Chhattisgarh: नक्सलियों के गढ़ में घुसे सुरक्षाबल, पुलिस ने इन इलाकों में खोला कैंप

पंखाजुर के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र (Naxal Area) कटगांव और कामतेड़ा में जिला पुलिस बल और सीमा सुरक्षा बल ने कैंप (Police Camp) खोल कर नक्सलियों को सीधी चुनौती दी है।

Police Camp

ग्राम कटगांव कामतेड़ा में खोला गया कैंप (Police Camp) अति संवेदनशील है। पर पुलिस बल भी इस चुनौती के लिए तैयार है। इन कैंपों को खालने के लिए स्वयं जिले के आला अधिकारियों ने महिनों पखांजुर और कटगांव में डेरा डाल रखा है।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कांकेर जिले के पंखाजुर में प्रशासन ने नक्सलियों (Naxals) को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए बड़ा कदम उठाया है। पंखाजुर के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र (Naxal Area) कटगांव और कामतेड़ा में जिला पुलिस बल और सीमा सुरक्षा बल ने कैंप (Police Camp) खोल कर नक्सलियों को चुनौती दी है।

बता दें कि ग्राम महला में कैंप खुलने के बाद से ही नक्सली (Naxalites)  बैकफुट में थे। अब नए खुले दो कैंपों से नक्सलियों की कमर तोड़ने में मदद मिलेगी। इसके अलावा इन इलाकों में विकास कार्यों में भी तेजी आएगी। एक दशक से सुरक्षा कारणों से विकासखंड मुख्यालय को जोड़ने वाली सड़क का निर्माण रूका था, साथ ही मेढ़की नदी में पुल का निर्माण कार्य भी शुरू नहीं हो पा रहा था। इन कार्यों के पूरा होने से कई ग्राम को लाभ होगा साथ ही विकासखंड मुख्यालय की दूरी भी कम होगी।

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गौरतलब है कि साल 2011 में ग्राम परतापुर से कोयलीबेड़ा तक 32 किमी तक स्वीकृत सड़क का कार्य महज परतापुर नदी से ग्राम परतापुर दो किमी तक ही हो पाया था। पर महला कैंप के खुलने के बाद यह सड़क ग्राम महला तक बन चुका है। उधर, कोयलीबेड़ा क्षेत्र से भी सड़क का निमार्ण कार्य पूरा हो चुका है।

बीच के 12 किमी सड़क का निर्माण कार्य बाकी है। सुरक्षा कारणों से यह कार्य नहीं हो पा रहा था। कटगांव तथा कामतेड़ा में पुलिस ने कैंप (Police Camp) खोल बता दिया कि क्षेत्र में विकास कार्य रुकने वाला नहीं है। इस कैंप के खुलने से मेढ़की नदी में पुल का निर्माण कार्य भी शुरू होगा जो नक्सल आंतक के चलते शुरू ही नहीं हो पा रहा था।

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मार्च में ठेकेदार द्वारा कार्य शुरू करने के लिए मिट्टी के सैंपल लेने का काम शुरू किया गया था, पर इस कार्य में लगे मुंशी की नक्सलियों ने हत्या कर दी। जिसके बाद से सड़क और पुल निर्माण कराने के लिए कोई ठेकेदार हिम्मत ही नहीं कर पा रहा था। कैंप खुलने के बाद सड़क निर्माण से सबसे बड़ा फायदा विकासखंड कोयलीबेड़ा और पखांजूर क्षेत्र को होगा।

पखांजूर से कोयलीबेड़ा की दूरी महज 42 किमी है पर सड़क नहीं होने के कारण पखांजुर क्षेत्र से कोयलीबेड़ा जाने के लिए 104 किमी की दूरी तय कर जाना पड़ता है। इसके साथ ही गांव में सड़क और पुल आदि का निर्माण होने से इसका पूरा लाभ क्षेत्र के करीब 10 गांव के लोगों को भी मिलेगा। जो बरसात के मौसम में चार से पांच माह तक विकासखंड मुख्यालय और पखांजूर दोनों क्षेत्र से कटा रहता है।

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ग्राम कटगांव कामतेड़ा में खोला गया कैंप अति संवेदनशील है। पर पुलिस बल भी इस चुनौती के लिए तैयार है। इन कैंपों को खालने के लिए स्वयं जिले के आला अधिकारियों ने महिनों पखांजुर और कटगांव में डेरा डाल रखा है। कैंप खुलने के तुरंत बाद स्वयं डीआईजी और एसपी कांकेर ने कैंपों का दौरा किया और जवानों की हौसला अफजाई किया।

इससे पहले तक अतिसंवेदनशील कैंप में ग्राम महला का कैंप था। कैंप (Police Camp) खुलने के तुरंत बाद नक्सलियों ने इस कैंप में हमलों की झड़ी लगा दी थी पर जवानों ने नक्सलियों के हर हमलों को नाकम किया। जवानों की हिम्मत के सामने लाल आंतक को पस्त होना पड़ा। कैंप खुलने के बाद जवानों ने पहरेदारी कर ग्राम परतापुर से महला तक सात किमी की सड़क का निर्माण कार्य भी पूरा करा दिया है।

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नक्सली आंतक के चलते वर्ष 2009 में यह गांव खाली हो गया था यहां के ग्रामीणों ने पखांजूर में शरण ले रखी थी पर कैंप खुलने के बाद ग्रामीण पुनः अपने गांव लौट खेती बाड़ी के काम में लग गए है, गांव में अब साप्ताहिक बाजार भी भरने लगा है।

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पखांजुर एसडीओपी मयंक तिवारी के अनुसार, पुलिस कैंप का मुख्य उद्देश्य ग्रामीणों की सुरक्षा के साथ साथ क्षेत्र का विकास करना है अगर गांव तक पहुंच मार्ग बन जाए तो ग्रामीणों को सड़क के साथ साथ अस्पताल, बिजली, एंबुलेंस, राशन की सुविधा जैसे कई शासन की योजनाओं का लाभ पहुंच में हो जाती है जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार आता है। कैंप भी क्षेत्र के ग्रामीणों के लिए मील का पत्थर साबित होंगे।

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