छत्तीसगढ़: नारायणपुर में पुलिस कैंप पर नक्सलियों ने किया हमला, जवाबी कार्रवाई के बाद भाग खड़े हुए

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले में पुलिस कैंप पर नक्सलियों (Naxals) ने 26 फरवरी की रात हमला कर दिया। जिला मुख्यालय से करीब 61 किमी दूर कड़ेमेटा पुलिस कैंप में नक्सलियों ने फायरिंग की।

Naxals

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले में पुलिस कैंप पर नक्सलियों (Naxals) ने 26 फरवरी की रात हमला कर दिया। जिला मुख्यालय से करीब 61 किमी दूर कड़ेमेटा पुलिस कैंप में नक्सलियों ने फायरिंग की। रात के अंधेरे में नक्सलियों द्वारा सुरक्षा बल के जवानों पर की गई गोलीबारी में कोई हताहत नहीं हुआ।

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सांकेतिक तस्वीर।

जवाबी कार्रवाई के बाद भाग खड़े हुए नक्सली: जवानों ने भी जवाबी फायरिंग की जिसके बाद नक्सली भाग खड़े हुए। कैंप पर नक्सली हमले की पुष्टि एएसपी जयंत वैष्णव ने की। एएसपी के मुताबिक, नक्सलियों (Naxals) द्वारा सुरक्षाबलों को टारगेट करने के लिए 26 फरवरी को रात के अंधेरे में गोलीबारी की गई, जिसके बाद जवानों की ओर से जवाबी कार्रवाई में नक्सली भाग खड़े हुए।

कैंप खोलने के बाद से नक्सली जता रहे विरोध: बता दें कि पिछले डेढ़ महीने से पुलिस के द्वारा बारसूर से पल्ली सड़क निर्माण कार्य को गति देने और नक्सलियों से उसे सुरक्षा प्रदान करने के लिए कैंप खोला गया है। इस नक्सल प्रभावित वाले इलाके में सुरक्षाबलों के कैंप खोलने के बाद से लगातार नक्सलियों द्वारा विरोध किया जा रहा है। बीस दिन पहले इस इलाके के करीब दो दर्जन गांव के सैकड़ों ग्रामीणों द्वारा कैंप के सामने धरना प्रदर्शन कर एक सप्ताह तक विरोध जताया गया था। इसके पीछे भी नक्सलियों का ही हाथ था। उन्होंने ही गांववालों को बरगलाया था।

प्रशासन ने ग्रामीणों से की थी बातचीत: हालांकि, इसके बाद जिला प्रशासन द्वारा ग्रामीणों से बातचीत कर उन्हें समझाने की कोशिश की गई। ग्रामीणों और प्रशासन के बीच बातचीत के दौरान गांव में स्कूल, आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य केंद्र खोलने की सहमति बनी। बता दें कि इससे पहले इसी इलाके में पुलिस और नक्सलियों (Naxals) के बीच मुठभेड़ भी हुई थी, जिसमें एसटीएफ (STF) के जवान संजय बड़ा के पैर में गोली लग गई थी। जवान को इलाज के लिए रायपुर रेफर किया गया।

सात दशकों के बाद इलाके में हुआ सुरक्षाबलों का प्रवेश: गौरतलब है कि बस्तर, कोंडागांव और दंतेवाड़ा सीमा के अन्तर्गत आने वाले इस इलाके में सात दशकों के बाद सुरक्षाबलों का प्रवेश हुआ है। यही वजह है कि नक्सलियों (Naxals) में बौखलाहट दिख रही है। इसी बौखलाहट की वजह से वे इस तरह के हमले को अंजाम दे रहे हैं।

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