छत्तीसगढ़: बलरामपुर में सरपंच से 10 लाख की लेवी मांगने वाला पूर्व नक्सली साथी सहित गिरफ्तार, कई नक्सली पर्चे भी बरामद

पुलिस पूर्व नक्सली नेपाली (Naxali) को संबंधित धाराओं में गिरफ्तार करके पूरे मामले की छानबीन कर रही है। साथ ही ये भी पता लगाया जा रहा है कि क्या वाकई में नेपाली का अभी भी किसी नक्सली संगठन या नेता से कोई संबंध है या नहीं।

Naxalites

प्रतीकात्मक तस्वीर

छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में चांदो थाने के तहत आने वाले खजुरियाडीह गांव की महिला सरपंच को धमकाकर 10 लाख रुपए की रंगदारी मांगने के आरोप में पुलिस ने पूर्व नक्सली (Naxali) को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने नक्सलियों के पूर्व कमांडर जोनल कमांडर प्रवीण खेस उर्फ नेपाली और उसके एक साथी संजय लोहार को अलग-अलग इलाकों से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। 

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बलरामपुर के एसपी रामकृष्ण साहू के अनुसार, पूर्व नक्सली नेपाली (Naxali) को पड़ोसी सरगुजा जिले के मैनपाट इलाके से और लोहार को बलरामपुर के ही राजपुर इलाके से गिरफ्तार किया गया है। पिछले महीने खजुरियाडीह गांव की सरपंच संगीता पैकरा ने पुलिस में मामला दर्ज कराई कि दो फरवरी को कुछ लोग उनके घर पहुंचे और नक्सलियों के नाम पर धमकी देकर उससे 10 लाख रुपए लेवी की मांग की।

एसपी के मुताबिक, पुलिस छानबीन में सामने आया कि पूर्व नक्सली नेपाली (Naxali) के साथ चार और लोग भी शामिल हैं। ऐसे में उन चारों संदिग्धों को हिरासत में लेने के बाद नेपाली की तलाश शुरू की गई। 

एसपी के अनुसार, झारखंड निवासी नेपाली और लोहार को मंगलवार को गिरफ्तार किया गया। इस दौरान इनसे माओवादियों की कोयल शंख जोनल कमेटी के आठ पर्चे भी बरामद किए गए। माओवादियों की ये कमेटी झारखंड-छत्तीसगढ़ बॉर्डर पर सक्रिय है। ऐसे में नक्सलियों के नाम पर्चे का उपयोग नेपाली सरपंचों सहित इलाके के दूसरे संपन्न लोगों से अवैध उगाही के लिए करने की तैयारी में था। 

एसपी ने कहा कि पूर्व नक्सली नेपाली (Naxali) को इससे पहले नक्सली गतिविधि में शामिल होने के आरोप में भी गिरफ्तार किया जा चुका है। कई साल जेल में रहने के बाद उसे साल 2009 में रिहा कर दिया गया था और तभी से वह एक सामान्य जीवन बसर कर रहा था। लेकिन पिछले कुछ महीने से उसे बलरामपुर जिले में संदिग्ध गतिविधियों में संलिप्त पाया गया।

ऐसे में पुलिस पूर्व नक्सली नेपाली (Naxali) को संबंधित धाराओं में गिरफ्तार करके पूरे मामले की छानबीन कर रही है। साथ ही ये भी पता लगाया जा रहा है कि क्या वाकई में नेपाली का अभी भी किसी नक्सली संगठन या नेता से कोई संबंध है या नहीं।

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