ठीक होने के बाद कोरोना मरीजों को दोबारा हो रहा संक्रमण, जानें WHO ने क्या कहा

भारत में अब तक तीन ऐसे मामले सामने आए, जिनको कोरोना वायरस हुआ और ठीक हो गए। उनके शरीर में एंटीबॉडी (Antibody) भी डेवलप हो गया, लेकिन कुछ महीनों बाद उसको फिर से कोरोना (COVID-19) ने अपनी जद में ले लिया।

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सांकेतिक तस्वीर

जो लोग कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमित होते हैं उनके शरीर में वायरस से लड़ने के लिए इम्यून सिस्टम विकसित हो जाता है, जो वायरस को दोबारा लौटने से रोकता है। सबसे मजबूत इम्यून उन लोगों का पाया जाता है जो गंभीर रूप से कोविड-19 से बीमार हुए हों।

कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण को लेकर अब एक नया मामला सामने आया है। किसी के दोबारा कोरोना से संक्रमित होने का मामला दर्ज कर किया गया है। भारत में अब तक तीन ऐसे मामले सामने आए, जिनको कोरोना वायरस हुआ और ठीक हो गए। उनके शरीर में एंटीबॉडी (Antibody) भी डेवलप हो गया, लेकिन कुछ महीनों बाद उसको फिर से कोरोना (COVID-19) ने अपनी जद में ले लिया।

वैसे इस तरह का पहला मामला हॉन्गकॉन्ग में आया था। दरअसल, हॉन्गकॉन्ग में 33 साल का एक शख्स साढ़े चार महीने बाद दोबारा कोरोना वायरस से संक्रमित हो गया। कोरोना वायरस के दोबारा संक्रमण के कुछ केस चीन में भी सामने आए हैं। इसके अलावा नीदरलैंड और बेल्जियम में भी दोबारा संक्रमण के मामले सामने आए हैं।

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भारत में तेलंगाना और गुजरात में भी ऐसे ही मामले सामने आए हैं। हॉन्गकॉन्ग का एक मरीज जो अहमदाबाद में भर्ती था, उसे कोरोना से दोबारा अपनी जद में लिया। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि दोबारा संक्रमण होना बेहद दुर्लभ है और ये अधिक गंभीर बात नहीं है। जानकारों के अनुसार, इस वायरस से जो पूरी तरह रिकवर नहीं हो पाता ऐसी स्थिति में उसके दोबारा संक्रमण होने की संभावना रहती है।

दरअसल, जो लोग कोरोना वायरस से संक्रमित होते हैं उनके शरीर में वायरस से लड़ने के लिए इम्यून सिस्टम विकसित हो जाता है, जो वायरस को दोबारा लौटने से रोकता है। सबसे मजबूत इम्यून उन लोगों का पाया जाता है जो गंभीर रूप से कोविड-19 से बीमार हुए हों। हालांकि, अभी ये साफ नहीं है कि ये सुरक्षा कितनी मजबूत है और इम्यूनिटी कब तक रह सकती है।

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इस मामले में विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इस बारे में और पता लगाने की जरूरत है। इसके लिए कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों पर बड़े स्तर पर स्टडी करनी होगी। वायरस (Coronavirus) का आनुवंशिक विश्लेषण करते हुए शोधकर्ताओं की टीम ने यह पाया कि ये व्यक्ति दो SARS-CoV-2 के अलग-अलग स्ट्रेन से संक्रमित हुआ है।

इसका मतलब ये है कि या तो इस व्यक्ति की रिपोर्ट या तो गलती से पॉजिटिव आई है या फिर ये व्यक्ति उन लोगों में से एक है जिनमें वायरल का RNA कई महीनों तक रहता है। अमेरिका के एमोरी वैक्सीन सेंटर की प्रोफेसर सिंथिया डेरडेन का कहना है कि जो लोग कोरोना महामारी में जल्दी संक्रमित हो जाते हैं उन लोगों में ये चार से पांच महीने तक बना रह सकता है।

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जिसकी वजह से व्यक्ति फिर से संक्रमित हो सकता है। हो सकता है कि ऐसे मामले और आएं। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वैक्सीन इंसान के अंदर की ताकत को बहुत ज्यादा बढ़ाएगा और ये जो ताकत जिसको हम लोग इम्यून सिस्टम कहते हैं वो कोरोना वायरस से ज्यादा ताकतवर हो जाएगी और ये लंबे समय तक मरीज को इस वायरस से रक्षा करेगी।

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कोरोना वायरस (Coronavirus) से लोगों के बीच हर्ड इम्यूनिटी तभी डेवलप होगी जब तकरीबन 60 प्रतिशत जनसंख्या संक्रमित हो चुकी हो। हालांकि इस साठ प्रतिशत के आंकड़े को लेकर भी अभी तक सभी एक्सपर्ट्स में एक राय नहीं है। इस वक्त पूरी दुनिया में सिर्फ एक देश स्वीडन ही है जो हर्ड इम्यूनिटी के एक्सपेरिमेंट पर काम कर रहा है।

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मार्च में जब कोरोना वायरस फैला था तब ब्रिटेन में भी हर्ड इम्यूनिटी की बात कही गई थी लेकिन आलोचनाओं के बाद सरकार को अपनी बातों से पीछे हटना पड़ा था। विशेषज्ञों ने कहा कि ये खतरनाक होता है क्योंकि जिस इंसान के भीतर कोरोना वायरस के कोई लक्षण नहीं है वो दूसरों को आसानी से संक्रमित कर सकता है।

रिसर्चरों का कहना है जब तक इसका टीका उपलब्ध नहीं हो पा रहा है तब तक आप सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और दूर रहें। हॉन्ग कॉन्ग के कुछ रिसर्चरों ने पाया कि अगर एक बार किसी को कोरोना वायरस (Coronavirus) ने जकड़ा है तो दोबारा होने में कम से कम चार महीनों का वक्त लगेगा।

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उदाहरण के तौर पर, यदि आपको कोरोना मार्च में हुआ और आप ठीक हो गए तो अगली बार आपको चार महीने बाद संक्रमण हो सकता है। स्टडी में ये भी पाया गया कि दोबारा संक्रमण पैदा करने वाला कोरोना वायरस बिना लक्षणों वाला है। उनके लक्षण दिखाई नहीं देते और वायरस (Coronavirus) के स्वरूप में भी अंतर पाया गया है।

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