कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का देशव्यापी भारत बंद आज, सरकार के खिलाफ एकजुट विपक्ष भी बंद में शामिल

किसान नए कृषि कानूनों (Farm Bills) को रद्द करने की अपनी मांगों पर अड़े हैं और अपने आंदोलन को धार देने के लिए उन्होंने मंगलवार को चक्काजाम और भारत बंद का ऐलान किया है।

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Bharat Bandh against Farm Bills

कृषि कानूनों (Farm Bills) को लेकर सोमवार को दिन भर सरकार और विपक्ष के बीच तू–तू मैं–मैं चलती रही और किसान संगठन आज के अपने बंद को सफल बनाने में जुटे रहे। किसान संगठनों की कोशिश है कि राजधानी दिल्ली में बंद का व्यापक असर हो‚ इसलिए वह सीमाएं सील करने और चक्का जाम के प्रयास में लगे हैं।

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किसान नेता दर्शनपाल ने कहा कि सुबह से शाम तक बंद शांतिपूर्ण और स्वेच्छा से होगा‚ इसके लिए किसान कोई दबाव नहीं डाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि बंद के दौरान किसानों के मंच पर किसी राजनेता को नहीं आने दिया जाएगा। किसान नेता ने कहा कि किसान इस बात के लिए तैयार हैं कि बंद के दौरान सरकार ज्यादती कर सकती है या बाजार खोलने के लिए कह सकती है।

किसान नेता कुलवंत सिंह संधू ने कहा कि सभी दल कॉरपोरेट के हिमायती हैं और उनके बीच राजनीतिक रस्सा-कसी में किसानों को नहीं पड़ना। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने किसानों के विषय में कुछ बोला होता तो अवश्य किसान संगठन उसका जवाब देते। किसान नए कृषि कानूनों (Farm Bills) को रद्द करने की अपनी मांगों पर अड़े हैं और अपने आंदोलन को धार देने के लिए उन्होंने मंगलवार को चक्काजाम और भारत बंद का ऐलान किया है।

कुलवंत सिंह संधू ने पूछने पर स्पष्ट किया है कि कृषि कानूनों (Farm Bills) को लेकर उन्हें सरकार से किसी प्रस्ताव का इंतजार नहीं है और न ही उन्हें सरकार को अपने सुझाव फिर से देने की जरूरत है। किसान सरकार की बैठकों में जाते रहेंगे लेकिन जवाब भी मांगेंगे कि कानून खत्म होंगे अथवा नहीं।

सरकार और भाजपा की तरफ से दिल्ली‚ यूपी‚ गुजरात‚ महाराष्ट्र समेत कई स्थानों से केंद्रीय मंत्री‚ मुख्यमंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं को आगे करके बंद का समर्थन करने वाले दलों को कृषि कानूनों (Farm Bills) पर दोगला बताते हुए हमला बोला गया। इसमें तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार के पुराने पत्र दिखाकर कहा गया कि सरकार में रहने पर मंडियों के एपीएमसी एक्ट और अंतर्राज्यीय व्यापार का कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अकसर सभी विपक्षी दलों और तत्कालीन कांग्रेस सरकारों ने समर्थन किया था।

कांग्रेस‚ एनसीपी और सपा ने इसे गलतबयानी बताया। ज्यादा प्रतिक्रिया एनसीपी की तरफ से आई और वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि पवार ने ऐसे एपीएमसी एक्ट की कभी वकालत नहीं की‚ जिसमें सरकारी मंडियां खत्म हो जाएं। सपा नेता अखिलेश यादव जिन्हें ट्रेक्टर पर बैठकर कन्नौज जाने से रोका गया उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानून काले कानून हैं‚ सरकार को इन्हें रद्द करना ही होगा।

पंजाब से आने वाले कांग्रेस के जो सांसद दिल्ली में किसानों के समर्थन में धरने पर बैठे उनमें से मनीष तिवारी ने कहा कि भाजपा कृषि कानूनों  (Farm Bills) को लेकर झूठ परोस रही है और अपनी गलती विपक्ष के सिर मढ़ना चाहती है। वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा सरकार को अंबानी‚ अड़ानी के कानून वापस लेने पड़ेंगे। प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरेजवाला ने सरकार पर कटाक्ष करके कहा कि चोर मचाए शोर। उन्होंने कहा कि आश्चर्य है कि रात के अंधेरे में काले कानून लाने वाली से सरकार कांग्रेस से सवाल पूछ रही है।

 

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