भारत के सहयोग से अफगानिस्‍तान में बनेगा ‘शहतूत डैम’, पाकिस्तान कर रहा विरोध

भारत (India) और अफगानिस्‍तान (Afghanistan) अपने रिश्‍तों को ‘शहतूत डैम’ (Shahtoot Dam) के जरिए और मजबूत बना रहे हैं। इस अहम प्रोजेक्‍ट पर समझौते के संबंध में दोनों देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्षों ने भारत-अफगानिस्‍तान सम्‍मेलन में बातचीत की है।

Shahtoot Dam

नवंबर, 2020 में विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने जिनेवा डोनर्स कांफ्रेंस में काबुल नदी पर ‘शहतूत डैम’ (Shahtoot Dam) बनाने की घोषणा की थी।

भारत (India) और अफगानिस्‍तान (Afghanistan) अपने रिश्‍तों को ‘शहतूत डैम’ (Shahtoot Dam) के जरिए और मजबूत बना रहे हैं। इस अहम प्रोजेक्‍ट पर समझौते के संबंध में दोनों देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्षों ने भारत-अफगानिस्‍तान सम्‍मेलन में बातचीत की है। बता दें कि भारत ने अफगानिस्‍तान में इस प्रोजेक्‍ट के अलावा 80 लाख डॉलर की लागत के प्रोजेक्‍ट भी तैयार करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।

अफगानिस्‍तान के लिए भारत करीब 150 प्रोजेक्‍ट की घोषणा कर चुका है। गौरतलब है कि नवंबर, 2020 में विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने जिनेवा डोनर्स कांफ्रेंस में काबुल नदी पर ‘शहतूत डैम’ (Shahtoot Dam) बनाने की घोषणा की थी। ये डैम भारत की मदद से काबुल नदी के बेसिन में बनाया जाएगा। ये बेसिन अफगानिस्‍तान के पांच में से एक है।

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अफगानिस्‍तान में बनने वाले इस डैम से काबुल के लोगों को पीने और सिंचाई के लिए पानी मिल सकेगा। इस प्रोजेक्‍ट की लागत करीब 300 मिलियन डॉलर से अधिक है। वर्ष 2012 में इस प्रोजेक्‍ट से पहले हुई स्‍टडी पर करीब 11 लाख डॉलर का खर्च आया था। इससे आने वाला रिटर्न करीब 20 लाख डॉलर होगा।

इस डैम की एक बड़ी खासियत ये भी है कि इसकी वजह से न तो पर्यावरण को किसी भी तरह का नुकसान पहुंचेगा और न ही नदी के प्रवाह में कोई बदलाव आएगा। इस डैम से ग्राउंड वाटर को रिचार्ज करने में भी मदद मिल सकेगी। अफगानिस्‍तान सरकार के मुताबिक ये प्रोजेक्‍ट देश में पर्यटन को भी बढ़ावा देने में सहायक साबित होगा। साथ ही इससे लोगों का जीवन भी सुधरेगा और उनके लिए नौकरियों का सृजन होगा।

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इसके अलावा ये यहां पर आने वाली बाढ़ को रोकने में भी सहायक साबित होगा। इस डैम का डिजाइन ईरान की एक कंपनी पोयाब ने तैयार किया है। अफगानिस्‍तान के जल और बिजली मंत्री का कहना है कि इस बांध के बन जाने से काबुल के 20 लाख लोगों को पीने का पानी मिल सकेगा। इसके अलावा चारासायब और खैराबाद की करीब 4000 हैक्‍टेयर भूमि की सिंचाई हो सकेगी।

गौरतलब है कि अफगानिस्‍तान के जीडीपी में करीब 20-40 फीसद तक की हिस्‍सेदारी कृषि क्षेत्र की होती है। इस देश की करीब 60 फीसद आबादी कृषि पर निर्भर करती है। बीते कुछ सालों में सिंचाई की सहूलियत न होने की वजह से कई जगहों पर सूखा भी पड़ा है। इसकी वजह से हालात और अधिक खराब हुए हैं।

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जिस नदी पर ‘शहतूत डैम’ बनना है वहां पर पिछले साल आए सूखे की वजह से लोगों को बुरे दौर से गुजरना पड़ा था। इसकी वजह से काबुल नदी का जलस्‍तर करीब 10 मीटर तक नीचे चला गया। ऐसे में काबुल नदी पर बनने वाला ‘शहतूत डैम’ अफगानिस्‍तान के लिए उसकी तकदीर और तस्‍वीर बदलने में सहायक साबित होगा।

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उधर, पाकिस्‍तान (Pakistan) भारत के सहयोग से बनने वाले ‘शहतूत डैम’ (Shahtoot Dam) के खिलाफ है। पाकिस्‍तान का कहना है कि इस बांध के बन जाने से पाकिस्‍तान में पानी की कमी हो जाएगी। बता दें कि काबुल नदी हिंदूकुश पर्वत के संगलाख क्षेत्र से निकलती है और काबुल, सुरबी और जलालाबाद होते हुए खैबर पख्तूनख्वा से पाकिस्‍तान में प्रवेश करती है। इसलिए पाकिस्तान इसकी खिलाफत कर रहा है।

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