Drone Attack: ड्रोन के खतरों से निपटने के लिए क्यों तैयार रहना है जरूरी? जानें एक्सपर्ट्स की राय

ड्रोन हमले (Drone Attack) को एक सस्ता और असान विकल्प (Option) माना जाता है। इसीलिए ड्रोन का इस्तेमाल अब तेजी से बढ़ रहा है।

Pak Drone

सांकेतिक तस्वीर

ड्रोन (Drone) से हमले करना कोई नई बात नहीं है, इससे पहले भी कई बार सैन्य ठिकानों (Military Bases) को निशाना बनाया गया है और इन तरीकों का इस्तेमाल कर ड्रोन (Drone) से हमला किया गया है।

नई दिल्ली: 27 जून को जम्मू में इंडियन एयरफोर्स स्टेशन पर हुए ड्रोन अटैक के बाद सुरक्षाबलों के लिए चुनौतियां और भी ज्यादा बढ़ गई हैं क्योंकि कम या बिना आवाज के उड़ान भरने वाले ड्रोन्स (Drones) का पता लगाना काफी मुश्किल होता है।

ऐसे ड्रोन्स (Drones) तबाही को अंजाम देने वाले उपकरण (Equipment) हो सकते हैं। ऐसा ही ड्रोन (Drone) अभी हाल ही में 27 जून को हुए हमले में देखा गया था। इस हमले के बाद से अब यह मांग उठ रही है कि भारत के पास ऐसे ड्रोन्स (Drones) के हमलों से निपटने का इंतजाम होना चाहिए।

आखिर एंटी ड्रोन तकनीक क्यों जरूरी है?

दरअसल ड्रोन (Drone) से हमले करना कोई नई बात नहीं है, इससे पहले भी कई बार सैन्य ठिकानों (Military Bases) को निशाना बनाया गया है और इन तरीकों का इस्तेमाल कर ड्रोन (Drone) से हमला किया गया है। प्रशिक्षित (Trained) ईगल, रेडियो जैमिंग टेक्नोलॉजी और ड्रोन को नीचे लाने के लिए लेजर बीम-ड्रोन अटैक का तरीका अभी भी विकसित (Developed) हो रहा है क्योंकि तबाही के सस्ते विकल्पों (Cheap Options) के साथ चुनौतियां बदलती रहती हैं। ऐसे में ड्रोन हमले (Drone Attack) को एक सस्ता और असान विकल्प (Option) माना जाता है। इसीलिए ड्रोन का इस्तेमाल अब तेजी से बढ़ रहा है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

एक्सपर्ट ग्रुप कैप्टन आरके नारंग का कहना है कि भारत में कई इनोवेटर्स हैं, ये वो समय है जब हमें मौजूदा क्षमताओं (Existing Capabilities) का इस्तेमाल करना चाहिए, और इस पर काम करना चाहिए। अगर हम इसे प्राथमिकता (Priority) देते हैं तो कम समय में नई टेक्नालॉजी प्राप्त कर सकते हैं।

Drone के हमलों को कैसे रोका जाए

इस सवाल पर ज्यादातर एक्सपर्ट्स इजरायल का उदाहरण देते हैं। दरअसल इजरायल के पास Iron Drome नाम का एयर डिफेंस सिस्टम है इसमें रडार और इंटरसेप्‍टर मिसाइलें लगी होती हैं,  जिनका इस्तेमाल किसी रॉकेट, मिसाइल, एयरक्राफ्ट ड्रोन को न्यूट्रलाइज करने में होता है। ये बहुत ही तेजी के साथ किसी संदिग्ध (Doubtful) ड्रोन को मार गिराता है। इस 360 डिग्री रडार सिस्टम में इनबिल्ट कैमरे हैं। बता दें कि ये राफेल वेबसाइट का कहना है कि ड्रोन डोम सिस्टम 3.5 किमी की दूरी पर स्थित छोटे से छोटे टारगेट का पता लगा सकता है।

क्या है SMASH 2000

SMASH 2000 एक राइफल पर फीट किया गया है और इसका इस्तेमाल ड्रोन को नीचे गिराने के लिए किया जा सकता है। बता दें कि इंडियन नेवी ने पहले ही इजरायली एंटी-ड्रोंस स्मैश राइफल्स का विकल्प (Option) चुना है। और अब दूसरी सेना भी इसे लेने पर विचार कर सकती है। बता दें कि इजराइली कंपनी शार्पशूटर द्वारा विकसित (Developed) किया गया है।

भारत के पास क्या हैं विकल्प ?

बता दें कि DRDO ने ड्रोन का पता लगाने और उन्हें रोकने और उन्हें मार गिराने के लिए एक एंटी-ड्रोन तकनीक विकसित (Developed) की है, जिसकी टेस्टिंग अभी चल रही है। इस पर DRDO के अध्यक्ष जी सतीश रेडडी का कहना है कि इसमें सॉफ्ट किल और हार्ड किल दोनों क्षमताएं (Capabilities) हैं। हम सभी सुरक्षा एजेंसियों के साथ बातचीत कर रहे हैं और सिस्टम को और भी बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होने बताया कि सिस्टम को विकसित कर लिया गया है और टेस्टिंग भी की जा रही है।

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