भारत में हालात चिंताजनक: वायरस से मौत की दर अमेरिका, चीन, जर्मनी और फ्रांस से अधिक

आईसीएमआर के आंकड़ों की माने तो यदि लॉकडाउन नहीं हुआ होता और सोशल डिस्टेंसिंग के उपाय नहीं अपनाए गए होते तो हमारे देश में 15 अप्रैल तक कोरोना (Coronavirus) संक्रमण के मामले आठ लाख से ऊपर होती।

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भारत में कोरोना (Coronavirus) से अब तक हुई मौत की दर ने सरकार की नींद उड़ा रखी है। देश में कोरोना के कुल मामलों की संख्या भले ही राहत दे रही हो लेकिन कोरोना की मृत्यु दर चिंता बढ़ाने वाली है। अभी तक के मौत के आंकड़ों की यदि दुनिया के अन्य देशों से तुलना की जाए तो भारत में साढे सात हजार केस पर मृत्यु की दर अमेरिका चीन‚ फ्रांस‚ जर्मनी‚ दक्षिण कोरिया व जापान से बहुत ज्यादा है। इस मामले में कुल 23 देशों में भारत दसवें स्थान पर है।

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लॉकडाउन ने देश में तेजी से पांव पसार रहे कोरोना की गति को भले ही धीमा किया है लेकिन मृत्यु दर के आंकड़े चिंता बढ़ाने वाले हैं। हम से आगे इटली‚ स्पेन‚ ब्रिटेन‚ नीदरलैंड और ब्राजील जैसे देश हैं जहां साढे सात हजार मामलों में मौतों का आंकड़ा भारत से ज्यादा है।

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आंकड़ों के आधार पर देखा जाए तो भारत में साढे सात हजार के कुल मामलों में 258 मौतें हुई थी जबकि इतने ही संक्रमित मामलों में चीन में 176‚ अमेरिका में 109‚ दक्षिण कोरिया में 58‚ फ्रांस में 179 मौतें हुई थी। जर्मनी में मात्र 15 मौतें हुई थी। यहां तक कि ईरान में भी यह आंकड़ा 241 था यानी कि भारत से कम।

पिछले दिनों कोरोना (Coronavirus) पर बनी टास्क फोर्स में इन आंकड़ों पर विचार विमर्श के दौरान बेहद चिंता व्यक्त की गई। कहा गया जिस कोरोना ने अमेरिका‚ चीन‚ फ्रांस‚ ब्रिटेन में तबाही मचा रखी है उन देशों में साढे सात हजार केस में मृत्यु दर जब भारत से कम थी तो आने वाले दिनों में कहीं भारत में स्थिति और भयावह ना हो जाए।

टास्क फोर्स ने अधिकारियों को निर्देश दिए के मृत्यु की दर को कम करने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएं। हालांकि राहत की बात यह है कि भारत में लॉकडाउन के चलते कोरोना से संक्रमित होने वाले मरीजों की संख्या पर काफी हद तक नियंत्रण पा लिया गया है।

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p style=”text-align: justify;”>आईसीएमआर के आंकड़ों की माने तो यदि लॉकडाउन नहीं हुआ होता और सोशल डिस्टेंसिंग के उपाय नहीं अपनाए गए होते तो हमारे देश में 15 अप्रैल तक कोरोना (Coronavirus) संक्रमण के मामले आठ लाख से ऊपर होती।

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