देश-विदेश में स्वदेशी तेजस की धूम, एयरो शो के पहले ही दिन 48 हजार करोड़ की हुई डील

तेजस (Tejas Fighter Jet) को उड़ान भरने के लिए दूसरे विमानों की तरह ज्यादा जगह की जरूरत नहीं है। यह 500 मीटर से भी कम जगह में उड़ान भर सकता है।

Tejas fighter jet

Tejas Light Combat Aircraft

बेंगलुरू में शुरू हुये एयरो शो में भारत सरकार ने 83 तेजस हल्के लड़ाकू विमान (Tejas Fighter Jet) खरीदने के लिए हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ 48,000 करोड़ रुपए का करार किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में महानिदेशक वीएल कांत राव ने एचएएल के चेयरमैन को इस करार की प्रति सौंपी।

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स्वदेशी तेजस (Tejas Fighter Jet) एक इंजन वाला, बेहद कुशल मल्टी कॉम्बैट सुपरसोनिक लड़ाकू विमान है। सुरक्षा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) ने भारतीय वायुसेना की लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाने के लिए पिछले माह एचएएल से 73 तेजस एमके-1ए और 10 एलसीए तेजस एमके-1 ट्रेनी विमानों की खरीद की मंजूरी दी थी।

गौरतलब है कि तेजस (Tejas Fighter Jet) परियोजना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 2003 में शुरू की थी। इस लड़ाकू विमान को तेजस नाम खुद वाजपेयी जी ने ही दिया था। संस्कृत के शब्द तेजस का अर्थ है अत्यधिक ताकतवर ऊर्जा। एचएएल ने इस विमान को लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) के प्लेटफॉर्म पर तैयान किया है। जो कि एक मल्टी रोल फाइटर जेट है। 

तेजस विमान (Tejas Fighter Jet) ने अपनी तमाम खूबियों के कारण कई विमानों को दरकिनार कर दिया है। जंग के मैदान में अचूक क्षमता और दुश्मनों के हमले से निपटने की कलाबाजी के कारण ही आज ये दुनिया भर में ख्याति प्राप्त कर रहा है। लगातार हमला करने में भी तेजस माहिर है, साथ ही सही ठिकाने पर हथियार गिराने की भी अचूक क्षमता रखता है। 

वहीं अगर रखरखाव की बात की जाए तो तेजस (Tejas Fighter Jet) रूस निर्मित सुखोई-30 से काफी सस्ता और उपयोगी है। क्योंकि हाई मेंटिनेंस के कारण सुखोई-30 के 60 फीसदी विमान मिशन के लिए मौजूद रहते हैं, क्योंकि बाकी बचे विमानों की मरम्मत चलती रहती है। वहीं तेजस के 70 फीसदी से ज्यादा विमान उड़ान के लिए तैयार रहते हैं और एचएलए इस क्षमता को और बढ़ाने की दिशा में भी काम कर रहा है।  

तेजस (Tejas Fighter Jet) को उड़ान भरने के लिए दूसरे विमानों की तरह ज्यादा जगह की जरूरत नहीं है। यह 500 मीटर से भी कम जगह में उड़ान भर सकता है। अरेस्ट लैंडिंग के दौरान युद्धपोत या हवाई पट्टी पर लगा एक तार विमान से जुड़ जाता है जिससे विमान कम से कम दूरी में रुक सकता है। कई बार तार के बजाय छोटे पैराशूट का भी इस्तेमाल किया जाता है। इसमें हवा भरने से विमान की स्पीड कम हो जाती है।

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