हिडमा: एक हाथ में बंदूक और दूसरे हाथ में नोटबुक लेकर चलता है छत्तीसगढ़ नक्सली हमले का ये मास्टरमाइंड

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बीजापुर में हुए, बीते 13 सालों में सबसे बड़े नक्सली हमले ( Bijapur Naxal Attack) को अंजाम देने के पीछे 25 लाख के इनामी कुख्यात नक्सली कमांडर हिडमा (Hidma) का हाथ बताया जा रहा है।

Madavi Hidma

25 लाख का इनामी नक्सली माड़वी हिडमा (फाइल फोटो)

दंतेवाड़ा से लेकर झीरमघाटी तक में खूनी खेल हिडमा (Hidma) की बटालियन ने ही खेला है। वह सुकमा जिले के पुवार्ती गांव का रहने वाला है। सुकमा के जगरगुंडा इलाके में इसका वर्चस्व है।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बीजापुर में हुए, बीते 13 सालों में सबसे बड़े नक्सली हमले ( Bijapur Naxal Attack) को अंजाम देने के पीछे 25 लाख के इनामी कुख्यात नक्सली कमांडर हिडमा (Hidma) का हाथ बताया जा रहा है। 3 अप्रैल को सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ की घटना हिडमा के गांव में हुई।

सुकमा को हिडमा का गढ़ माना जाता है, जहां पर होने वाली सभी नक्सली गतिविधियों पर हिडमा का नियंत्रण रहता है। हिडमा को संतोष उर्फ इंदमुल उर्फ पोडियाम भीमा जैसे कई और नामों से भी जाना जाता है। सुरक्षाबल के जवान लगातार उसके ठिकानों पर दबिश देने की कोशिश करते रहे हैं, लेकिन हिडमा कभी पुलिस की पकड़ में नहीं आया है।

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हिडमा 1990 में नक्सली संगठन से जुड़ा था। कम वक्त में ही उसने संगठन में अपना इतना प्रभुत्व जमा लिया कि उसे सेंट्रल कमिटी का सदस्य बना दिया गया। हिडमा साल 1990 में नक्सली संगठन के साथ जुड़ा। लेकिन कुछ ही सालों में यह नक्सली संगठनों का एक बड़ा नाम बन गया।

हिडमा (Hidma) की नेतृत्व करने और सटीक रणनीति बनाने की क्षनता ने उसे बहुत जल्द शीर्ष नेतृत्व पर पहुंचा दिया और हिडमा को एरिया कमांडर बना दिया गया। साल 2010 में ताड़मेटला में हुए हमले में CRPF के 76 जवानों की मौत में हिडमा कि अहम भूमिका थी। इसके बाद साल 2013 में हुए जीरम हमले में भी हिडमा की अहम भूमिका थी। इस हमले में कई बड़े कांग्रेसी नेताओं सहित 31 लोगों की मौत हो गई थी।

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साल 2017 में बुरकापाल में हुए हमले में भी हिडमा की अहम भूमिका बताई गई थी। इस हमले में 25 CRPF जवान शहीद हो गए थे। अब बीजापुर-सुकमा में एक बार फिर से हिडमा ने खून की होली खेली है। बताया जाता है कि हिडमा की बटालियन ही सभी बड़ी वारदातों को अंजाम देती है। इसे नक्सलियों का बटालियन नंबर एक कहा जाता है। इस बटालियन का सबसे बड़ा कमांडर हिडमा ही है।

दंतेवाड़ा से लेकर झीरमघाटी तक में खूनी खेल हिडमा की बटालियन ने ही खेला है। वह सुकमा जिले के पुवार्ती गांव का रहने वाला है। सुकमा के जगरगुंडा इलाके में इसका वर्चस्व है। पुलिस के पास अभी हिडमा की कोई पहचान नहीं है। उसकी कोई लेटेस्ट तस्वीर भी नहीं है, लेकिन छत्तीसगढ़ में घटने वाली तमाम बड़ी नक्सली घटनाओं को अंजाम हिडमा की टीम ही देती है।

वह माओवादियों की पीपल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीजीएलए) बटालियन-1 का हेड है और घातक हमले करता रहता है। वह माओवादी दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी  (DKSZ)  का सदस्य है। वह सीपीआई (माओवादी) की 21 सदस्यीय सेंट्रल कमेटी  का युवा सदस्य है। उसकी टीम में 180-250 नक्सली हैं, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं।

कुछ रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि माओवादियों के मिलिट्री कमीशन का वह चीफ भी नियुक्त किया गया है। हालांकि इस बात की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। हिडमा के पास एके-47 जैसे खतरनाक हथियार हैं और उसकी टीम में 180-250 नक्सली हैं, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं। भाजपा विधायक भीम मांडवी की हत्या के मामले में एनआईए ने उसके खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की है।

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बताते हैं कि हिडमा सिर्फ दसवीं क्लास तक पढ़ा है, लेकिन पढ़ने-लिखने में रूचि होने के कारण वह फर्राटेदार अंग्रेजी भी बोल लेता है। बताया जाता है कि हिडमा अपने साथ हमेशा एक नोटबुक लेकर चलता है, जिसमें वह अपने नोट्स बनाता रहता है।

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हिडमा (Hidma) की पहचान को लेकर कहा जाता है कि उसके बाएं हाथ में एक अंगुली नहीं है, यही उसकी सबसे बड़ी पहचान है। कहा जाता है कि हिडमा हमेशा सामने से भिड़त में विश्वास रखता है। हिडमा (Hidma) की पत्नी राजे भी नक्सली है। वह भी डिवीजनल कमिटी की सदस्य है। हिडमा के साथ वह भी नक्सली हमले को लीड करती है।

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