अमेरिका ने WHO पर लगाया चीन के दुष्प्रचार का आरोप, चीन के खिलाफ केस दर्ज

14 जनवरी को WHO ने अमेरिका को भरोसा दिलाया था कि कोविड़–19 (Coronavirus) का मनुष्य से मनुष्य में संक्रमण नहीं हो रहा है जो बाद में पूरी तरह झूठा साबित हुआ।

Coronavirus

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के प्रशासन ने आरोप लगाया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ‘चीन के दुष्प्रचार’ का साधन बन गया है और वह कोरोना वायरस (Coronavirus) के मौजूदा संकट में अपनी साख पूरी तरह खो चुका है। ट्रंप ने हाल ही में WHO को दी जाने वाली अमेरिकी धनराशि पर रोक लगाने की घोषणा की थी। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाली इस संस्था पर कोरोना वायरस महामारी के दौरान ‘चीन–केंद्रित’ होने का आरोप लगाया। WHO में सर्वाधिक योगदान अमेरिका देता है।

अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ओब्रायन ने कहा‚ ‘WHO के साथ दिक्कत यह है कि वे इस संकट के दौरान अपनी पूरी साख खो चुके हैं।’ उन्होंने आरोप लगाया‚ ‘ऐसा नहीं है कि WHO कई साल से बहुत प्रामाणिक संगठन रहा है। अमेरिका WHO पर 50 करोड़ ड़ॉलर से ज्यादा खर्च करता है। चीन उस पर करीब चार करोड़ डॉलर खर्च करता है जो अमेरिका के दसवें हिस्से से भी कम है और उसके बाद भी WHO चीन के दुष्प्रचार का साधन बन गया है।’

जम्मू कश्मीर में दोहरी चुनौती का दंश झेल रहे हैं सुरक्षाबल, कोरोना-आतंकवाद के साथ जारी है लड़ाई

ओब्रायन ने कहा कि 14 जनवरी को WHO ने अमेरिका को भरोसा दिलाया था कि कोविड़–19 (Coronavirus) का मनुष्य से मनुष्य में संक्रमण नहीं हो रहा है जो बाद में पूरी तरह झूठा साबित हुआ।

वहीं दूसरी तरफ अमेरिका के एक राज्य ने चीन पर नोवेल कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर सूचनाएं दबाने‚ इसका भंड़ाफोड़ करने वाले लोगों को गिरफ्तार करने तथा इसकी संक्रामक प्रकृति से इनकार करने का आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ मुकदमा दायर किया है। अमेरिकी राज्य के अनुसार, इससे दुनियाभर के देशों को अपूरणीय क्षति हुई है तथा मानवीय क्षति के साथ अर्थव्यवस्था को बड़़ा नुकसान हुआ है।

ईस्टर्न डिस्ट्रिक मिसौरी की एक अदालत में मिसौरी के अटॉर्नी जनरल एरिक शिमिट की ओर से चीन की सरकार‚ वहां की सत्तारूढ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और अन्य चीनी अधिकारियों एवं संस्थानों के खिलाफ अपनी तरह का पहला मुकदमा दायर किया गया है।

इसमें आरोप लगाया गया है कि कोरोना वायरस (Coronavirus) के फैलने के शुरुआती अहम सप्ताहों में चीन के अधिकारियों ने जनता को धोखा दिया‚ महत्वपूर्ण सूचनाओं को दबाया‚ इस बारे में जानकारी सामने लाने वालों को गिरफ्तार किया‚ पर्याप्त प्रमाण होने के बावजूद मनुष्य से मनुष्य में संक्रमण की बात से इनकार किया‚ महत्वपूर्ण चिकित्सकीय अनुसंधानों को नष्ट किया‚ दसियों लाख लोगों को संक्रमण की जद में आने दिया और यहां तक कि निजी सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) की जमाखोरी की जिससे महामारी वैश्विक हो गई।

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें