नक्सलियों के खिलाफ रणनीति पर बोले DGP डीएम अवस्थी, कही ये बात

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बीजापुर-सुकमा बॉर्डर पर हुए नक्सली हमले (Naxal Attack) के बाद नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन तेज किया गया है। हमले के बाद ये सवाल खड़े हो रहे हैं कि कहां चूक हुई?

DGP DM Awasthi

DGP DM Awasthi (फाइल फोटो)

DGP अवस्थी (DGP DM Awasthi) ने कहा कि गांव वाले सुरक्षाबलों पर अब भरोसा करने लगे हैं। इसका प्रमाण है CRPF के कैंपों का काफी अंदर तक होना।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बीजापुर-सुकमा बॉर्डर पर हुए नक्सली हमले (Naxal Attack) के बाद नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन तेज किया गया है। हमले के बाद ये सवाल खड़े हो रहे हैं कि कहां चूक हुई? इस बीच छत्तीसगढ़ के DGP डीएम अवस्थी (DGP DM Awasthi) ने इस संबंध में कई सवालों के जवाब दिए हैं।

DGP डीएम अवस्थी ने ‘दैनिक भास्कर’ को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा है कि हर नक्सली हमले के बाद समीक्षा होती है। बात सबक लेने या चूक होने की नहीं है। अंदर जो नक्सलियों का क्षेत्र है, वहां जंगल इतने घने हैं कि हमले की आशंका तो हमेशा रहती है। यह इलाका नक्सलियों का बिल्कुल जाना पहचाना है। वे उस इलाके में घुसे हुए हैं। छिपने की जगह उन्हें पता है। ज्यादातर मामलों में नक्सली ऊंचाई पर होते हैं और सुरक्षाबल नीचे। इसलिए आप जितनी चाहे चाकचौबंद रणनीति बना लें, हमले का जोखिम तो बना ही रहेगा।

नक्सलियों से कर रहे सीधी लड़ाई

उन्होंने कहा कि हमने अपनी रणनीति के तहत यह तय किया है कि गांव के भीतर सेना नहीं जाएगी। हालांकि, कुछेक मीडिया रिपोर्ट कह रही हैं कि इस बार जवान गांव के भीतर या करीब तक चले गए थे। अपने कमांडरों के साथ समीक्षा करने के बाद ही हम कह सकते हैं कि ऐसा हुआ या नहीं, लेकिन इस तरह के ऑपरेशन जब भी होंगे ऐसे हमलों का जोखिम बना ही रहेगा।

डीजीपी ने कहा कि हमलावर नक्सली देखने में गरीब लगते हैं, लेकिन इन्हें मदद पहुंचाने वालों का नेक्सस बड़ा है। सरकार उसे तोड़ रही है और हम यहां नक्सलियों से सीधी लड़ाई कर इन्हें खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। हथियार तो यह सुरक्षाबलों से लूटपाट और हमले के दौरान पा जाते हैं।

बैलेट नहीं बुलेट पर भरोसा करता है माओवाद

उन्होंने यह भी कहा कि माओवाद बैलेट नहीं बुलेट पर भरोसा करता है। ये पूंजीवाद को सबसे बड़ा दुश्मन मानते हैं। यह बस कहने के लिए गरीबों को न्याय दिलाने, बराबरी दिलाने की बात करते हैं। इनका देश के संविधान पर भरोसा नहीं होता। ये लोग तो अपनी अलग जनता सरकार चलाते हैं। इनका यही सपना है कि एक दिन यही सरकार पूरे देश की सरकार होगी। शुरू से अब तक माओवादियों की यह फिलॉसफी जस की तस है, लेकिन हां, अब सरकारी नीतियों की वजह से आत्मसमर्पण की संख्या में तेजी आई है।

