जहां से उखड़ चुके पांव वहां फिर से पैठ बनाने की कोशिश में नक्सली, अलर्ट पर पुलिस

‘लाल आतंक’ के नाम से कुख्यात नक्सली (Naxals) इस वक्त शहीदी सप्ताह मना रहे हैं। इस बीच ऐसी आशंका जताई जा रही है कि छत्तीसगढ़ के उन इलाकों जहां नक्सलियों (Naxalites) की पैठ खत्म हो चुकी है वहां ये नक्सली दोबारा पैठ बनाने की कोशिश कर सकते हैं।

Naxalites

सांकेतिक तस्वीर।

‘लाल आतंक’ के नाम से कुख्यात नक्सली (Naxals) इस वक्त शहीदी सप्ताह मना रहे हैं। इसको देखते हुए विभिन्न नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस काफी अलर्ट पर है। दरअसल, इस दौरान नक्सली किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की फिराक में रहते हैं। इस बीच ऐसी आशंका जताई जा रही है कि छत्तीसगढ़ के उन इलाकों जहां नक्सलियों (Naxalites) की पैठ खत्म हो चुकी है वहां ये नक्सली दोबारा पैठ बनाने की कोशिश कर सकते हैं।

जगदलपुर के ऐसे कई इलाके हैं जहां पुलिस (Police) की पहुंची पूरी तरह से नहीं है आशंका जताई जा रही है कि नक्सलियों (Naxals) के निशाने पर ऐसे ही इलाके हो सकते हैं। इसको देखते हए आईजी ने यहां के आईजी पी सुंदरराज ने सभी थानों और चौकियों को अलर्ट कर दिया है। पुलिस-प्रशासन को उन सभी जगहों पर लगातार ऑपरेशन चलाने के लिए कहा गया है जहां नक्सली दोबारा पैठ बनाने की कोशिश कर सकते हैं। बस्तर की पुलिस भी नक्सलियों की इस साजिश को देखते हुए अलर्ट मोड पर है।

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आपको याद दिला दें कि पहले भी ऐसी खबर आई थी कि दरभा और माचकोट इलाके में माओवादी फिर सक्रिय होने की कोशिश कर रहे हैं। वो अपनी पैठ दिखाने के लिए कभी पर्चें तो कभी हत्या कर अपने मौजूदगी दिखा रहे हैं। बताया जा रहा है कि माचकोट इलाके में कावापाल के करीब नक्सलियों (Naxals) की सरगर्मी कुछ वक्त पहले देखी भी गई थी। यहां माओवादी ग्रामीणों को बैठक लेने के लिए दबाव बना रहे थे। सुकमा-ओडिशा और बस्तर बॉर्डर पर बसे भडरीमुहू और तुलसीडोंगरी इलाके में भी इनकी सक्रियता तेज होने की खबर सामने आई थी।

हालांकि पुलिस-प्रशासन की मुस्तैदी की वजह से कई बड़े नक्सली (Naxals) मारे गए हैं या फिर उन्होंने सरेंडर कर दिया है। फिलहाल कोरोना संक्रमण को देखते हुए जिला प्रशासन से लेकर पुलिस का बड़ा अमला सीमाई क्षेत्रों से लेकर अन्य जगहों पर तैनात हैं। ऐसे मौके का फयदा उठाकर माओवादी अपना निचला काडर तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि कुछ जगह माओवादियों को ग्रामीणों द्वारा चुनौती भी मिल रही है। इसके अलावा पुलिस भी नक्सली नेटवर्क को तोड़ कर उन्हें घुटने पर लाने के लिए सक्रिय है।

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