HAL ने किया स्वदेशी स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन का सफल परीक्षण, ‘हॉक आई’ से लगाया सटीक निशाना

Smart Anti-Airfield Weapon Test: चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा पर चल रहे तनाव के बीच भारत लगातार अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत कर रहा है। इसके अलावा अब भारत का पूरा फोकस स्वदेशी हाईटेक उपकरणों पर है।

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हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने 21 जनवरी को ओडिशा अपतटीय क्षेत्र में हॉक-आई विमान से एक स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन (SAAW) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।

Smart Anti-Airfield Weapon Test: चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा पर चल रहे तनाव के बीच भारत लगातार अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत कर रहा है। इसके अलावा अब भारत का पूरा फोकस स्वदेशी हाईटेक उपकरणों पर है। इसी कड़ी में हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने 21 जनवरी को ओडिशा अपतटीय क्षेत्र में हॉक-आई विमान से एक स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन (SAAW) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।

इस दौरान SAAW ने अपने लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेद दिया। ऐसे में इस परीक्षण को आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। एचएएल के परीक्षण पायलटों रिटायर्ड विंग कमांडर पी अवस्थी और रिटायर्ड विंग कमांडर एम पटेल ने हॉक-एमकेआई 132 विमान से उड़ान भरी और इस हथियार का परीक्षण किया।

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एचएएल ने एक बयान में कहा कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की अनुसंधान केंद्र इमारत (आरसीआई) द्वारा विकसित यह स्वदेशी अस्त्र भारतीय हॉक-एमके132 द्वारा दागा गया पहला स्मार्ट वेपन है। एचएएल ने कहा, परीक्षण ने सभी मिशन उद्देश्यों को पूरा किया।

नौसेना और वायुसेना के लिए इस स्मार्ट हथियार को खरीदने के लिए सरकार बीते साल सितंबर में मंजूरी दे चुकी है। एचएएल के सीएमडी आर माधवन ने कहा, “डीआरडीओ और सीएसआईआर प्रयोगशालाओं द्वारा स्वदेश में विकसित प्रणालियों तथा अस्त्रों के प्रामाणीकरण के लिए कंपनी के स्वामित्व वाले हॉक-आई प्लैटफॉर्म का व्यापक इस्तेमाल किया जा रहा है।”

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बता दें कि SAAW पूरी तरह से भारत में बना है, जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है। इस हथियार का वजन करीब 120 किलोग्राम होता है। जिसका इस्तेमाल दुश्मन के बंकर, एयरक्राफ्ट, रनवे आदि का ध्वस्त करने में किया जाता है। वहीं इसकी मारक क्षमता करीब 100 किलोमीटर है। साथ ही हल्के वजन की वजह से इसे बेहतरीन गाइडेड बम माना जाता है।

भारतीय वायुसेना में शामिल होने पर इस हथियार को राफेल के साथ एकीकृत करने की योजना है। इस परियोजना को 2013 में केंद्र सरकार ने मंजूरी दी थी। हथियार का पहला सफल परीक्षण मई, 2016 में किया गया था। इसके बाद नवंबर, 2017 में एक और सफल परीक्षण किया गया था। इसके बाद 16 और 18 अगस्त, 2018 के बीच तीन सफल परीक्षण किए गए, जिससे कुल परीक्षणों की संख्या आठ हो गई। 21 जनवरी को किया गया परीक्षण 9वां था।

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पिछले महीने DRDO ने भारतीय सेना के लिए विकसित मीडियम रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था। उस दौरान भी मिसाइल ने अपने लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेदा था। नवंबर में भी डीआरडीओ दो क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (QRSAM) का सफल परीक्षण कर चुकी है। चीन और पाकिस्तान से चल रहे विवाद के बीच दोनों को भारत के लिए बड़ी सफलता मानी जा रही है।

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