भारत चीन विवाद: लद्दाख सीमा के बाद पूर्वोत्तर सीमा पर भी होने वाली है राफेल विमानों की तैनाती, अक्टूबर में भारत आ रहे हैं 5 और राफेल विमान

राफेल जेट (Rafale Fighter Jets) विमानों का पहला बैच इसी साल 29 जुलाई को भारत पहुंचा था। साल 2016 में भारत और फ्रांस के बीच 36 लड़ाकू विमानों की खरीद के लिये 59,000 करोड़ रुपये समझौता हुआ था।

Rafale Fighter Jets

फाइल फोटो।

दुनिया का सबसे खतरनाक फाइटर जेट राफेल (Rafale Fighter Jets) अब भारतीय वायुसेना के 17वें स्क्वाड्रन, ‘गोल्डन ऐरो’ का हिस्सा है।  जब से 5 राफेल भारत सीमा पर तैनात किये गये हैं तभी से पड़ोसी दुश्मन देशों की हालत खराब है। इसी बीच भारत को फ्रांस ने राफेल की अगली बैच सौंप दी है। इस बैच में शामिल पांचों विमान अभी फ्रांस की धरती पर ही मौजूद हैं। माना जा रहा है कि अक्टूबर में ये राफेल विमान भारत पहुंचेंगे। इन विमानों को पश्चिम बंगाल में स्थित कलईकुंडा एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात किया जाएगा। जो चीन से लगती पूर्वी सीमा की रखवाली करेंगे। 

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गौरतलब है कि राफेल (Rafale Fighter Jets) के आने से भारतीय वायुसेना की ताकत में कई गुना बढ़ोतरी हो गई है। भारत के लिए राफेल एक अभेद किला माना जा रहा है। अभी तो सिर्फ 5 राफेल लड़ाकू विमानों के भारतीय वायुसेना में शामिल होने से चीन और पाकिस्‍तान की धड़कनें तेज हो गई थीं इसी बीच 5 और राफेल के आने से दोनों देशों की हालत खराब होने वाली है, क्योंकि इन दोनों देशों के लिए राफेल से पार पाना बहुत कठीन है।

सीमापार किये बिना 600 किमी टारगेट को तबाह कर सकता है राफेल (Rafale Fighter Jets)

राफेल फाइटर जेट की खासियत है कि वो सीमा पार किये बिना ही दुश्मन के ठिकानों को तबाह करने की क्षमता रखता है। इसका मतलब साफ है कि चाहें पाकिस्तान हो या चीन, बिना एयर स्पेस बॉर्डर क्रास किये ही राफेल से भारतीय वायु सेना दुश्मनों के इलाकों में 600 किलोमीटर तक के टारगेट को पूरी तरह बर्बाद कर सकती है।

गौरतलह है कि पांच राफेल जेट (Rafale Fighter Jets) विमानों का पहला बैच इसी साल 29 जुलाई को भारत पहुंचा था। साल 2016 में भारत और फ्रांस के बीच 36 लड़ाकू विमानों की खरीद के लिये 59,000 करोड़ रुपये समझौता हुआ था। राफेल फाइटर जेट 4.5 जेनरेशन का लड़ाकू विमान है। भारत और फ्रांस के साथ हुई डील के मुताबिक 2022 तक भारत को 36 राफेल जेट भारत को मिल जाएंगे। पहले 18 राफेल जेट अंबाला एयरबेस में रखे जाएंगे, जबकि बाकी के 18 विमान पूर्वोत्तर के हाशीमारा में तैनात किये जाने का प्लान है।

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