13वें दौर की बातचीत: भारत ने चीनी सैनिकों की हालिया घुसपैठ का मुद्दा उठाया, टकराव स्थल से सैनिकों की वापसी पर भी जोर

भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने बातचीत के 13वें दौर में देप्सांग में तनाव कम करने पर जोर देते हुए अपना रुख पुरजोर तरीके से रखा है।

PLA Troops

भारत और चीन के बीच रविवार को हुये 13वें दौर की सैन्य बातचीत में पूर्वी लद्दाख में टकराव के बाकी बिंदुओं से चीनी सैनिकों (PLA Troops) की जल्द वापसी पर जोर दिया। दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच ये बातचीत चीनी इलाके चुशुल-मोल्डी में करीब आठ घंटे लगातार चली।

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सैन्य सूत्रों के अनुसार, कोर कमांडर स्तर की बातचीत में मुख्य रूप से पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 से सैनिकों की वापसी की रुकी हुई प्रक्रिया को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। हालांकि इस बातचीत के बारे में दोनों देशों का कोई आधिकारिक वक्तव्य नहीं आया है। बातचीत सुबह करीब साढ़े दस बजे शुरू हुई और शाम सात बजे तक चली।

गौरतलब है कि पिछले दौर की बातचीत इससे करीब दो महीने पहले हुई थी‚ जिसके बाद गोगरा पेट्रोलिंग प्वाइंट–17ए से सैनिकों की वापसी हुई थी। भारत इस बात पर जोर दे रहा है कि देप्सांग समेत टकराव के सभी बिंदुओं पर लंबित मुद्दों का समाधान दोनों देशों के बीच संबंधों के समग्र सुधार के लिए जरूरी है।

ऐसा माना जा रहा है कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने बातचीत के 13वें दौर में देप्सांग में तनाव कम करने पर जोर देते हुए अपना रुख पुरजोर तरीके से रखा है। गौरतलब है कि हाल ही में एलएसी पर चीनी सैनिकों (PLA Troops) ने घुसपैठ की दो कोशिश की, इसी घटनाओं की पृष्ठभूमि में 13वें दौर की बातचीत शुरू हुई।  

बताते चलें कि चीनी सैनिकों (PLA Troops) के घुसपैठ का पहला मामला उत्तराखंड के बाराहोती सेक्टर में और दूसरा अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में सामने आया था। करीब दस दिन पहले अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में यांगत्से के पास भारतीय और चीनी सैनिकों का कुछ देर के लिए आमना–सामना हुआ था। हालांकि‚ स्थापित प्रक्रिया के अनुसार‚ दोनों देशों के कमांड़रों के बीच बातचीत के बाद कुछ घंटे में मामले को सुलझा लिया गया। चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के करीब 100 जवान 30 अगस्त को उत्तराखंड़ के बाराहोती सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को पार कर आए थे और कुछ घंटे बिताने के बाद लौट गए थे।

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