छत्तीसगढ़: धुर नक्सल प्रभावित इलाके में शांति के लिए हो रहा ‘रन फॉर पीस’ का आयोजन

छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल (Naxal) प्रभावित इलाके में शांति के लिए ‘रन फॉर पीस’ का आयोजन किया गया है। राज्य के नारायणपुर जिले में 8 फरवरी को ‘अबुझमाड़ पीस हाफ मैराथन’ दौड़ का आयोजन किया जा रहा है।

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छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल (Naxal) प्रभावित इलाके में शांति के लिए 'रन फॉर पीस' का आयोजन किया गया है।

छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल (Naxal) प्रभावित इलाके में शांति के लिए ‘रन फॉर पीस’ का आयोजन किया गया है। राज्य के नारायणपुर जिले में 8 फरवरी को ‘अबुझमाड़ पीस हाफ मैराथन’ दौड़ का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में मैराथन आयोजन समिति के द्वारा किया जा रहा है।

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सांकेतिक तस्वीर।

छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल (Naxal) प्रभावित इलाके में शांति के लिए ‘रन फॉर पीस’ का आयोजन किया गया है। राज्य के नारायणपुर जिले में 8 फरवरी को ‘अबुझमाड़ पीस हाफ मैराथन’ दौड़ का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में मैराथन आयोजन समिति के द्वारा किया जा रहा है। 21 किलोमीटर हाफ मैराथन दौड़ का आयोजन भिलाई इस्पात संयंत्र के सौजन्य से जिला मुख्यालय नारायणपुर के हाईस्कूल मैदान से किया जाएगा। ‘अबुझमाड़ रन फॉर पीस’ का आयोजन इस नक्सल ग्रस्त इलाके में खेल की संभावना को मंच देने के लिए एक प्रयास है।

साथ ही क्षेत्र में नक्सल (Naxal) गतिविधियों के कारण लोगों के मन में बसे दहशत को भी हटाने के लिए यह एक सराहनीय पहल है। इस हाफ मैराथन का यह दूसरा साल है। पिछले साल इसकी शुरुआत हुई थी। वह आयोजन काफी सफल रहा था। पिछले साल ‘रन फॉर पीस’ में लगभग 5 हजार प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था। इस प्रतियोगिता के विजेता केन्या के धावक रहे थे। ‘अबुझमाड़ पीस हाफ मैराथन’ दौड़ के लिए इस साल 4 हजार से अधिक लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है। प्रतियोगिता में पहला पुरस्कार एक लाख, 21 हजार रूपए का है।

प्रतियोगिता का द्वितीय पुरस्कार 61 हजार रूपए का, तृतीय 31 हजार रूपए का, चतुर्थ 21 हजार और पंचम पुरस्कार के लिए 11 हजार रूपए की राशि रखी गई है। साथ ही नारायणपुर जिले के मूल निवासी प्रतिभागियों के लिए विशेष पुरस्कार रखा गया है। ‘अबुझमाड़ रन फॉर पीस हाफ मैराथन’ को सफल बनाने और अधिक से अधिक सहभागिता के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से जनप्रतिनिधियों, अधिकारी-कर्मचारियों सहित नारायणपुर जिले के विद्यार्थी, लोक कलाकारों और खिलाड़ियों द्वारा अपील की जा रही है। इस तरह के नक्सल (Naxal) प्रभावित इलाकों के लिए ऐसी पहल काबिल-ए-तारीफ है।

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