उत्तर प्रदेश: देवरिया में बेटियों ने निभाया बेटे का फर्ज, पिता की अर्थी को दिया कंधा और किया अंतिम संस्कार

गांव की बेटियों (Daughters) के मुख से ऐसी बातें सुनकर तो पूरा गांव दंग रह गया लेकिन इन बेटियों के संकल्प के सामने किसी की जुबान नहीं खुल सकी।

Daughters

Daughters Gave Shoulder To Father Dead Body During Funeral In Deoria.

भारतीय रूढ़िवादी समाज में रोज कई ऐसी घटना सामने आती हैं जो सदियों से चली आ रही रूढ़ी परंपरा को धवस्त करके एक नया अध्याय लिख रही हैं। ऐसा ही एक मामला पूर्वी यूपी के देवरिया जिले में भी देखने को मिला है। यहां पर एक परिवार के मुखिया पिता की मौत के बाद बेटियों (Daughters) ने उनकी अर्थी को कंधा देकर साबित कर दिया कि बेटियां बेटों से किसी मामले में कम नहीं हैं? ये पूरा मामला देवरिया जिले से सटे बिहार के बनकटा थाने के जिरवनियां गांव की हैं, जहां हरेंद्र शर्मा नामक बुजुर्ग की मौत के बाद तमाम आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए बेटियों ने सिर्फ अर्थी को कंधा दिया बल्कि श्मशान घाट तक लेकर उनका अंतिम संस्कार भी किया।   

भारत-चीन सीमा विवाद: फिर बेनतीजा रही ब्रिगेड कमांडर स्तर की बातचीत, सीमा पर दोनों देशों के बीच हथियार ले जाने की होड़

गौरतलब है कि मृतक हरेंद्र शर्मा की सिर्फ 6 बेटियां (Daughters) ही हैं एक भी बेटी नहीं। उनकी तीन बड़ी बेटियों की शादी हो चुकी है जबकि तीन बेटियां अभी भी कुंवारी हैं। हरेंद्र शर्मा ने अपने बेटियों को ही बेटों की तरह बड़े लाड-प्यार से पाला है और इनकी अच्छी पढ़ाई भी करवाई है। बीमार हरेंद्र शर्मा का काफी दिनों से दिल्ली के अस्पताल में इलाज चल रहा था। इसी बीच शनिवार को उनका निधन हो गया और उनका पार्थिव शरीर रविवार को उनके पैतृक गांव जिरवनियां पहुंचा। जिसके बाद उनके अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू की गई।

इस दौरान उनके घर के आस-पास के लोग, रिश्तेदारों के बीच काना-फूसी होने लगी की इनका तो एक भी बेटा नहीं है सिर्फ 6 बेटियां ही हैं और अभी इनके परिवार में कोई पुरूष संबंधी भी नहीं है जो मृतक की अर्थी को कंधा दे सके, ऐसे में इनका अंतिम संस्कार कैसे होगा?  

लोगों की ये बातें सुनकर मृतक हरेंद्र शर्मा की शिक्षित बेटियां (Daughters) आगे आईं और और कहा कि बेटा नहीं है तो क्या हुआ, हम अपने पिता की अर्थी को कंधा देकर बेटे का भी फर्ज निभाएंगे।

गांव की बेटियों (Daughters) के मुख से ऐसी बातें सुनकर तो पूरा गांव दंग रह गया लेकिन इन बेटियों के संकल्प के सामने किसी की जुबान नहीं खुल सकी। मृतक हरेंद्र शर्मा की सभी 6 बेटियों ने रोते-बिलखते हुई अपने पिता की अर्थी को ना केवल कंधा दिया, बल्कि उन्हें स्याही नदी के श्मशान घाट तक लेकर गईं जहां पर बड़ी बेटी के पुत्र ने अपने नाना को मुखाग्नि देकर उनका अंतिम संस्कार किया। 

बेटियों (Daughters)  ने निभाया फर्ज

जिरवनियां गांव की इन बेटियों (Daughters) के जज्बे और जुनून की कहानी ना सिर्फ देवरिया बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई है।बेटियों द्वारा उठाए गए इस साहसिक कदम की क्षेत्र में काफी प्रशंसा हो रही है और समाज को फिर से सोचने के लिए विवश कर दिया है कि बेटियों किसी मामले में बेटों से कम नहीं हैं।

स्वंय स्वामी विवेदानंद ने भी कहा है कि जब तक महिलाएं खुद अपने विकास के लिए आगे नहीं आएंगी तब तक उनका विकास असंभव है।

मनु ने भी कहा है  ‘यत्र   नार्यस्तु   पूज्यन्ते   रमन्ते   तत्र   देवता:’।  यानि कि जहां स्त्रियों को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है वहां पर पुरुषों की गिनती खुद ब खुद देवताओं की कोटि में की जाती है। 

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें