चीन के साथ अगला युद्ध होगा और भी भयावह, जानें क्यों…

साल 1962 में जब भारत (India) और चीन (China) के बीच युद्ध हुआ था तो दोनों देशों के पास परमाणु शक्ति नहीं था। लेकिन आज के समय में भारत और चीन दोनों के देशों के पास परमाणु शक्ति है।

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सांकेतिक तस्वीर

अगर दोनों देशों के बीच अगर युद्ध होता है तो ये युद्ध 1962 से अलग और भयावह होगा। आशंका ये भी है कि दोनों देश आपस में भिड़ते हैं तो कहीं पाकिस्तान भी चीन (China) के साथ न आ जाए।

साल 1962 में जब भारत (India) और चीन (China) के बीच युद्ध हुआ था तो दोनों देशों के पास परमाणु शक्ति नहीं था। लेकिन आज के समय में भारत और चीन दोनों के देशों के पास परमाणु शक्ति है। उस युद्ध को 58 साल हो चुके हैं, और दोनों देश शैन्य शक्ति में काफी आगे आ चुके हैं। भारत और चीन की सेना पूरी दुनिया में शक्तिशाली सेनाओं में से मानी जाती है।

मालूम हो कि पिछले तीन चार महीने से भारत और चीन (China) के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनाव बना हुआ है। 14 जून को 45 सैनिकों के बीच हुई हिंसक में 20 सैनिक शहीद हो गए जिसके बाद से सीमा पर तनाव कायम है। भारत की ओर से चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और पूर्व सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने दो टूक कहा है कि अगर चीन के साथ मसला बातचीत से नहीं सुलझता है तो सैन्य विकल्प मौजूद है।

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अगर दोनों देशों के बीच अगर युद्ध होता है तो ये युद्ध 1962 से अलग और भयावह होगा। आशंका ये भी है कि दोनों देश आपस में भिड़ते हैं तो कहीं पाकिस्तान भी चीन के साथ न आ जाए। क्योंकि चीन (China) के साथ तनाव जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के हटाने के बाद से बढ़ा है। और इसे लेकर पाकिस्तान और चीन दोनों को ऐतराज है। ऐसे में भारत के खिलाफ लद्दाख में चीन के हालिया कदम के साथ पाकिस्तान भी जुड़ा है।

सीडीएस बिपिन रावत जब सेना प्रमुख थे तभी उन्होंने कहा था कि भारत ढाई मोर्चे से जंग के लिए तैयार है। जाहिर है कि ढाई मोर्च में पाकिस्तान भी शामिल है। 1962 की जंग में पाकिस्तान तटस्थ था। हालांकि यह भी कहा जाता है कि उसे अमेरिका ने रोक लिया था। लेकिन तीन साल बाद ने पाकिसतान ने ये सोचकर भारत पर 1965 में हमला कर दिया था कि चीन से भारत की हार के बाद वहां की सेना का मनोबल गिरा हुआ है।

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हालांकि, पाकिस्तान का यह आकलन गलत साबित हुआ था और उसे मुंह की खानी पड़ी थी। बता दें चीन का रक्षा बजट साल 2020 में 179 अरब डॉलर है जबकि भारत का रक्षा बजट सिर्फ 70 अरब डॉलर का है। भारतीय सेना में एक्टिव जवानों की संख्या 14.44 लाख और 21 लाख रिजर्व में हैं।

वहीं, चीन (China) के पास 21.83 लाख ऐक्टिव और 5.10 लाख रिजर्व जवान हैं, भारत के पास 4292 लड़ाकू टैंक, 8686 बख्तरबंद लड़ाकू वाहन, स्वचालित आर्टिलरी 235, फील्ड आर्टिलरी 4060 और रॉकेट लॉन्चर्स 266 हैं। जबकि, चीन के पास 3500 लड़ाकू टैंक, 33 हजार बख्तरबंद लड़ाकू वाहन, 3800 स्वचालित आर्टिलरी, 3600 फील्ड आर्टिलरी और 2650 रॉकेट लॉन्चर्स हैं।

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कुल मिलाकर, भारत और चीन के पास पर्याप्त ऐसे हथियार हैं जो इस जंग को खतरनाक बना सकते हैं। ग्लोबल टाइम्स के एक संपादकीय लेख में भारत की आर्थिक परेशानियों और कोरोना वायरस (Coronavirus) के हालात को लेकर विस्तार से चर्चा की गई है। इसमें ये भी कहा गया है कि भारत का चीन के साथ सीमा विवाद इस बात का सबूत है कि राष्ट्रवाद उसके लिए कितना घातक साबित हो रहा है।

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ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, चीन भारत का ताकतवर पड़ोसी देश है और वहां उससे भाग नहीं सकता है। दोनों देश साथ मिलकर विकास कर सकते हैं लेकिन अगर भारत, चीन (China) को अपना रणनीतिक दुश्मन बनाना चाहता है तो फिर उसे भारी कीमत चुकाने के लिए तैयार रहना चाहिए। ये भी बात साफ है कि भारत कभी भी एक इंच जमीन पर कब्जा नहीं कर पाएगा।

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