Coronavirus Variant
कोरोना वायरस का नया वैरिएंट (Coronavirus Variant) पहले से ज्यादा खतरनाक और संक्रामक होने के साथ ही रहस्यमयी होता जा रहा है।
देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर से हाहाकार मचा हुआ है। वायरस की दूसरी लहर के लिए जिम्मदार कोविड-19 का नया वैरिएंट (Coronavirus Variant) न सिर्फ ज्यादा लोगों को संक्रमित कर रहा है बल्कि यह रहस्यमयी भी बना हुआ है। इस बीच एक और परेशान करने वाली बात सामने आई है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस का नया वैरिएंट (Coronavirus Variant) पहले से ज्यादा खतरनाक और संक्रामक होने के साथ ही रहस्यमयी होता जा रहा है। कई हेल्थ एक्सपर्ट ने माना है कि देश में बढ़ते केस का कारण कोविड के नए वैरिएंट हैं। दिल्ली के अस्पतालों का कहना है कि कई मामलों में वायरस अब पकड़ में भी नहीं आ रहा है।
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कई मामले ऐसे आ रहे हैं, जिसमें मरीज को कोविड-19 से जुड़े सभी लक्षण होते हैं, इसके बावजूद वे निगेटिव आते हैं। यहां तक कि वायरस की जांच के लिए सबसे बेहतरीन पैमाना माने जाने वाले RT-PCR जांच में भी इसका पता नहीं चल रहा है।
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, आकाश हेल्थकेयर के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. आशीष चौधरी ने बताया, “हमने पिछले कुछ दिनों में कई ऐसे मरीज देखे हैं। उन्हें बुखार, खांसी, सांस की समस्या थी और फेफड़े के सीटी स्कैन में लक्षण दिखे। इसे मेडिकल टर्म में पैची ग्राउंड ग्लास ओपेसिटी कहा जाता है। उन लोगों में कोविड-19 के बताए लक्षणों में एक थी।”
उन्होंने आगे कहा कि पीड़ित व्यक्ति ब्रोंकोएलेवोलर लैवेज (बीएएल) से ग्रस्त है, जिसे टेस्ट के बाद के मुंह या नाक के माध्यम से फेफड़ों का इलाज किया जाता है। इसमें टेस्ट के बाद एकत्र किए गए फ्लूड के आधार पर कन्फर्म्ड एनालिसिस किया जाता है। डॉ. चौधरी ने बताया कि ऐसे भी मामले सामने आए हैं कि कोरोना के सामान्य तरीके से किए गए टेस्ट में व्यक्ति की रिपोर्ट निगेटिव था, लेकिन लैवेज टेस्ट में उसके लक्षण पॉजिटिव पाए गए।
इसके नुकसान के सवाल पर इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बाईलरी साइंसेज में मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी की प्रोफेसर डॉ. प्रतिभा काले कहती हैं, “यह संभव है कि इन रोगियों में वायरस ने नाक या गले के गुहा को नुकसान नहीं पहुंचाया है, क्योंकि इन दवाओं से लिया गया स्वैब सैंपल का रिजल्ट पॉजिटिव नहीं आया।”
वह आगे कहती हैं, “संभव है कि वायरस ने खुद को एसीई रिसेप्टर्स से कनेक्ट कर लिया है। ये एक प्रोटीन हो, जो फेफड़ों के भीतर कई कोशिका किस्मों के रूप में होता है। इसलिए जब यहां से सैंपल लिए गए, तो उसमें कोविड-19 के संक्रमण की पुष्टि हुई।”
मैक्स हेल्थकेयर में पल्मोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. विवेक नांगिया ने कहा कि प्रैक्टिकली कोरोना पीड़ितों में से करीब 15 से 20 फीसदी लोग इस समस्या से ग्रसित हैं। उनमें इस बीमारी के गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं, लेकिन उनका टेस्ट निगेटिव आता है। यह बहुत ही गंभीर समस्या है, क्योंकि ऐसे मरीज संक्रमण को तेजी से फैला सकते हैं, अगर उन्हें गैर-कोरोना अस्पतालों में भर्ती कराया जाता है। इसके अलावा, ऐसी समस्या उनके इलाज में देरी का प्रमुख कारण भी बन सकता है।
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उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में पीड़ितों में संक्रमण के लक्षण पहले के सार्स-कोव-2 की तुलना में भिन्न है। वायरस के नए वैरिएंट (Coronavirus Variant) में बदलाव से इनकार नहीं किया जा सकता है।
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