Coronavirus Vaccine: इस जीव के नीले खून से तैयार होगी कोरोना वैक्सीन, होश उड़ा देगी कीमत

एक खास तरह के केकड़े से कोविड-19 (COVID-19) के लिए एक प्रभावी टीका बनाया जाएगा। हॉर्शू क्रैब (Horseshoe Crab) नाम का जीव कोरोना का टीका बनाने में काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।

Horseshoe Crab

Horseshoe Crab

हॉर्स शू क्रैब नामक इस प्रजाति के केकड़ों का खून पहले से ही मेडिकल साइंस में उपयोग हो रहा है। इससे इस बात की जांच होती है कि अस्पतालों में इस्तेमाल होने वाले मेडिकल उपकरण बैक्टीरिया-फ्री हैं या नहीं।

कोरोना वायरस से इस वक्त पूरी दुनिया त्रस्त है। इस साल इस वायरस से फैली महामारी ने पूरी दुनिया में आतंक मचा रखा है। दुनियाभर के डॉक्टर और वैज्ञानिक इस बीमारी से लड़ने वाली वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं। अब खबर आ रही है कि एक खास तरह के केकड़े से कोविड-19 (COVID-19) के लिए एक प्रभावी टीका बनाया जाएगा। हॉर्शू क्रैब (Horseshoe Crab) नाम का जीव कोरोना का टीका बनाने में काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।

मेडिकल साइंस में सालों से हो रहा उपयोग: बता दें कि हॉर्स शू क्रैब नामक इस प्रजाति के केकड़ों का खून पहले से ही मेडिकल साइंस में उपयोग हो रहा है। इससे इस बात की जांच होती है कि अस्पतालों में इस्तेमाल होने वाले मेडिकल उपकरण बैक्टीरिया-फ्री हैं या नहीं। अगर जांच न हो तो लगभग सभी मरीज जानलेवा संक्रमण का शिकार हो सकते हैं। बताया जाता है कि हॉर्स शू केकड़े (Horseshoe Crab) के खून का इस्तेमाल साल 1970 से वैज्ञानिक कर रहे हैं।

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मादा हॉर्शू क्रैब देती है लगभग 1,00,000 अंडे: अटलांटिक, हिंद और प्रशांत महासागर में पाए जाने वाले हॉर्स शू केकड़े (Horseshoe Crab) दुनिया के कुछ सबसे पुराने जीवों में से हैं। गर्मी के महीनों के दौरान खासकर रूप से एक पूर्णिमा की रात को, कई हॉर्शू क्रैब समुद्र के मध्य से तट पर अंडे देने के लिए आते हैं। मादा हॉर्शू क्रैब लगभग 1,00,000 अंडे देती हैं। इस केकड़े की 10 आंखें होती हैं।

डायनासोर से भी पहले से हैं पृथ्वी पर: माना जाता है कि ये धरती पर डायनासोर (dinosaur) से भी पहले से हैं। 2019 में हुए एक मॉलिक्युलर एनालिसिस में पाया गया कि ये केकड़े इस ग्रह पर 30 करोड़ सालों से भी ज्यादा समय से हैं। यही वजह है कि इन्हें लिविंग फॉसिल्स की श्रेणी में रखा गया। यानी वे जीव, जिनके भीतर ऐसी खूबियां हैं जो सिर्फ फॉसिल (जीवाश्म) हो चुके जंतुओं के रिकॉर्ड में मिलती हैं। 

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क्यों होता है इनका खून नीला: विपरीत हालातों के बावजूद करोड़ों साल से सर्वाइव कर रहे हॉर्स शू (Horseshoe Crab) में कई खासियतें हैं जैसे इसका खून नीले रंग का होता है। हमारे या लगभग सभी स्तनधारियों के खून का रंग लाल हैं क्योंकि इसमें आयरन वाला हीमोग्लोबिन होता है जो ऑक्सीजन को कैरी करता है। वहीं, इस अनोखे जीव में आयरन की बजाए कॉपर यानी तांबे वाला hemocyanin नाम का केमिकल होता है, जो हीमोग्लोबिन की तरह काम करता है। इसी की उपस्थिति के कारण इस केकड़े का खून नीला होता है।

जहरीले पदार्थों को आसानी से पहचान लेता है: केकड़ों के दूधिया-नीले खून में वो तत्व पाया जाता है जो जहरीले पदार्थों को आसानी से पहचान लेता है। उसके खून में इस तत्व को limulus amebocyte lysate (LAL) कहते हैं। ये खासकर एंडोटॉक्सिन को आसानी से पहचान लेता है। एंडोटॉक्सिन वो पदार्थ है जो किसी बैक्टीरिया के खत्म होने पर उसके शरीर से रिलीज होता है। सारे ही एंडोटॉक्सिन इतने खतरनाक होते हैं कि अगर अस्पताल में सर्जरी के किसी उपकरण या इंजेक्शन पर भी इसकी सूक्ष्म मात्रा भी रह जाए तो मरीज की जान जा सकती है। इस केकड़े का खून इसी एंडोटॉक्सिन को पहचान लेता है।

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इनके खून से ऐसे मर जाते हैं जर्म्स: पहचानने के बाद केकड़ों के शरीर से एक केमिकल निकलता है जो उस जगह के खून को जमा देता है जो बैक्टीरिया के संपर्क में आया हो। जमे हुए खून के भीतर बैक्टीरिया या जर्म्स कैद होकर मर जाते हैं। कुल मिलाकर ये समझ सकते हैं कि इनके खून से ये पक्का होता है कि कहीं दवा में या मेडिकल उपकरण में कोई खतरनाक बैक्टीरिया तो नहीं।

दवाओं को बनाया जाता है सुरक्षित: यह जीव एक बार फिर इस साल सुर्खियों में आया क्योंकि वैज्ञानिक अब इस खास केकड़े से ही कोरोना वायरस का टीका (Vaccine) तैयार कर रहे हैं। दवा कंपनियों का मानना है कि इस जीव के खून से बहुत सारी दवाओं को सुरक्षित बनाया जाता है। इसके खून में लिमुलस अमीबोसाइट लाइसेट (limulus amebocyte lysate) नाम का तत्व होता है जो शरीर में एंडोटॉक्सिन (Endotoxin) नाम का बुरा रासायनिक तत्व खोजता है। ये तत्व किसी भी संक्रमण के दौरान शरीर में निकलता है।

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कोरोना वैक्सीन की जांच में मदद ली जाएगी इसकी मदद: अब कोरोना के मामले में भी वैक्सीन जहरीला है या नहीं, इसकी जांच करने के लिए इसकी मदद ली जाने वाली है। जुलाई की शुरुआत में स्विट्जरलैंड की दवा कंपनी लोंजा ने अपने कोविड-19 वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल के लिए तैयारी कर रही है। अमेरिका में ट्रायल करने के लिए दवा कंपनी को भारी मात्रा में लिमुलस अमीबोसाइट लाइसेट (limulus amebocyte lysate) की जरूरत पड़ेगी, जो हॉर्सशू क्रैब से मिलेगा।

करीब 12 लाख रुपए प्रति लीटर है कीमत: ब्लूमबर्ग के अनुसार, इन केकड़ों को पकड़ना और उनके खून को प्रयोग में लाने में करीब $ 60,000 प्रति गैलन (लगभग 16,000 डॉलर प्रति लीटर) खर्च होता है। मतलब इसकी कीमत 1198920.00 रुपए प्रति लीटर है। यह दुनिया का सबसे महंगा तरल पदार्थ भी कहा जाता है। इसे ‘ब्लू गोल्ड’ का नाम दिया गया है।

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ऐसे निकाला जाता है खून: हॉर्स शू केकड़ों (Horseshoe Crab) का खून उनके दिल के पास छेद करके निकाला जाता है। एक केकड़े से तीस फीसदी खून निकाला जाता है फिर उन्हें वापस समंदर में छोड़ दिया जाता है। 10 से 30% केकड़े खून निकालने की प्रक्रिया में मर जाते हैं। इसके बाद बचे मादा केकड़ों को प्रजनन में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

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हर साल पांच करोड़ हॉर्स शू केकड़ों का होता है इस्तेमाल: अटलांटिक स्टेट्स मरीन फिशरीज कमीशन के अनुसार, हर साल पांच करोड़ अटलांटिक हॉर्स शू केकड़ों (Horseshoe Crab) का इस्तेमाल मेडिकल कामों में होता है। यही वजह है कि वन्यजीव संरक्षणकर्ता परीक्षण के लिए सिंथेटिक विकल्पों का उपयोग करने की बात कर रहे हैं, क्योंकि कोविड-19 (COVID-19) वैक्सीन बनाने में हॉर्शू क्रैब का अस्तित्व खतरे में आ जाएगा।

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