स्वच्छता की नजीर पेश करता छत्तीसगढ़ का यह नक्सल प्रभावित इलाका

छत्तीसगढ़ के नक्सल (Naxal) प्रभावित नारायणपुर जिले का तुरठा पंचायत स्वच्छ भारत अभियान के लिए एक मिसाल हैं। यहां के लोग बाकी ग्रामीण इलाकों के लिए प्रेरणा हैं।

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छत्तीसगढ़ के नक्सल (Naxal) प्रभावित नारायणपुर जिले का तुरठा पंचायत स्वच्छ भारत अभियान के लिए एक मिसाल हैं।

छत्तीसगढ़ के नक्सल (Naxal) प्रभावित नारायणपुर जिले का तुरठा पंचायत स्वच्छ भारत अभियान के लिए एक मिसाल हैं। यहां के लोग बाकी ग्रामीण इलाकों के लिए प्रेरणा हैं। सरकार की योजनाओं और गांव वालों की मेहनत का नतीजा है कि आज यह नक्सल प्रभाविक क्षेत्र दिन-ब-दिन तरक्की कर रहा है। सिर्फ स्वतच्छता ही नहीं जल संरक्षण की दिशा में भी यहां कारगर कदम उठाए जा रहे हैं।

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जल संरक्षण की दिशा में भी यहां कारगर कदम उठाए जा रहे हैं।

खुले में शौच को खत्म करने के लिए हर एक घर में शौचालय बनाया गया है। यहां तीन-तीन लोगों के समूह बनाए गए हैं, जो शौचालय के फायदों के प्रति लोगों को जागरूक करते हैं। यहां खुले में शौच पर बहुत पहले से ही जुर्माने का नियम लागू है। मतलब, यदि कोई व्यक्ति खुले में शौच करता है तो उसे दंड के रूप में जुर्माना देना पड़ता है। वहीं, खुले में शौच की कुप्रथा रोकने के लिए काम करने और जागरूकता लाने पर छह सौ रूप प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। इसका परिणाम है कि अब पूरे गांव में लोग शौचालय का उपयोग कर रहे हैं। यहां लोग एकसाथ मिलकर सफाई करते हैं।

रविवार को हर घर से एक व्यक्ति झाड़ू लेकर गली-मोहल्लों की सफाई करता है। यहां की एक और बात प्रेरणा देने वाली है। दरअसल, नक्सलियों (Naxal) के डर से कई लोग गांव छोड़कर जिला मुख्यालय जा चुके हैं। ऐसे लोगों की खाली पड़ी जमीनों पर गांव के लोग सामूहिक खेती कर फसल उगाते हैं। इससे जो आमदनी होती है उसे गांव के विकास कार्य में खर्च करते हैं। गांव के लोगों के बीच आपसी तालमेल ऐसा गजब है कि सामूहिक फैसले के खिलाफ कोई भी नहीं जाता है। यहां के लोग जल संरक्षण के लिए भी काम कर रह हैं। जल संरक्षण के लिए यहां सार्वजनिक हैंडपंपों के पास टंकियां बनाई जा रही हैं।

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वहीं गांव की महिलाओं के लिए सार्वजनिक शौचालय का निर्माण भी कराया जा रहा है। यहां के सरपंच सामदेर गावड़े बताते हैं कि सार्वजनिक शौचालय के लिए बांस का उपयोग किया जा रहा है। ग्रामीणों के द्वारा श्रमदान करके बांस का शौचालय बनाकर युवतियों और महिलाओं को बेहतर माहौल उपलब्ध कराई जा रही है। इतना ही नहीं, नक्सलियों (Naxal) के इस गढ़ के स्कूलों का भी कायाकल्प हो गया है। ग्रामीणों के श्रमदान और जिला प्रशासन के सहयोग से यहां के स्कूल जिले में अव्वल दर्जे में आने लगे हैं। यहां के स्कूलों में छात्रों की संख्या में भी खासा इजाफा हुआ है, जो इस बात का संकेत है कि शिक्षा के क्षेत्र में भी यहां बेहतरी आई है।

गांव के प्रमुख फोहडू कचलम, माता पुजारी फरसु समरथ और शिक्षक महेंद्र पुजारी ने बताया कि यहां विकास के लिए सरकार की योजनाओं का भरपूर लाभ लिया जा रहा है। नारायणपुर के कलेक्टर पीएस एल्मा का कहना है, ‘तुरठा पंचायत पूरे देश के गांवों के लिए एक नजीर पेश कर रहा है। ग्रामीणों की सहभागिता से गांव में जल संरक्षण और स्वच्छ के साथ-साथ शिक्षा की भी अलख जगाई जा रही है। गांव के सभी लोग अब शौचालय का उपयोग कर रहे हैं। जिला प्रशासन द्वारा इन्हें प्रोत्साहित करने के लिए शासन की योजनाओं का पूरा लाभ दिया जा रहा है। इस गांव में सामूहिक सहभागिता के काम को देखकर मन को संतुष्टि मिलती है।’

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