चीन के इस नापाक मंसूबे के खिलाफ भारत ने की है ये तैयारी, जानें मामला

चीन (China) की चालबाजियां खत्म होने का नाम ही नहीं लेती हैं। वह आए दिन ऐसी हरकतें करते रहता है जिससे भारत के साथ उसके रिश्ते और खराब होते जाते हैं। अब उसने अरुणाचल प्रदेश में अपने रेल नेटवर्क पर काम शुरू कर दिया है।

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फाइल फोटो।

इस एक सड़क निर्माण से भारत लद्दाख में चीन (China)  के इन्फ्रास्ट्रक्चर का मुकाबला करने में सक्षम हो जाएगा। दरअसल, चीन ने लद्दाख में अपने सीमाई इलाके में सड़कों और हेलीपेड्स का जाल बिछा रखा है।

चीन (China) की चालबाजियां खत्म होने का नाम ही नहीं लेती हैं। वह आए दिन ऐसी हरकतें करते रहता है जिससे भारत के साथ उसके रिश्ते और खराब होते जाते हैं। अब उसने अरुणाचल प्रदेश में अपने रेल नेटवर्क पर काम शुरू कर दिया है। बता दें कि पिछले कुछ सालों से चीन सीमा पर इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण के काम में तेजी ला रहा है।

उसने सीमा पर सड़कों, पुलों, रेलवे नेटवर्क और एयरफिल्ड्स के निर्माण में बड़ी तेजी लाई है। दरअसल, चीन का इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण में तेजी लाना भारत के लिए संकट पैदा करने के लिए है। साल 2017 में डोलकाम संकट भी इसी वजह से हुआ था। तब चीन ऐसी सड़क बनाना चाह रहा था, जिससे भारत के सिलिगुड़ी कॉरिडोर को खतरा हो सकता था।

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अब चीन (China) के नापाक मंसूबे को देखते हुए भारत (India) भी सीमा पर अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूती दे रहा है। चीन की चालबाजियों के मद्देनजर भारत ने चीन से सटी सीमा के आस-पास सड़क, सुरंग, पुल और एयरफिल्ड्स के निर्माण का काम तेज कर दिया है। यह सीमा करीब 3,400 किमी लंबी है।

भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत जुलाई, 2020 तक लद्दाख में 699 किमी लंबाई की 96 सड़कें और 2 पुलों का निर्माण कर लिया गया। 255 किमी लंबा दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (DS-DBO) रोड भी अक्साई चिन के इलाके तक हर मौसम में भारत की पहुंच सुनिश्चित करता है।

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जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में सड़कों का पूरा जाल बिछाया जा रहा है। इसी साल की शुरुआत में बीआरओ ने सुबांसिरी नदी पर दापोरजिओ पुल बनाया। इससे अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर सैनिकों की आवाजाही आसान हो गई है।

लद्दाख (Ladakh) के चिलिंग गांव के पास 297 किमी लंबा निम्मू-पदम-दारचा (NPD) हाइवे का निर्माण किया जा रहा है। यह इलाका गलवान घाटी से 250 किमी दूर है जहां भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। यह सड़क बन जाने से सीमाई इलाकों समेत लद्दाख के अधिकांश हिस्से भारत के अन्य इलाकों से सीधे संपर्क में आ जाएंगे।

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इस एक सड़क निर्माण से भारत लद्दाख में चीन (China)  के इन्फ्रास्ट्रक्चर का मुकाबला करने में सक्षम हो जाएगा। दरअसल, चीन ने लद्दाख में अपने सीमाई इलाके में सड़कों और हेलीपेड्स का जाल बिछा रखा है। एनपीडी रोड 8.8 किमी लंबी अटल सुरंग से जुड़ेगी। लद्दाख को श्रीनगर-लेह रोड और मनाली-लेह हाइवे रोड बाकी भारत से जोड़ते हैं।

मनाली-लेह रोड से लद्दाख तक पहुंचने में बहुत समय लगता है क्योंकि इस यात्रा में पांच ऊंची-ऊंची चोटियां आती हैं। इस कारण हर साल कुछ महीनों के लिए यह सड़क बंद रहती है। पहले सैनिकों को मनाली से लेह और फिर वहां करगिल का रुख करना पड़ता था। इस यात्रा में उन्हें 700 किमी की दूरी तय करनी पड़ती थी, जो एनपीडी रोड के कारण घटकर 522 किमी रह जाएगी। मनाली-लेह रूट 473 किमी है, जबकि मनाली-दारचा-पदुम-लेह रोड 444 किमी है।

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सरकार ने चीन से सटी सीमा के किनारे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 73 सड़कों के निर्माण का लक्ष्य रखा है जिनमें करीब 3,410 किमी लंबाई की 61 सड़कें सीमा सड़क संगठन (BRO) के जिम्मे है। अभी 28 ऑपरेशनल हो चुकी हैं, जबकि 33 पर काम चल रहा है। वहीं, बाकी 12 सड़कों का निर्माण अभी शुरुआती दौर में है।

साल, 2022 से पहले 42 इंडिया-चाइना बॉर्डर रोड्स (ICBRs) को पूरा करने का लक्ष्य है। इसी साल मार्च महीने में एक संसदीय समिति ने बताया था कि बीआरओ ने इन सड़कों का 75% काम पूरा कर लिया है। इन सड़कों के निर्माण से चीन के साथ लगी सीमा तक भारतीय सैनिकों और रशद की पहुंच आसान और तेज हो जाएगी।

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गौरतलब है कि रक्षा मंत्रालय ने जुलाई, 2020 के पहले सप्ताह में एक बयान जारी कर बताया था कि चीन (China) की सीमा से सटी सड़कों का काम वित्त वर्ष 2019-20 में वित्त वर्ष 2018-19 के मुकाबले 30% अधिक हुआ है।

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