Diwali 2020: भारत में क्यों मनाई जाती है दिवाली? इन 4 घटनाओं से जुड़ी है दीपक जलाने की परंपरा

Diwali 2020: पूरा देश दिवाली मनाने की तैयारी कर रहा है। इस त्यौहार को हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है।

Diwali 2020

Diwali 2020: इसी दिन श्रीराम, पत्नी सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे और अयोध्या की जनता ने उनके आने की खुशी में दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। इसी के बाद से दिवाली मनाने की परंपरा शुरु हुई और लोग अपने-अपने घरों में दीपक जलाते हैं।

नई दिल्ली: पूरा देश दिवाली (Diwali 2020) मनाने की तैयारी कर रहा है। कोरोना संक्रमण के दौरान भी लोगों में दिवाली मनाने का उत्साह है। इस त्यौहार को हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। ऐसे मौके पर ये जानना बेहद जरूरी है कि आखिर दिवाली का महत्व क्या है और इससे जुड़ी धारणाएं क्या हैं?

14 साल का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे श्रीराम

दिवाली (Diwali 2020) के साथ कई धार्मिक, पौराणिक और ऐतिहासिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। इस त्यौहार को मर्यादा पुरुषोत्तम राम द्वारा लंका के राजा रावण पर विजय हासिल करने और 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या वापस लौटने की खुशी में मनाया जाता है।

कथाएं कहती हैं कि इसी दिन श्रीराम, पत्नी सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे और अयोध्या की जनता ने उनके आने की खुशी में दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। इसी के बाद से दिवाली मनाने की परंपरा शुरु हुई और लोग अपने-अपने घरों में दीपक जलाते हैं।

कठोपनिषद के मुताबिक इसलिए मनाई जाती है दिवाली

कठोपनिषद में भी दिवाली का एक प्रसंग मिलता है। कठोपनिषद के मुताबिक, इस दिन नचिकेता जन्म और मरण का रहस्य यमराज से जानने के बाद वापस मृत्युलोक में लौट आए थे। इसी खुशी में लोगों ने घी के दीपक जलाए थे। कहा जाता है कि ये आर्यावर्त की पहली दिवाली थी।

समुद्र मंथन से लक्ष्मीजी का हुआ था अवतरण

एक और कथा है, जिसमें कहा जाता है कि इसी दिन लक्ष्मीजी का समुद्र मंथन से अवतरण हुआ था। लक्ष्मी जी को भगवान विष्णु ने स्वीकार किया था, जिसके बाद से देवता असुरों की अपेक्षा बहुत बलशाली हो गए थे। लक्ष्मी के आने की खुशी में देवलोक में दीपक जलाए गए थे, इस खुशी में भी दिवाली मनाई गई।

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कन्हैया से भी जुड़ा है एक प्रसंग

कथाओं में कहा जाता है कि इसी दिन कन्हैयाजी पहली बार गाय चराने गए थे और इसी दिन उन्होंने मृत्युलोक छोड़ा था। एक कथा में ये भी कहा जाता है कि कन्हैया ने नरकासुर नाम के असुर का इसी दिन वध किया था और उसके चंगुल से 16 हजार कन्याओं को मुक्त कराया था। इस खुशी में भी लोगों ने दीपोत्सव किया था।

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