नक्सलियों के खिलाफ अपने खुफिया सिस्टम को मजबूत करने में जुटी CRPF, लोकल इनपुट पर है पूरा फोकस

नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ लोकल युवाओं का भरोसा जीतकर नक्सलियों की भाषा और उनकी रणनीति को समझने की कोशिश की जा रही है।

CRPF

फाइल फोटो।

नक्सली (Naxalites) कमांडर और उनके साथी घने जंगलों में अपना ठिकाना बनाकर रहते हैं। ऐसे में नक्सलियों तक पहुंचना एक बड़ी चुनौती होती है, क्योंकि जंगल नक्सलियों का गढ़ है और वो वहां के चप्पे-चप्पे से वाकिफ होते हैं।

नई दिल्ली: नक्सलवाद देश की एक बड़ी समस्या है। इसे पूरी तरह खत्म करने के लिए सुरक्षाबलों की ओर से लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। इस बीच खबर मिली है कि नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ कार्रवाई को तेज करने के लिए CRPF अपने खुफिया तंत्र को मजबूत कर रही है।

इसके तहत लोकल युवाओं का भरोसा जीतकर नक्सलियों की भाषा और उनकी रणनीति को समझने की कोशिश की जा रही है।

बता दें कि नक्सली (Naxalites) कमांडर और उनके साथी घने जंगलों में अपना ठिकाना बनाकर रहते हैं। ऐसे में नक्सलियों तक पहुंचना एक बड़ी चुनौती होती है, क्योंकि जंगल नक्सलियों का गढ़ है और वो वहां के चप्पे-चप्पे से वाकिफ होते हैं।

ऐसे में ये जरूरी है कि सटीक खुफिया जानकारी मिले, जिससे सफल कार्रवाई को अंजाम दिया जा सके। नक्सलियों का अपना खुफिया तंत्र भी बहुत मजबूत होता है, जिसका इस्तेमाल वह सुरक्षाबलों के जवानों को निशाना बनाने के लिए करते हैं। वह लोकल ग्रामीणों की मदद से सुरक्षाबलों की जानकारी निकालते हैं। नक्सली पीपुल्स सीक्रेट सर्विस (पीएसएस) के जरिए सुरक्षाबलों की सूचनाओं को जान लेते हैं।

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बता दें कि नक्सलियों के खिलाफ सफल ऑपरेशन के लिए लोकल इनपुट सबसे बड़ा हथियार है। इसी के जरिए नक्सलियों का खात्मा किया जा सकता है।

ऐसे में ये जरूरी है कि सटीक खुफिया जानकारी मिले, जिससे सफल कार्रवाई को अंजाम दिया जा सके। नक्सलियों का अपना खुफिया तंत्र भी बहुत मजबूत होता है, जिसका इस्तेमाल वह सुरक्षाबलों के जवानों को निशाना बनाने के लिए करते हैं। वह लोकल ग्रामीणों की मदद से सुरक्षाबलों की जानकारी निकालते हैं। नक्सली पीपुल्स सीक्रेट सर्विस (पीएसएस) के जरिए सुरक्षाबलों की सूचनाओं को जान लेते हैं।

बता दें कि नक्सलियों के खिलाफ सफल ऑपरेशन के लिए लोकल इनपुट सबसे बड़ा हथियार है। इसी के जरिए नक्सलियों का खात्मा किया जा सकता है।

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