रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के संसद में दिए बयान से बौखलाया चीन, ग्‍लोबल टाइम्‍स ने दी ये गीदड़भभकी

LAC पर चल रहे तनाव के बीच चीन (China) एक ओर शांति की बात कर रहा है, वहीं उसका सरकारी प्रोपगैंडा अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स (Global Times) युद्ध की धमकी देने में लगा हुआ है।

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चीन (China) के सरकारी अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स के संपादक हू शिजिन ने गीदड़भभकी देते हुए कहा कि चीनी सेना भारतीय टैंकों का खात्‍मा करने का अभ्‍यास कर रहे हैं।

LAC पर चल रहे तनाव के बीच चीन (China) एक ओर शांति की बात कर रहा है, वहीं उसका सरकारी प्रोपगैंडा अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स (Global Times) युद्ध की धमकी देने में लगा हुआ है। चीन के सरकारी अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स के संपादक हू शिजिन ने कहा कि चीनी सेना भारतीय टैंकों का खात्‍मा करने का अभ्‍यास कर रहे हैं।

इसके साथ ही धमकी दी कि अगर भारत ने मास्‍को में विदेश मंत्रियों के बीच हुई पांच सूत्री सहमति को लागू नहीं करता है तो चीनी सेना भारत को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है। दरअसल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा संसद में दिए बयान के बाद चीन की बौखलाहट बढ़ गई है। शिजिन ने दावा किया कि चीनी सेना के दबाव की वजह से भारतीय सेना के रुख में नरमी आई है।

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शिजिन के मुताबिक, पीएलए पैंगोंग झील के पास भारत-चीन सीमा पर निर्णायक कार्रवाई के लिए अपनी तैनाती को बढ़ा रही है। ग्‍लोबल टाइम्‍स के एडिटर ने कहा कि बीजिंग चीन-भारत सीमा विवाद (India China Border Dispute) शांतिपूर्वक सुलझाने के लिए प्रयास कर रहा है लेकिन अपनी सेना को तैयार रखेगा।

उधर दूसरी तरफ, ग्‍लोबल टाइम्‍स ने ही विशेषज्ञों के हवाले से दावा किया कि भारत कठोर रवैया अपना रहा है और दोनों के बीच यह तनाव आने वाले ठंड के महीनों तक जारी रह सकता है। चीनी सेना को सर्दियों के मौसम तक गतिरोध के जारी रहने के लिए तैयार रहना चाहिए। चीनी अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स ने चीनी विश्‍लेषक झांग शेंग के हवाले से दावा किया कि भारत पंडित जवाहर लाल नेहरू की गलती को दोहरा रहा है।

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झांग शेंग ने कहा कि भारत का वर्तमान प्रशासन सीमा पर आक्रामक व्‍यवहार दिखा रहा है। झांग ने कहा कि वर्तमान स्थिति 1962 की तरह से ही है। उन्‍होंने आरोप लगाया कि भारत अपने हितों के लिए अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय की मदद से चीन (China) पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। साल 1962 में चीन सबसे अलग-थलग था। उस समय चीन अमेरिका से मुकाबला कर रहा था और उस समय रूस से भी चीन अलग राह पर चल रहा था। जबकि भारत उस समय गुटन‍िरपेक्ष आंदोलन का अगुवा था।

चीनी विश्‍लेषक ने आरोप लगाया कि साल 1962 में भारत ने अंतरराष्‍ट्रीय माहौल का फायदा उठाने की कोशिश की थी। इसका परिणाम यह हुआ कि भारत ने तीसरी दुनिया के देशों के नेता पदवी भी खो दी। झांग ने कहा कि भारत की मोदी सरकार भी नेहरू की रणनीति पर काम कर रही और चीन-अमेरिका तनाव का फायदा उठाना चाहती है।

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा संसद में दिए बयान के लेकर चीनी विश्‍लेषक ने कहा कि भारत के रक्षा मंत्री अतिआत्‍मविश्‍वास दिखा रहे हैं। बता दें कि भारत (India) और चीन (China) के विदेश मंत्रियों के बीच 5 सूत्री सहमति होने के बाद भी चीन का सरकारी प्रोपेगैंडा मीडिया भारत को धमकाने और मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने में जुटा हुआ है।

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