करण जौहर के डैड कभी चलाते थे मिठाई की दुकान, ऐसे शुरू हुआ था फिल्मी करियर

यश जौहर के इस हुनर से बेहद इंप्रेस थीं मधुबाला। फिर मधुबाला के चलते ही मुंबई में इनकी पहली नौकरी लगी।

yash johar, yash johar movies, yash johar awards, yash johar age, yash johar death, yash johar funeral, roohi johar, karan johar, karan johar wife, sirf sach, sirfsach.in

यश जौहर की पुण्यतिथि। फाइल फोटो।

हिंदी फिल्मों के मशहूर निर्माता और धर्मा प्रोडक्शन के संस्थापक यश जौहर की आज पुण्यतिथि है। ‘मुझे जीने दो’, ‘गाइड’, ‘ज्वेल थीफ’, ‘दोस्ताना’, ‘कुछ कुछ होता है’ जैसी शानदार फिल्मों से हिंदी फिल्म जगत को समृद्ध बनाने वाले प्रसिद्ध फिल्मकार यश जौहर उभरती प्रतिभाओं को निखारने के महारथी थे। उन्हें कला और कलाकार से काफी लगाव था। वह हमेशा नए कलाकारों को निखारने और छुपी हुई प्रतिभाओं को सामने लाने में लगे रहते थे। पटकथा लेखन से लेकर सहायक निर्माता और फिर निर्माता के तौर पर उनकी फिल्में और उसमें काम करने वाले कलाकार इस बात के गवाह हैं। वे प्रतिभा को निखार कर एक सुन्दर रूप दे दिया करते थे। सिने जगत के मंझे हुए अभिनेताओं से भी उनका सर्वश्रेष्ठ अभिनय करवा लेना उनका एक खास गुण रहा।

आज के ही दिन साल 2004 में फिल्म निर्माता यश जौहर का निधन हुआ था। पटकथा लेखक से फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाले यश जौहर साल 1952 में सुनील दत्त के प्रोडक्शन हाउस ‘अजंता आर्ट्स’ से जुड़े और फिल्म ′मुझे जीने दो′ को सफलता के शिखर तक पहुंचाने में अमूल्य योगदान दिया। इसके बाद सहायक निर्माता के रूप में वह देवानंद के प्रोडक्शन हाउस ‘नवकेतन फिल्म्स’ से जुड़े और ‘गाइड’, ‘ज्वेल थीफ’, ‘प्रेम पुजारी’, ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ जैसी शानदार फिल्मों को पर्दे पर लाने में अहम भूमिका निभाई। यश जौहर ने साल 1976 में अपनी प्रोडक्शन कंपनी धर्मा प्रोडक्शन शुरू की।

यश काफी धार्मिक प्रवृति के थे, इसलिए उन्होंने अपने प्रोडक्शन हाउस का नाम धर्मा प्रोडक्शन रखा। इस प्रोडक्शन की पहली फिल्म ‘दोस्ताना’ थी। पर जब यश जौहर दोस्ताना बना रहे थे, उन दिनों वह काफी कठिनाइयों के दौर से गुजर रहे थे। उस समय अमिताभ बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा और जीनत अमान ने उनकी काफी मदद की थी और फिल्म ने जबर्दस्त सफलता हासिल की। वे अपनी फिल्मों में बड़े-बड़े भव्य सेट और विदेशों में शूटिंग के लिए मशहूर थे। अपनी फिल्मों को भव्यता देते हुए भी उन्होंने भारतीय परंपराओं और पारिवारिक मूल्यों को बरकरार रखा। उन्होंने दोस्ताना (1980), दुनिया (1984), मुकद्दर का फैसला (1987), अग्निपथ (1990), गुमराह (1993), डुप्लिकेट (1998), कुछ कुछ होता है (1998), कभी खुशी कभी गम (2001), कल हो न हो (2003) जैसी सुपरहिट फिल्मों का निर्माण किया ।

