
पाकिस्तान में युद्ध बंदी बनाए गए विंग कमांडर अभिनंदन। फाइल फोटो।
सोशल मीडिया पर तीन वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसमें दिखाया जा रहा है कि इंडियन एयरफोर्स के विंग कमांडर अभिनंदन पाकिस्तानी सेना के कब्जे में हैं। इस वीडियो की प्रमाणिकता इस बात से और बढ़ जाती है क्योंकि ये वीडियो पाकिस्तान के सरकारी ट्विटर हैंडल से जारी किए गए थे। हालांकि, वीडियो पोस्ट करने के थोड़ी देर बाद ही ट्वीट्स को डिलीट कर दिया गया था।
वीडियो और जो तस्वीरें सामने आई हैं उनसे पता चल रहा है कि अभिनंदन के साथ जमकर मारपीट की गई है। उनका चेहरा लहूलुहान है। उनके यूनिफॉर्म पर उनका नाम लिखा है। एक वीडियो में दिखाया जा रहा है कि उन्हें किसी कमरे में ले जाया गया है। जहां अभिनंदन पूछ रहे हैं कि क्या वो किसी पाकिस्तानी सेना के अधिकारी से मुखातिब हैं। जिसका जवाब उन्हें हां में मिलता है। अभिनंदन दोबारा पूछते हैं कि क्या वो पाकिस्तानी सेना के कब्जे में हैं, जिसका जवाब उन्हें नहीं मिलता है। इसी वीडियो में अभिनंदन अपना नाम और सर्विस नंबर बताते हैं। साथ ही कहते हैं, वो इससे ज्यादा और कोई जानकारी नहीं दे सकते हैं।
खास ये है कि भारत का ये निडर योद्धा दुश्मन देश के कब्जे में होने के बावजूद किस कदर निर्भीक है। उसके शब्द कितने सधे हैं, डर का नामोनिशान नहीं है। उनके इस जज्बे को सलाम। वहीं, दो अन्य वीडियो में स्थानीय जनता अभिनंदन के साथ मारपीट कर रही है। वीडियो में ये भी दिखाने की कोशिश की जा रही है कि बेशक लोकल लोग उनके साथ मारपीट और गाली-गलौज कर रहे हैं लेकिन पाकिस्तानी सेना के जवान उन्हें लोगों से बचा रहे हैं।
उम्मीद की जानी चाहिए कि राजयनिक मोर्चे पर मुस्तैदी दिखाते हुए सरकार जल्द से जल्द अभिनंदन की सकुशल वतन वापसी का इंतजाम करेगी। साथ ही, अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर इस बात के लिए पाकिस्तान की जवाबदेही तय तरेगी कि कैसे उन्होंने युद्ध बंदियों को लेकर हुए जेनेवा संधि का उल्लंघन किया है। क्योंकि जेनेवा संधि के मुताबिक युद्ध बंदियों को ना तो डराया-धमकाया जा सकता है ना ही उन्हें अपमानित किया जा सकता है। जबकि वायरल हो रहे वीडियो में साफ दिख रहा है कि उनके साथ मारपीट और गाली गलौज की जा रही है। संधि के मुताबिक, युद्धबंदी पर या तो मुकदमा चलाया जा सकता है या फिर युद्ध के बाद उन्हें लौटाना होता है।
इस संधि का एक पहलू ये भी है कि पकड़े गए युद्ध बंदी को अपना नाम, सैन्य पद और सर्विस नंबर बताना होता है, जो अभिनंदन ने पहले ही बता दिया है। ऐसे में पाकिस्तान को चाहिए कि अभिनंदन के साथ संधि के अनुसार ही व्यवहार किया जाए।
क्या कहती है जेनेवा संधि?
- यह संधि 1949 में लागू हुई, जिसका मकसद उन सैनिकों की रक्षा करना है जो दुश्मन के कब्जे में हैं।
- सैनिक के पकड़े जाते वक्त ही संधि प्रभावी हो जाती है, इसके लिए कोई मोहलत या औपचारिकता नहीं होती।
- सैनिक को बंदी बनाने वाले देश को उसके साथ मानवीय बर्ताव करना होता है।
- इस संधि के तहत किसी भी युद्धबंदी को प्रताड़ित या अपमानित नहीं किया जा सकता है।
- पकड़े गए सैनिक से उसकी जाति, नस्ल, धर्म जैसी बातों के बारे में नहीं पूछा जा सकता है।
- यह भी स्पष्ट किया गया है कि जरूरत पड़ने पर कैदी सिर्फ अपना नाम, जन्मतिथि, रैंक और सर्विस नंबर ही बताएगा।
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