भारत में ही बनेगा रॉकेट का क्रायोजनिक इंजन, ISRO ने MECON को सौंपी जिम्मेदारी

देश भर में ‘मेक इन इंडिया’ को लागातार बढ़ावा दिया जा रहा है। हर क्षेत्र में स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी कड़ी में अब भारत में रॉकेट में लगाए जानेवाले क्रायोजनिक इंजन (Cryogenic Engine) का निर्माण शुरू हो गया है।

Cryogenic Engine

रांची स्थित भारत सरकार के इंटरप्राइज मेकॉन (MECON) के इंजीनियरों ने जिसकी बदौलत अब क्रायोजनिक इंजन (Cryogenic Engine) की टेस्टिंग भारत में ही हो सकेगी।

देश भर में ‘मेक इन इंडिया’ को लागातार बढ़ावा दिया जा रहा है। हर क्षेत्र में स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी कड़ी में अब भारत में रॉकेट में लगाए जानेवाले क्रायोजनिक इंजन (Cryogenic Engine) का निर्माण शुरू हो गया है। रांची स्थित भारत सरकार के इंटरप्राइज मेकॉन (MECON) के इंजीनियरों ने जिसकी बदौलत अब क्रायोजनिक इंजन की टेस्टिंग भारत में ही हो सकेगी।

रांची स्थित मेकॉन कंपनी ने सेमी क्रायोजनिक इंजन टेस्टिंग फैसिलिटी तैयार की है। देसी इंजन का जो डिजाइन तैयार किया गया है, उससे अंतरिक्ष में जाने वाले रॉकेट की सामान ले जाने की क्षमता भी बढ़ जाएगी। अब तक अंतरिक्ष में जाने वाले रॉकेट सिर्फ चार टन ही सामान ले जा सकता था। अब देसी इंजन बनने से सामान ले जाने की क्षमता छह टन हो जाएगी। इसे अगस्त, 2021 में लांच करने की तैयारी हो रही है।

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गौरतलब है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने मेकॉन को क्रायोजनिक इंजन (Cryogenic Engine) टेस्टिंग डिजाइन तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। अब क्रायोजनिक इंजन के टेस्टिंग के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, जिससे पैसों की भी बचत होगी।

बता दें कि मेकॉन देश की नामी सरकारी डिजाइनिंग इंटरप्राइज है। इसका मुख्यालय झारखंड की राजधानी रांची में है। मेकॉन ने ही चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग पैड का डिजाइन तैयार किया था। मेकॉन को कई रक्षा उत्पाद बनाने का भी आर्डर जल्द ही मिल सकता है।

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उल्लेखनीय है कि कुछ साल पहले तक घाटे में रहने वाली मेकॉन (MECON) कंपनी अब मुनाफा देने वाली केंद्र सरकार की इंटरप्राइज बन गई है। कोरोना काल में मेकॉन को 1600 करोड़ का वर्कआर्डर मिला है। मेकॉन के सीएमडी अतुल भट्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार ने 2030 तक स्टील के क्षेत्र में 300 मीट्रिक टन उत्पादन का जो लक्ष्य निर्धारित किया है उसमें विदेशों से साजो-सामान को मंगवाने में 25 बिलियन डॉलर विदेशी मुद्रा खर्च होगी।

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लेकिन मेकॉन, रांची में ही साजो-सामान को बनवाने की क्षमता रखती है, जिससे 25 बिलियन डॉलर की इकोनॉमी विदेश जाने से बच जाएगी। मेकॉन (MECON) में उन सामानों की डिजाइन तैयार होगी और केंद्र की रांची स्थित उपक्रम एचईसी में उत्पादन किया जाएगा। इससे कई MSME को भी फायदा होगा।

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