अनेक रोगों के इलाज में भी किया जाता है क्योंकि इसमें क्लारोक्विन फास्फेट की तुलना में हानिकारक तत्वों की मात्रा कम है।

इस दवा को सबसे बड़ा उत्पादक देश है भारत: देश में कई कंपनियां इस दवा का प्रॉडक्शन करती हैं। जायडस कैडिला और इप्का लैबोरेटरीज इसकी प्रमुख निर्माता हैं। देश के कुल उत्पादन में इनकी हिस्सेदारी क्रमश: 40 और 29 फीसदी है।

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p style=”text-align: justify;”>भारत इसका बड़ा एक्सपोर्टर है। दुनिया में 70 फीसदी दवा का यहीं से निर्यात होता है। 25 मार्च को इसके निर्यात पर बैन लगा दिया गया था। अब भारत ने इस पर से यह प्रतिबंध हटा दिया है। कोरोना वायरस (Coronavirus) की मार से बेहाल अमेरिका के राष्ट्रपति के अनुसार उनके देश ने 29 मिलियन दवा की डोज खरीदी है। इसका बड़ा हिस्सा भारत से खरीदा गया है।

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