CAA विरोध के दौरान हिंसा के तार PFI से जुड़े, उपद्रवियों को आर्थिक मदद देने का आरोप

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भारतीय जांच एजेंसी ईड़ी को पता चला है कि उत्तर प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में हाल ही में सीएए के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शनों के केरल के संगठन पीआईएफ (PFI) के साथ आर्थिक तार जुड़े थे।

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ED Finds ‘Financial Links’ Between PFI and Anti-CAA Protests in UP. (File Photo)

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडि़या (PFI) की धनशोधन रोकथाम कानून के तहत 2018 से जांच कर रहे ईड़ी ने पता लगाया है कि देश के विभिन्न हिस्सों में संगठन से जुड़े अनेक बैंक खातों में पिछले साल चार दिसम्बर से इस साल छह जनवरी के बीच कम से कम 1.04 करोड़ रुपए जमा किए गए। इसी दौरान संसद ने पाकिस्तान‚ बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़़न झेलने वाले गैर–मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के प्रावधान वाला विधेयक पारित किया था।

सूत्रों ने बताया कि PFI से जुड़़े बैंक खातों में जमा हुए 120 करोड़ रुपए ईड़ी की जांच के घेरे में हैं। सूत्रों ने दावा किया कि ये संदिग्ध हस्तांतरण नकदी में या आईएमपीएस के माध्यम से किए गए और उत्तर प्रदेश में ऐसे मामले बड़़ी संख्या में देखे गए‚ जहां सीएए के विरोध में सर्वाधिक संख्या में प्रदर्शन दर्ज किए गए। ईड़ी के निष्कर्षों के हवाले से सूत्रों ने कहा कि PFI और उससे जुड़ी संस्थाओं से संबंधित बैंक खातों से धन निकासी का सीएए के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों से सीधा संबंध है। सूत्रों ने कहा कि शक है और आरोप हैं कि PFI से जुड़े लोगों ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में सीएए विरोधी प्रदर्शनों को प्रोत्साहित करने के लिए इस पैसे का इस्तेमाल किया।

सूत्रों ने कहा कि उक्त अवधि के दौरान एक दिन में एक बैंक खाते से करीब 80-90 प्रतिशत धन निकालने की घटना सामने आई। सूत्रों ने कहा कि ईड़ी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा विभाग के साथ इन निष्कर्षों को साझा किया है।

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उत्तर प्रदेश पुलिस ने पिछले दिनों PFI पर प्रतिबंध लगा दिया था। इससे कुछ दिन पहले ही सीएए के खिलाफ राज्य में हुए हिंसक प्रदर्शनों में उसकी संदिग्ध संलिप्तता की बात सामने आई थी। इन प्रदर्शनों के दौरान करीब 20 लोगों की मौत हो गई थी। सूत्रों ने बताया कि ईड़ी को पता चला है कि बैंक खातों में जमा किया गया धन कुछ विदेशी स्रोतों से भी आया और कुछ निवेश कंपनियों के खातों में भेजा गया। ईड़ी ने PFI के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी की प्राथमिकी और आरोपपत्र को उसके खिलाफ पीएमएलए का मामला दर्ज करने के लिए आधार बनाया है।

क्या है PFI!

PFI का गठन वर्ष 2006 में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट के सफल होने के बाद किया गया था। धीरे–धीरे इस संगठन से दूसरे कट्टरवादी सोच रखने वाले संगठन भी जुड़ते चले गए। वर्तमान में PFI का असर 16 राज्यों में है और 15 से ज्यादा मुस्लिम संगठन इससे जुड़े हुए हैं। इस संगठन के सदस्यों की संख्या हजारों में पहुंच चुकी है। PFI की एक महिला विंग भी है। यूपी और असम में हिंसक प्रदर्शनों में शामिल रहने से पहले भी यह संगठन कई तरह की गैर कानूनी गतिविधियों में शामिल रहा है। असम और उत्तर प्रदेश में इस संगठन से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी से कई मामलों का खुलासा हुआ है। असम में पीएफाई के प्रमुख अमिनुल हक और उसके प्रेस सचिव मुजीम हक की गिरफ्तारी हुई। वहीं‚ इसके बाद यूपी से भी इस संगठन के प्रमुख वसीम की गिरफ्तारी की गई। इन दोनों के अलावा भी कुछ और लोगों की गिरफ्तारी हुई जो इसी संगठन से जुड़े थे। PFI एक उग्र इस्लामी कट्टरपंथी संगठन है जिसे पिछले वर्ष झारखंड में प्रतिबंधित किया गया था। तत्कालीन झारखंड़ सरकार ने इस संगठन के राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की शिकायत के बाद यह उठाया था। तब झारखंड सरकार ने माना था कि PFI एक ऐसा संगठन है जो आतंकवादी संगठन आईएस से प्रभावित है।

PFI ने खुद को पाक साफ बताया

हालांकि PFI ने कहा कि उसके खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं। संगठन ने कहा‚ हमें विश्वास है कि इन सिलसिलेवार आरोपों की भी दशा पहले जैसी होगी‚ जिन्हें कभी साबित नहीं किया जा सका। उसने कहा‚ उत्तर प्रदेश और असम की सरकारों ने हाल ही में सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हिंसा में पॉपुलर फ्रंट की भूमिका होने का आरोप लगाया था और हमारे राज्य स्तर के नेताओं को भी गिरफ्तार किया। लेकिन उनके दावे केवल कल्पना ही साबित हुए‚ जब वे अदालत में कुछ भी साबित नहीं कर सके और हमारे नेताओं को जमानत पर छोड़़ दिया गया। PFI ने कहा कि वह ‘फासीवादियों के समर्थन वाली ताकतों के ऐसे घटिया अभियान के आगे झुकेगा नहीं जो हमें रोकना चाहती हैं।

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