किसानों को मनाने की सरकार की एक और कोशिश, बातचीत के लिए सरकार ने 40 किसान नेताओं को दिया न्योता

सरकार ने किसान यूनियनों (Farmers Union)  का धन्यवाद भी व्यक्त किया कि क्रांतिकारी किसान यूनियन पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष दर्शन पाल ने 20 दिसंबर के सरकार के पत्र के जवाब में प्रदर्शनकारी सभी किसान संगठनों की ओर से पत्र लिखा था।

PM Modi

केंद्र की मोदी सरकार ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान यूनियनों (Farmers Union)  को बातचीत के लिए बृहस्पतिवार को फिर आमंत्रित किया। इस दौरान सरकार ने स्पष्ट किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित किसी भी नई मांग को एजेंडे में शामिल करना ‘‘तार्किक’’ नहीं होगा क्योंकि यह नए कृषि कानूनों के दायरे से परे है।

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 कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने 40 किसान नेताओं को लिखे तीन पन्नों के अपने लेटर में कहा, ‘‘मैं आपसे फिर आग्रह करता हूं कि प्रदर्शन को समाप्त कराने के लिए सरकार सभी मुद्दों पर खुले मन से और अच्छे इरादे से चर्चा करती रही है तथा ऐसा करती रहेगी। कृपया अगले दौर की बातचीत के लिए तारीख और समय बताएं।’’

गौरतलब है कि सरकार और किसान संगठनों के बीच पिछले पांच दौर की बातचीत का अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर करीब एक महीने से प्रदर्शन कर रहे किसान तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हैं। इनमें ज्यादातर किसान पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से हैं।

संयुक्त सचिव ने किसान यूनियनों (Farmers Union)  के नेताओं से कहा कि वे उन अन्य मुद्दों का भी ब्योरा दें जिनपर वे चर्चा करना चाहते हैं। बातचीत मंत्री स्तर पर दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित होगी।

वहीं संयुक्त सचिव अग्रवाल ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के मुद्दे पर कहा कि कृषि कानूनों का इससे कोई लेना-देना नहीं है और न ही इसका कृषि उत्पादों को तय दर पर खरीदने पर कोई असर पड़ेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि यूनियनों को प्रत्येक चर्चा में यह बात कही जाती रही है और यह भी स्पष्ट किया गया है कि सरकार एमएसपी (MSP) पर लिखित आश्वासन देने को भी तैयार है।

संयुक्त सचिव अग्रवाल ने आगे कहा, ‘‘एमएसपी (MSP) से जुड़ी किसी भी नयी मांग को, जो कृषि कानूनों के दायरे से परे है, बातचीत में शामिल करना तार्किक नहीं है। जैसा कि पहले ही सूचित किया जा चुका है, सरकार किसान यूनियनों (Farmers Union)  के उठाए गए सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार है।’’

उनका लेटर संयुक्त किसान मोर्चे के 23 दिसंबर के उस लेटर के जवाब में आया है जिसमें कहा गया है कि यदि केंद्र सरकार संशोधन संबंधी खारिज किए जा चुके बेकार के प्रस्तावों को दोहराने की जगह लिखित में कोई ठोस प्रस्ताव लाती है तो किसान यूनियन बातचीत के लिए तैयार हैं। सरकार ने अपने नए लेटर में आश्वस्त किया है कि वह किसान यूनियनों (Farmers Union)  के उठाए गए मुद्दों का ‘‘तार्किक समाधान’’ खोजने के लिए तैयार है।

संयुक्त सचिव ने बताया कि केंद्र सरकार के लिए बातचीत के सभी दरवाजे खोलकर रखना जरूरी है। किसान यूनियनों (Farmers Union)  की बात सुनना सरकार की जिम्मेदारी है और किसान और सरकार इससे इनकार नहीं कर सकते। संयुक्त किसान मोर्चे के तहत आने वाले किसान संगठनों से सरकार खुले मन से कई दौर की बातचीत कर चुकी है।

साथ ही संयुक्त सचिव अग्रवाल ने आग्रह किया कि किसान यूनियन अपनी सुविधा के हिसाब से अगले दौर की बातचीत के लिए तारीख और समय बताएं। संयुक्त सचिव ने यह स्पष्ट करने के लिए किसान यूनियनों (Farmers Union)  का धन्यवाद भी व्यक्त किया कि क्रांतिकारी किसान यूनियन पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष दर्शन पाल ने 20 दिसंबर के सरकार के पत्र के जवाब में प्रदर्शनकारी सभी किसान संगठनों की ओर से पत्र लिखा था।

संयुक्त सचिव ने किसान नेताओं के नाम अपने पत्र में लिखा है, ‘‘आपने रेखांकित किया है कि सरकार ने आवश्यक वस्तु संशोधन कानून के संबंध में प्रस्ताव नहीं भेजा है। पूर्व के पत्र में यह स्पष्ट कर दिया गया था कि लिखित प्रस्ताव उन मुद्दों पर दिया जाएगा जिनपर तीन दिसंबर को चर्चा की गई थी। फिर भी, सरकार ने 20 दिसंबर के अपने पत्र में कहा कि वह अन्य उन मुद्दों पर भी चर्चा करने के लिए तैयार है जिन्हें किसान यूनियन उठाना चाहेंगी।

सरकार ने विद्युत संशोधन विधेयक और पराली जलाने से संबंधित कानून के संबंध में कहा कि तीन दिसंबर की चर्चा के आधार पर दिया गया मसौदा प्रस्ताव के अतिरिक्त यदि किसानों का कोई अन्य मुद्दा है तो सरकार चर्चा करने के लिए तैयार है।

 

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