हरकतों से बाज नहीं आ रहा चीन, भारतीय सेना भी है मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार

चीन (China) अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। बीते 15 जून को हुई झड़प के बाद एक तरफ चीन जहां पर शांति और बातचीत से विवाद सुलझाने की बात करता है तो दूसरी ओर चीनी सेना लद्दाख पर नजरें गड़ाए बैठी है।

Disengagement

(फाइल फोटो)

LAC पर हुई खूनी झड़प के बाद चीन के साथ सैन्य स्तर की बातचीत जारी ही है कि इस बीच चीन (China) की सेना ने पैंगांग झील के दक्षिणी किनारे पर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करने की कोशिश की।

चीन (China) अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। बीते 15 जून को हुई झड़प के बाद एक तरफ चीन जहां पर शांति और बातचीत से विवाद सुलझाने की बात करता है तो दूसरी ओर चीनी सेना लद्दाख पर नजरें गड़ाए बैठी है। चीन के पैंतरे का जवाब देने के लिए भारतीय सेना (Indian Army) भी तैयार बैठी है।

LAC पर हुई खूनी झड़प के बाद चीन के साथ सैन्य स्तर की बातचीत जारी ही है कि इस बीच चीनी सैनिकों ने पैंगांग झील के दक्षिणी किनारे पर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करने की कोशिश की। इसके बाद भारतीय जवानों ने उन्हें रोकने की कोशिश की। भारतीय सेना के मुताबिक, चीनी सैनिकों को पीछे धकेला जा चुका है।

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रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, 29 और 30 अगस्‍त की रात को हुई इस झड़प में कोई घायल हुआ या नहीं, इसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिल सकी है। पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर चीनी सैनिकों की आक्रमक गतिविधि का भारतीय सेना ने विरोध किया। जानकारी के अनुसार, इस घटना के बाद भारत ने उस इलाके में जवानों की संख्या को बढ़ा दिया है। वहीं इस झड़प के बाद भी चुशुल में ब्रिगेड कमांडर लेवल की वार्ता जारी है।

सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद के अनुसार, चीन (China) की सेना ने पूर्वी लद्दाख गतिरोध पर सैन्य और राजनयिक बातचीत के जरिए बनी पिछली आम सहमति का उल्लंघन किया। जिसके बाद भारतीय सैनिकों ने पैंगोंग सो (झील) के दक्षिणी किनारे पर इस पीएलए की गतिविधि को पहले ही विफल कर दिया और जमीन पर तथ्यों को एकतरफा बदलने के चीन (China) के इरादों को विफल करने के लिए उपाय भी किए।

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कर्नल आनंद के मुताबिक, मामले के हल के लिए चुशूल में ‘ब्रिगेड कमांडर’ स्तर की एक फ्लैग मीटिंग की तैयारी की जा रही है। उन्होंने कहा, “भारतीय सेना बातचीत के माध्यम से शांति और स्थिरता बनाए रखने को प्रतिबद्ध है, लेकिन साथ ही देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए भी उतनी ही प्रतिबद्ध है।”

गौरतलब है कि अब तक की करीब 5-6 बार कोर कमांडर स्तर पर हुई बातचीत में दोनों देश पहले जैसी स्थिति को वापस लाने पर राजी हुए तो हैं, लेकिन चीन (China) की ओर से जमीनी स्तर पर अपना वादा नहीं निभाया गया है।

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बता दें कि हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लद्दाख की स्थिति को 1962 के संघर्ष के बाद ‘सबसे गंभीर’ बताया और कहा कि दोनों पक्षों की ओर से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अभी तैनात सुरक्षा बलों की संख्या भी ‘अभूतपूर्व’ है।

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