छत्तीसगढ़: सुकमा में 8 लाख के दो इनामी सहित 8 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

पुलिस के मुताबिक, सरेंडर करने वालों में दो नक्सली मिलिट्री बटालियन के सदस्य थे। पुलिस पार्टी पर हमला, वाहनों में आगजनी, ग्रामीणों को धमकाने, सड़क काटने, अवैध वसूली जैसे मामलों में इनके खिलाफ अलग अलग पुलिस थानों में मामला दर्ज था। इन नक्सलियों की पुलिस को लंबे समय से तलाश थी।

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सुकमा जिले में 3 सितंबर को चार इनामी नक्सलियों समेत आठ नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में नक्सल हिंसा के खिलाफ पुलिस को एक और सफलता मिली है। जिले में 3 सितंबर को चार इनामी नक्सलियों समेत आठ नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें दो महिला नक्सली भी शामिल हैं। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में से दो नक्सलियों पर आठ-आठ लाख रुपये का इनाम घोषित था। इन नक्सलियों ने सीआरपीएफ (CRPF) के डीआईजी और सुकमा एसपी के समक्ष नक्सलियों ने सरेंडर किया। पुलिस के मुताबिक, सरेंडर करने वालों में दो नक्सली मिलिट्री बटालियन के सदस्य थे। पुलिस पार्टी पर हमला, वाहनों में आगजनी, ग्रामीणों को धमकाने, सड़क काटने, अवैध वसूली जैसे मामलों में इनके खिलाफ अलग-अलग पुलिस थानों में मामला दर्ज था। इन नक्सलियों की पुलिस को लंबे समय से तलाश थी।

नक्सल संगठन के बेबुनियाद और खोकले विचारों से तंग आकर इन सभी ने हिंसा के मार्ग को छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने का निर्णय लिया है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में वेट्टी पाली, कोमराम सम्मी, पोडियम टिंकू, रवा भीमा, पोडियम केशा, सोयम मुत्ता, उईका बुधरा और मुचाकी रामा शामिल हैं। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, वेट्टी पाली और कोमराम सम्मी पर आठ लाख रुपये का इनाम था। वहीं, पोडियम टिंकू ‘मिलिशिया कमाण्ड इन चीफ’ था तथा उसके सिर पर एक लाख रुपये का इनाम था। नक्सली पोडियम साल 2006 में नक्सली संगठन में शामिल हुआ था। वह साल 2007 में उरपलमेटा पुलिस-नक्सली मुठभेड़ की घटना, पिड़मेल गांव के करीब पुलिस-नक्सली मुठभेड़, साल 2014 में कसालपाड़ हमले की घटना और साल 2017 में कोत्ताचेरू हमले में शामिल रहा है।

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इन घटनाओं में पुलिस के कई जवान शहीद हो गए थे। साथ ही इन वारदातों में नक्सलियों ने पुलिस के हथियार लूट लिए गए थे। नक्सली रवा भीमा मलांगिर एलजीएस का सदस्य था और उस पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित था। रवा भीमा साल 2018 से मलांगिर एलजीएस में कार्यरत था। वहीं, नक्सली पोडियम केशा वर्ष 2013 में नक्सली संगठन में शामिल हुआ था। वह नक्सलियों के लिए सब्जी की खेती करता था। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, आत्मसमर्पित नक्सली सोयम मुत्ता नक्सली संगठन में साल 2005 में भर्ती हुआ था। नक्सली संगठन में भर्ती होने के बाद वह कोंटा क्षेत्र के बोधराजपदर गांव में नक्सली स्कूल में शिक्षक के पद पर कार्यरत रहा। इस स्कूल में क्षेत्र के छोटे बच्चों को नक्सली विचारधारा से संबंधित शिक्षा दी जाती थी। यह स्कूल वर्तमान में एतराजपाड़ में चलाया जा रहा है जिसमें लगभग 25-30 बच्चे हैं।

पुलिस के अनुसार, इन सभी नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ प्रशासन की पुनर्वास योजना से प्रभावित होकर और खोखली माओवादी विचारधारा और उनके शोषण, अत्याचार, भेदभाव एवं हिंसा से तंग आकर पुलिस के सामनेआत्मसमर्पण करने का फैसला किया है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सभी आत्मसमर्पित नक्सलियों को छत्तीसगढ़ सरकार की राहत और पुनर्वास योजना के तहत सहायता दी जाएगी। गौरतलब है कि सुकमा के पड़ोसी जिले दंतेवाड़ा के विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव की तैयारियां चल रही हैं। ऐसे में उपचुनाव के दौरान बड़ी संख्या में नक्सलियों के सरेंडर से पुलिस को कुछ अहम जानकारियां मिलने की उम्मीद है।

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