फोर्स बनी है गांववालों की मददगार 

DGP अवस्थी (DGP DM Awasthi) ने कहा कि गांव वाले सुरक्षाबलों पर अब भरोसा करने लगे हैं। इसका प्रमाण है CRPF के कैंपों का काफी अंदर तक होना। जहां-जहां सुरक्षाबल पहुंच जाते हैं, वहां विकास कार्य भी होने लगते हैं। नक्सली इलाकों में तैनात सुरक्षाबल अपनी तरफ से लगातार गांव वालों से अच्छे संबंध बनाने की कोशिश करते हैं। गांव काफी घने जंगलों के बीच होते हैं, इसलिए मेडिकल सुविधा इन्हें मुश्किल से मिल पाती है। हम लोग कई बार कुछेक प्रेग्नेंट औरतों या किसी बीमार व्यक्ति को अपने हेलिकॉप्टर से अस्पताल तक ले गए। गांववालों के बीच अब फोर्स की मददगार वाली छवि बनी है। कोरोना के दौरान हमने गांवों तक राशन और मेडिकल सुविधाएं पहुंचाने का काम किया।

नक्सली इलाकों में हुआ है विकास

DGP ने कहा कि नक्सली इलाकों में काफी विकास हुआ है। नए स्कूल, भवन, सड़कें बनी हैं। बरसों से जिन इलाकों में नक्सलियों का कब्जा था, वहां सड़क बन गई है, लेकिन दिक्कत यह है कि ये लोग हर बार सड़क और स्कूल को बम से उड़ा देते हैं। ताजा एंटी नक्सल ऑपरेशन से कुछ दिन पहले ही मुठभेड़ वाली जगह पर सड़क का काफी बड़ा एरिया इन लोगों ने काट दिया था, लेकिन हम लगातार नए कैंप लगा रहे हैं। तर्रेम, जहां पर यह मुठभेड़ हुई, वहां भी हाल ही में कैंप बनाया गया था। इसके आगे एक सिलगेर जगह है, वहां भी नया कैंप बन रहा है। ऐसे कई नए कैंप बनाए गए। साल 2016 से 2021 तक हमने 80 से ज्यादा नए कैंप खोले हैं। लगातार हम अपने कैंप जंगलों के अंदर, नक्सल प्रभावति इलाके तक लगाते जा रहे हैं। नए कैंप बनेंगे तो बौखलाहट भी बढ़ेगी और हमलों का जोखिम भी बढ़ेगा, लेकिन एक बार अगर जहां कैंप बन जाता है तो फिर वहां, सड़क, स्कूल या फिर बिजली पहुंचाने में दिक्कत नहीं होती।

हमारी रणनीति मजबूत हो रही है

डीएम अवस्थी (DGP DM Awasthi) ने कहा कि फोर्स भी नक्सलियों का खात्मा कर रही है, लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि कौन नक्सली है और कौन गांव वाला इसे समझना आसान नहीं है। दूसरी बात कि ये लोग देश के संविधान को नहीं मानते हैं और हम संवैधानिक दायरे में रहकर ही ऑपरेशन करते हैं। हम गांव वालों की आड़ में हमले नहीं करते और इनका सबसे बड़ा रक्षाकवच गांव वाले हैं। नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में अर्धसैनिक बल आगे बढ़ रहे हैं। हमारी रणनीति मजबूत हो रही है।

नक्सलवाद के खिलाफ ऑपरेशन लगातार चल ही रहा है। पिछले चार-पांच साल में काफी दबाव बना है। हम उनके कब्जे से काफी इलाका मुक्त करने में सफल हुए हैं। इन्हें हम लगातार अंदर धकेलते जा रहे हैं। DGP डीएम अवस्थी ने कहा, “मैं अभी यही कह सकता हूं कि हम बिल्कुल ठीक रणनीति पर काम कर रहे हैं। ऑपरेशन के दौरान नक्सली हमले का मतलब यह नहीं होता कि सुरक्षाबल कमजोर और नक्सली मजबूत हो रहे हैं। नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन होंगे तो नक्सली हमलावर तो होंगे ही। लेकिन हम लगातार अंदर तक घुसते जा रहे हैं।”

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