चीन से जारी तनाव के बीच अपनी रक्षा शक्तियों को बढ़ा रहा भारत, DRDO ने एक और मिसाइल का किया सफल परीक्षण

चीन (China) के साथ जारी तनाव के बीच भारत लगातार अपनी रक्षा शक्तियों को बढ़ा रहा है। चीन को हर मोर्चे पर मात देने के लिए भारत (India) पूरी तरह तैयार हो रहा है। भारत के वैज्ञानिकों की ओर से लगातार देश की शक्ति और तकनीक को मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है।

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DRDO ने सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड रिलीज ऑफ टॉरपीडो (SMART) का सफल परीक्षण किया।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी DRDO ने 5 अक्टूबर को सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड रिलीज ऑफ टॉरपीडो (SMART) का सफल परीक्षण किया।

चीन (China) के साथ जारी तनाव के बीच भारत लगातार अपनी रक्षा शक्तियों को बढ़ा रहा है। चीन को हर मोर्चे पर मात देने के लिए भारत (India) पूरी तरह तैयार हो रहा है। भारत के वैज्ञानिकों की ओर से लगातार देश की शक्ति और तकनीक को मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है। इसी कड़ी में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी DRDO ने 5 अक्टूबर को सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड रिलीज ऑफ टॉरपीडो (SMART) का सफल परीक्षण किया।

DRDO ने इसका ओडिशा के तटीय इलाके में इसका परीक्षण किया। इस SMART के जरिए वॉर शिप में स्टैंड ऑफ क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलेगी। परीक्षण के दौरान इसकी रेंज, एल्टीट्यूड, टॉरपीडो को छोड़ने की क्षमता और VRM पर स्थापित करने की क्षमता ने पूरी तरह से सही काम किया। रक्षा मंत्रालय ने इसे सफल परीक्षण करार दिया है।

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स्मार्ट मिसाइल मुख्य रूप से टॉरपीडो सिस्टम का हल्का रूप है, जिसे लड़ाकू जहाजों पर तैनात किया जाएगा। इसे तैयार करने के लिए हैदराबाद, विशाखापट्टनम समेत अन्य शहरों में मौजूद DRDO की लैब में इसपर काम किया गया है। DRDO के इस सफल परीक्षण पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने भी बधाई दी।

रक्षा मंत्री ने ट्वीट कर लिखा कि डीआरडीओ ने आज सफलतापूर्वक स्मार्ट का परीक्षण किया है। एंटी सबमरीन वॉरफेयर की क्षमता में बढ़ोतरी के हिसाब से ये एक महत्वपूर्ण पल है। इस मौके पर मैं DRDO और अन्य टीम को बधाई देता हूं।

बता दें कि इससे पहले DRDO ने 3 अक्टूबर को ओडिशा के बालासोर से शौर्य मिसाइल (Shaurya Missile) के नए वर्जन का सफल परीक्षण किया। जमीन से जमीन पर मार करने वाला यह बैलेस्टिक मिसाइल परमाणु क्षमता से लैस है। यह मिसाइल 800 किलोमीटर दूर तक टारगेट को तबाह कर सकता है। यह मिसाइल मौजूदा मिसाइल सिस्टम को मजबूत करेगा। यह संचालन में हल्का है।

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