देश के आधे जिलों में सरकारी लैब का अभाव, जांच नतीजों के लिए करना पड़ रहा लंबा इंतजार

यह समझ से परे है कि यूपी और मध्य प्रदेश जैसे अधिक कुपोषित राज्यों के मेडिकल कॉलेजों में कोरोना (Coronavirus) के संक्रमण से पहले वायरोलॉजी की लैब स्थापित करने में दिलचस्पी क्यों नहीं दिखाई गई।

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कोरोना (Coronavirus) से लडाई के सारे प्रयासों के बावजूद टेस्टिंग की सुविधा अब भी आधे से अधिक जिलों में नहीं है। राज्यों के जिन मेडिकल कॉलेजों को टेस्ट के लिए पात्र समझा गया है‚ उनसे कई जिलों की दूरी काफी अधिक है। यह समझ से परे है कि यूपी और मध्य प्रदेश जैसे अधिक कुपोषित राज्यों के मेडिकल कॉलेजों में कोरोना (Coronavirus) के संक्रमण से पहले वायरोलॉजी की लैब स्थापित करने में दिलचस्पी क्यों नहीं दिखाई गई। जब नई माहमारी का संक्रमण शुरू हुआ तब इन दोनों राज्यों में सिर्फ एक–एक लैब ही थी। यूपी में 15 लैब हो गई हैं लेकिन इनमें चार लखनऊ में और दो नोएड़ा में हैं। बाकी वाराणसी‚ कानपुर‚ झांसी‚ गोरखपुर‚ आगरा‚ अलीगढ‚ मेरठ सैफई में हैं। यानी राज्य के अन्य जिलों से सेम्पल इन्हीं जिलों में जांच के लिए भेजे जा सकते हैं।

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यूपी के विषय में स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर के समक्ष ये बात बार–बार उठ रही है कि वहां कम टेस्ट हो रहे हैं‚ जबकि वहां बड़ी संख्या श्रमिक दूसरे राज्यों से अपने गांवों में लौटे हैं। राज्य के लिए दो ही निजी लैब को अनुमति दी गई है। एक लखनऊ के लिए है और दूसरी नोएडा के लिए है।

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बिहार में 5 लैब हैं जिनमें से तीन पटना में ही हैं। बाकी लैब दरभंगा और मुजफ्फरपुर में हैं। जो इतने बड़े बिहार के लिए पर्याप्त नहीं कही जा सकतीं। स्वास्थ्य मंत्रालय में बार–बार बिहार के इंतजामों पर चिंता जताई जा रही है। बिहार भी वह राज्य है‚ जहां दिल्ली‚ मुंबई ही नहीं गुजरात के कई शहरों से भी श्रमिक गांवों में लौट आए हैं। बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड में तीन ही लैब हैं।

मध्य प्रदेश में अब 9 लैब हो चुकी हैं। जो इंदौर‚ भोपाल‚ जबलपुर‚ सागर और ग्वालियर में हैं। बाकी जिलों को सेम्पल इन्हीं जिलों में भेजने पड़ते हैं। यहां भी अन्य जिलों से लैब वाले जिलों की दूरी अपने आप में प्रश्न है।

आईसीएमआर के नेटवर्क के मुताबिक उत्तराखंड में हलद्वानी और ऋषिकेश के सिवा कहीं लैब नहीं है। देहरादून में भी नहीं। एक निजी लैब को देहरादून में टेस्ट की अनुमति दी गई है।

पश्चिम बंगाल में संक्रमण को सही ढंग से रिपोर्ट नहीं किए जाने को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय कई बार राज्य सरकार से बात कर चुका है। राज्य में 6 ही लैब हैं जिनमें दो कोलकाता में हैं।

छत्तीसगढ़ में तीन ही लैब हैं। जिनमें से दो तो रायपुर में ही हैं। एक जगदलपुर में है। इन दोनों जगहों से बाकी जिले काफी दूरी पर हैं।

हरियाणा में चार लैब हैं‚ जो रोहतक‚ सोनीपत‚ फरीदाबाद और हिसार में हैं। गुरुग्राम में सरकारी लैब नहीं है। राज्य में चार निजी लैबों को अनुमति दी गई है और ये सभी गुरुग्राम में ही हैं।

पंजाब में सीएम कम्युनिटी संक्रमण की बात कर रहे हैं लेकिन वहां टेस्ट करने के लिए सिर्फ तीन ही लैब हैं। जो अमृतसर‚ पटियाला और फरीदकोट में हैं। एक निजी लैब को लुधियाना के लिए अनुमति दी गई है।

गुजरात में भी लगातार मामले मिल रहे हैं‚ लेकिन वहां भी सिर्फ 8 ही लैब हैं। जिनमें दो अहमदाबाद में हैं। राजस्थान में 8 लैब हैं‚ जिनमें से दो जयपुर में हैं। बाकी जोधपुर‚ झालावाड‚ उदयपुर‚ बीकानेर‚ कोटा और अजमेर में हैं।

तमिलनाडु (15)‚ महाराष्ट्र (17) और केरल (10) अपेक्षाकृत अधिक लैब की वजह से टेस्ट के मामले में दूसरे राज्यों से बेहतर स्थिति में हैं।

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