पढ़ें: नक्सल प्रभावित सुकमा के इन गांवों में 13 साल बाद खुले स्कूल, दहशत के आगे जीत है

यश जौहर का जन्म 6 सितंबर, 1929 को लाहौर में हुआ था। बंटवारे के बाद उनका परिवार लाहौर से दिल्ली आ गया था। यश जौहर का बचपन शिमला और दिल्ली में बीता। दिल्ली में उनके पिता की मिठाई की दुकान थी। दुकान का नाम था ‘नानकिंग स्वीट्स’। यश 9 भाई-बहन थे। सभी भाई-बहनों में वे ही सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे थे। इसलिए हिसाब-किताब करने के लिए उन्हें ही दुकान पर बैठा दिया जाता था। हालांकि, दुकान पर बैठना उन्हें पसंद नहीं था। ये बात उनकी मां समझती थीं। वे ऐसे ही एक दिन दुकान पर बैठे थे, तो मां ने समझाया, ‘तुम हलवाई की दुकान संभालने के लिए नहीं बने हो। बंबई चले जाओ और अपने मन की जिंदगी जियो’।

इसके लिए यश जौहर की मां ने उनके जाने से 1 हफ्ते पहले ही घर से गहने और कुछ पैसे गायब कर दिए। घर में हंगामा भी मचा दिया कि चोरी हो गई है। लेकिन बेटे को बंबई भेजने के लिए उन्होंने ऐसा किया था। यश तो बंबई भी चले गए लेकिन उन्हें इस बात की कानों-कान खबर नहीं हुई। उन्हें यह सच्चाई बहुत बाद में पता चली थी कि मां ने वो पैसे उन्हें कहां से दिए थे। खैर, मुंबई पहुंचने के बाद वहां गुजर-बसर करने के लिए यश को नौकरी की जरूरत पड़ी। उन्होंने वहां टाइम्स ऑफ इंडिया में एक फोटोग्राफर के असिस्टेंट के तौर पर काम करना शुरू किया।

उसी दौरान का मधुबाला के साथ यश जौहर का एक किस्सा काफी मशहूर है। दरअसल, ‘मुगल-ए-आजम’ की शूटिंग चल रही थी। इस दौरान यश जौहर फोटोग्राफी कर रहे थे। उन्होंने फिल्म की लीड एक्ट्रेस मधुबाला की भी तस्वीरें खींची। मधुबाला के बारे में माना जाता था कि वे जल्दी किसी भी फोटोग्राफर्स को तस्वीरें नहीं लेने देती थीं। लेकिन यश जौहर पढ़े-लिखे थे और अंग्रेजी भी बोल लेते थे। मधुबाला यश जी की स्किल से इतना इंप्रेस हुईं कि उन्होंने न सिर्फ अपनी तस्वीरें खिंचवाई बल्कि उनके साथ वक्त भी बिताया। तभी से दोनों की अच्छी बॉन्डिंग बन गई थी। फिर जब यश वह तस्वीर लेकर ऑफिस पहुंचे तो उन्हें नौकरी भी मिल गई।

यश ने मशहूर फिल्म निर्माता बीआर चोपड़ा और यश चोपड़ा की बहन हीरू जौहर से शादी की थी। उनके बेटे करण जौहर हैं, जो आज के समय में मशहूर फिल्म निर्माता हैं। यश की इच्छा थी कि उनके बेटे करण जौहर एक्टिंग करें। पर करण का मन फिल्में बनाने की तरफ ज्यादा था। निर्माता के रूप में उन्होंने अपने बेटे करण जौहर को फिल्म ‘कुछ-कुछ होता है’ का निर्देशन सौंपा, जो सुपरहिट रही। चेस्ट इन्फेक्शन और कैंसर से 74 साल की उम्र में यश का निधन हो गया।

पढ़ें: वह संगीतकार जिसकी एक धुन के लिए नौशाद अपना पूरा खजाना लुटा देना चाहते थे

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें