काम धंधे पर लौट रहे यात्रियों के लिए ट्रेन में टिकटों की मारामारी, राज्य और रेलवे के नियमों के बीच पिसती आम जनता

देशभर में कल-कारखानों की गतिविधियां शुरू होने से कोरोना काल (Coronavirus) के बीच बिहार‚ उत्तर प्रदेश आदि राज्यों से लोग काम–धंधे के सिलसिले में लौटने लगे हैं।

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Coronavirus Impact: देशभर में कोरोना के खौफ के कारण नई स्पेशल ट्रेनों के संचालन के लिए बहुत सावधानी बरती जा रही है‚ लेकिन यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी की वजह से मौजूदा संचालित ट्रेनों में सीटों की संख्या कम पड़ने लगी है। खासकर स्लीपर और जनरल कैटेगरी में यात्रा करने वाले यात्रियों को लंबी वेटिंग लिस्ट का सामना करना पड़ रहा है। एक–दो ट्रेनों में तो स्लीपर और सामान्य श्रेणी में वेटिंग लिस्ट के टिकट (Train Ticket) भी मौजूद नहीं हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश से दिल्ली‚ मुंबई आदि शहरों को जाने वाले यात्रियों को कंफर्म टिकट नहीं मिल रहा है।

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देशभर में कल-कारखानों की गतिविधियां शुरू होने से कोरोना काल (Coronavirus) के बीच बिहार‚ उत्तर प्रदेश आदि राज्यों से लोग काम–धंधे के सिलसिले में लौटने लगे हैं। लेकिन लंबी दूरी से लौटने के लिए उनके ट्रेनों में टिकट (Train Ticket) नहीं मिल रहा है‚ क्योंकि स्पेशल/मेल एक्सप्रेस ट्रेनों की संख्या कम है। इसके साथ ही कोरोना (Coronavirus) के कारण सामाजिक दूरी की अनिवार्यता भी जरूरी है। लिहाजा जितने बर्थ हैं‚ उतने कंफर्म टिकट के यात्रियों को चढ़ने की अनुमति है। इस कारण वेटिंग लिस्ट के यात्रियों के सफर की गुंजाइश भी शून्य हैं।

रेलवे के सामने संकट है कि वह बिना राज्य सरकारों की अनुमति के अधिक स्पेशल ट्रेनें नहीं चला सकता। कोरोना (Coronavirus) के प्रोटोकॉल के कारण यह संभव नहीं है। यात्री सफर के लिए कंफर्म टिकट (Train Ticket) का इंतजार कर रहे हैं।

करीब तीन सप्ताह पहले ही रेलवे (Indian Railways) ने आंकड़ों के आधार पर बताया था कि मौजूदा समय में चल रही 200 स्पेशल मेल/एक्सप्रेस और 30 राजधानी एक्सप्रेस स्पेशल ट्रेनों में औसतन 75 फीसदी बर्थ बुक है। लेकिन इन ट्रेनों में 58 ट्रेनें 100 फीसदी बर्थ बुक हैं। अब इस स्थिति में काफी अंतर आया है।

जिन ट्रेनों में वेटिंग है भी तो वह लंबी है। लिहाजा कुछ सप्ताह तक वेटिंग लिस्ट के बावजूद कंफर्म होने की गुंजाइश कम है। लेकिन एक–दो एसी ट्रेनें हैं‚ जिनमें वेटिंग लिस्ट का भी टिकट मौजूद हैं।

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