DRDO ने किया ‘शौर्य मिसाइल’ का सफल परीक्षण, जानें इसकी खूबियां

भारत ने इस आधुनिक मिसाइल का परीक्षण ऐसे समय पर किया है जब एलएसी पर चीन के साथ तनाव चरम पर है। मौजूदा मिसाइलों के मुकाबले यह हल्का है और इस्तेमाल भी आसान है।

Shaurya Missile

Shaurya Missile

DRDO ने 3 अक्टूबर को ओडिशा के बालासोर से शौर्य मिसाइल (Shaurya Missile) के नए वर्जन का सफल परीक्षण किया। जमीन से जमीन पर मार करने वाला यह बैलेस्टिक मिसाइल परमाणु क्षमता से लैस है।

चीन (China) के साथ जारी तनाव के बीच भारत अपनी शक्तियों को मजबूत करने में लगा हुआ है। चीन को हर मोर्चे पर मात देने के लिए भारत (India) पूरी तरह तैयार है। इसके अलावा चीन की हर दिन सामने आ रहीं नई चालबाजियों का जवाब देने के लिए भी भारत पुख्ता इंतजाम कर रहा है।

इसी कड़ी में DRDO ने 3 अक्टूबर को ओडिशा के बालासोर से शौर्य मिसाइल (Shaurya Missile) के नए वर्जन का सफल परीक्षण किया। जमीन से जमीन पर मार करने वाला यह बैलेस्टिक मिसाइल परमाणु क्षमता से लैस है। यह मिसाइल 800 किलोमीटर दूर तक टारगेट को तबाह कर सकता है। यह मिसाइल मौजूदा मिसाइल सिस्टम को मजबूत करेगा। यह संचालन में हल्का और आसान है।

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भारत ने इस आधुनिक मिसाइल का परीक्षण ऐसे समय पर किया है जब एलएसी पर चीन के साथ तनाव चरम पर है। मौजूदा मिसाइलों के मुकाबले यह हल्का है और इस्तेमाल भी आसान है। बता दें कि शौर्य मिसाइल (Shaurya Missile) का पहला परीक्षण 2008 में ओडिशा के चांदीपुर समेकित परीक्षण रेंज से किया गया था।

इसके बाद सितंबर 2011 में इसका दूसरा परीक्षण किया गया था। पहले इसकी क्षमता 750 किलोमीटर दूर तक हथियार ले जाने की थी। सूत्रों के मुताबिक, टारगेट की ओर बढ़ते हुए अंतिम चरण में यह हाइपरसोनिक स्पीड हासिल कर लेता है। पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से इस साल घोषणा के बाद डिफेंस रिसर्च एंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) स्ट्रैटिजिक मिसाइल के फील्ड में देश को पूर्ण रूप से आत्मनिर्मर बनाने के प्रयास में है।

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बता दें कि इससे पहले भारत ने इस बीच ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का भी सफल परीक्षण किया था। 30 सितंबर को भारत ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल (BrahMos Missile) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जो 400 किमी से अधिक दूरी तक दुश्मन को ढेर कर सकती है। यह परीक्षण उड़ीसा के बालासोर में किया गया। इस परीक्षण को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के पीजे-10 परियोजना के तहत किया गया।

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