CDS जनरल बिपिन रावत ने कहा- लद्दाख में PLA से निपटने के लिए मौजूद है सैन्य विकल्प

भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि लद्दाख में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा किए गए बदलावों से निपटने के लिए एक सैन्य विकल्प मौजूद है।

General Bipin Rawat

चीफ ऑफ डिफेंस स्‍टाफ जनरल बिपिन रावत। (फाइल फोटो)

भारत-चीन के बीच जारी सीमा विवाद पर चीफ ऑफ डिफेंस स्‍टाफ जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) ने बड़ा बयान दिया है। भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि लद्दाख में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा किए गए बदलावों से निपटने के लिए एक सैन्य विकल्प मौजूद है।

साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि केवल दो देशों की सेनाओं के बीच बातचीत होने पर ही उसका इस्तेमाल किया जा सकेगा वरना राजनियक विकल्प अधूरा है।

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जनरल रावत (General Bipin Rawat) ने हिंदुस्‍तान टाइम्‍स (एचटी) को बताया, “एलएसी के साथ हुए बदलाव अलग-अलग धारणाओं के कारण होते हैं। रक्षा सेवाओं पर निगरानी रखने, निगरानी करने और घुसपैठ को रोकने के लिए ऐसे अभियानों को रोकने का काम सौंपा जाता है। किसी भी ऐसी गतिविधि को शांतिपूर्वक हल करने और घुसपैठ को रोकने के लिए सरकार के संपूर्ण दृष्टिकोण को अपनाया जाता है। रक्षा सेवाएं हमेशा सैन्य कार्यों के लिए तैयार रहती हैं, फिर चाहें उसमें एलएसी के साथ यथास्थिति को बहाल करने के सभी प्रयासों का सफल न होना ही शामिल क्यों न हो।”

उन्‍होंने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और राष्‍ट्रीय सुरक्षा के जिम्‍मेदार लोग इस कोशिश के साथ सभी विकल्‍पों पर विचार कर रहे हैं कि पीएलए लद्दाख में पहले जैसी स्थिति में लौट जाए। जनरल रावत ने कहा कि सरकार शांतिपूर्ण ढंग से मामला सुलझाना चाहती है। उन्‍होंने इशारा किया कि पूर्वी लद्दाख में सेनाओं की तैयारी पूरी है।

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उन्‍होंने कहा, “LAC पर अतिक्रमण अलग-अलग नजरिये की वजह से होता है। रक्षा सेवाओं का काम निगरानी रखना और ऐसे अतिक्रमण को घुसपैठ में तब्‍दील होने से रोकने का है। सरकार चाहती है कि शांतिपूर्ण तरीके से मसले सुलझाए जाएं। अगर LAC पर पूर्वस्थिति बहाल करने की कोशिशें सफल नहीं होती हैं तो सैन्‍य कार्रवाई के लिए रक्षा सेवाएं हमेशा तैयार रहती हैं।”

जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) ने कहा कि भारत के हिंद महासागर क्षेत्र के साथ-साथ उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर एक विशाल फ्रंट-लाइन है, जिसकी सभी को लगातार निगरानी की आवश्यकता है। भारत अभी भी अपने हित के क्षेत्रों पर नजर रखने के लिए चौबीसों घंटे क्षमताओं का अधिग्रहण करने की दिशा में काम कर रहा है। सूचनाओं के संग्रहण और संयोजन के लिए जिम्मेदार सभी एजेंसियों के बीच नियमित रूप से बातचीत होती है। मल्टी-एजेंसी सेंटर हर रोज बैठकें कर रहा है जिनमें लगातार लद्दाख या किसी अन्य क्षेत्र में जमीन की स्थिति को लेकर बातचीत होती है।

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जनरल रावत (General Bipin Rawat) ने कहा कि भारत की इतनी लंबी सीमा है कि उसकी लगातार निगरानी करने की जरूरत पड़ती है। उन्‍होंने कहा कि मल्‍टी-एजेंसी सेंटर की रोज मीटिंग हो रही है। एक-दूसरे को लद्दाख व अन्‍य जगहों की जानकारी दी जा रही है। बता दें कि 2017 में पीएलए के खिलाफ डोकलाम में 73 दिन के सैन्य गतिरोध के दौरान सेना प्रमुख रहे सीडीएस रावत ने इस धारणा को भी खारिज कर दिया कि प्रमुख खुफिया एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी है।

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