चीन की नई हरकत, म्‍यांमार में भारतीय प्रोजेक्‍ट को नुकसान पहुंचाने के लिए उग्रवादी गुटों को दे रहा हथियार

चीन (China) ने भारत के खिलाफ एक और हरकत की है। ड्रैगन अब म्‍यांमार (Myanmar) में भारतीय प्रॉजेक्‍ट के लिए दुश्‍मन बन गया है और नुकसान पहुंचाने के लिए स्‍थानीय उग्रवादी गुट ‘द अराकान आर्मी’ को हथियारों की मदद कर रहा है।

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फइल फोटो।

ड्रैगन अब म्‍यांमार (Myanmar) में भारतीय प्रोजेक्‍ट के लिए दुश्‍मन बन गया है और नुकसान पहुंचाने के लिए स्‍थानीय उग्रवादी गुटों को हथियारों की मदद कर रहा है।

चीन (China) ने भारत के खिलाफ एक और हरकत की है। ड्रैगन अब म्‍यांमार (Myanmar) में भारतीय प्रोजेक्‍ट के लिए दुश्‍मन बन गया है और नुकसान पहुंचाने के लिए स्‍थानीय उग्रवादी गुट ‘द अराकान आर्मी’ को हथियारों की मदद कर रहा है। ‘अराकान आर्मी’ चीनी हथियारों के बल पर भारत के म्‍यामांर में बनाए जा रहे कलादान मल्‍टी-मॉडल ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्‍ट के काम को बहुत ज्‍यादा प्रभावित किया है।

अराकान आर्मी को ये हथियार चीन से अवैध ट्रांसफर और तस्‍करी के जरिए मिल रहे हैं। गौरतलब है कि साल 2019 में ही जब कलादान प्रोजेक्‍ट का मुख्‍य हिस्‍सा रखाइन और जिन राज्‍यों में पूरा होने वाला था, अराकान आर्मी ने उन इलाकों में अपना अभियान शुरू कर दिया। अराकान आर्मी के इस कदम से कलादान प्रोजेक्‍ट को पूरा करने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा है।

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बीते 23 जून को थाईलैंड की सेना ने म्‍यांमार (Myanmar) की सीमा के पास चीन में बने की हथियारों की खेप पकड़ी थी। इसमें AK-47 असॉल्‍ट राइफल, मशीन गन और एंटी टैंक बारुदी सुरंगें, ग्रेनेड और विस्‍फोटक शामिल हैं। ये हथियार करीब 10 लाख डॉलर की कीमत के थे। ये हथियार अराकान आर्मी और अराकान रोहिंग्‍या आर्मी को दिए जाने थे। ये दोनों ही रखाइन राज्‍य में स्थित हैं।

बता दें कि ‘अराकान आर्मी’ को म्‍यांमार (Myanmar) की सरकार ने आतंकी संगठन का दर्जा दिया है और दोनों पक्षों के बीच एक साल में 600 बार झड़प हुई है। यह ज्‍यादातर झड़प 48 करोड़ डॉलर के कलादान प्रोजेक्‍ट के पास हुई है। हिंदुस्‍तान टाइम्‍स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा कम से कम 4 बार हुआ है जब अराकान आर्मी के सदस्‍यों ने कलादान प्रोजेक्‍ट के लिए ले जाए जा रहे सामान या उसकी सुरक्षा में लगे म्‍यांमार के सैनिकों पर हमला किया।

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ऐसी भी खबरें हैं कि चीनी में बनी राइफल और मशीन गन फरवरी में मोनाखाली समुद्री तट के रास्‍ते अराकान आर्मी तक पहुंची हैं। यह समुद्री तट म्‍यांमार और बांग्‍लादेश के सीमा तट पर पड़ता है। चीन में बने घातक हथियारों के म्‍यांमार (Myanmar) के उग्रवादी गुटों तक पहुंचने से क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए बड़ा खतरा बन गया है और इसका कलादान प्रोजेक्‍ट पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है।

एक अधिकारी के मुताबिक, इस बात का संदेह है कि चीन उग्रवादी गुटों को उकसा रहा है। दरअसल, भारत का कलादान प्रोजेक्‍ट चीन-म्‍यांमार इकनॉमिक कॉरिडोर का जवाब है जो रखाइन राज्‍य के क्‍याउकप्‍यू पोर्ट पर है। एक अन्‍य भारतीय अधिकारी के अनुसार, चीन आराकान आर्मी के जरिए भारत के कलादान प्रोजेक्‍ट के रास्‍ते में रुकावटें डालना चाहता है।

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बता दें कि भारत (India) और म्‍यांमार (Myanmar) वर्तमान समय में सितवे बंदरगाह को अगले साल से शुरू करने के लिए काम कर रहे हैं। इस पोर्ट के शुरू होने से भारत का कोलकाता बंदरगाह सितवे पोर्ट से जुड़ जाएगा और भारत के मिजोरम, मणिपुर जैसे जमीन से घ‍िरे राज्‍यों तक आसानी से सामान पहुंचाया जा सकेगा।

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