Chhattisgarh: नक्सलियों की दहशत से छोड़ दिया था घर, दंपत्ति ने प्रशासन से मांगी मदद

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में नक्सलियों (Naxals) का तांडव हालांकि काफी कम हो चुका है, पर सालों से लाल आतंक का दंश झेल रहे इस प्रदेश के लोगों का घाव अभी तक पूरी तरह नहीं भरा है।

Naxal Terror

नक्सली दहशत (Naxal Terror) के बाद खेती की जमीन और मकान छोड़कर ओडिशा जा चुके एक दंपति धमतरी जिला कलेक्ट्रेट मदद के लिए पहुंचा।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में नक्सलियों (Naxals) का तांडव हालांकि काफी कम हो चुका है, पर सालों से लाल आतंक का दंश झेल रहे इस प्रदेश के लोगों का घाव अभी तक पूरी तरह नहीं भरा है। राज्य के कई धुर नक्सल प्रभावित इलाकों (Naxal Area) के लोगों को नक्सलियों के आतंक और खून खराबे की वजह से अपना घर तक छोड़ना पड़ा था।

लेकिन अब वे लोग वापस अपने घरों को लौट रहे हैं और प्रशासन भी पूरी तरह इनकी मदद कर रही है। इसी कड़ी में नक्सली दहशत (Naxal Terror) के बाद खेती की जमीन और मकान छोड़कर ओडिशा जा चुके एक दंपति धमतरी जिला कलेक्ट्रेट पहुंचा। उन्होंने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर नक्सल पीड़ित परिवार में नाम जोड़कर सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने की गुहार लगाई है।

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नगरी ब्लाक के अतिसंवेदनशील नक्सली इलाके (Naxal Area) एकावारी के रहने वाले राधेश्याम सोरी और उनकी पत्नी लक्ष्मी बाई सोरी 4 फरवरी को कलेक्टोरेट पहुंचे। उन्होंने कलेक्टर जेपी मौर्य से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। उन्हेंने बताया कि वे साल 2011-12 में गांव में नक्सलियों की दहशत (Naxal Terror) से परेशान हो गए थे।

एसपीओ और मुखबिरी का काम करने का आरोप लगाकर नक्सलियों द्वारा उन्हें और उनके परिवार को जान से मारने की धमकी गई थी। नक्सलियों के बताए रास्ते पर नहीं चलने पर गांव छोड़ने की धमकी दी जाती थी। साथ ही, नक्सलियों ने यह भी कहा था कि पुलिस को सूचना देने पर परिवार सहित जान से मार दिया जाएगा।

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धमकी मिलने के बाद वह अपने तीन बच्चों और परिवार के साथ गांव की खेती, जमीन और मकान को छोड़कर चले गए। उस समय उनके खेतों में धान फसल तैयार हो गई थी। नक्सलियों से बचने के लिए वह वर्तमान में ओडिशा के उमरकोट जिले के रायगढ़ थाने के लबिरपुरी गांव में मजदूरी कर जीवनयापन कर रहे हैं।

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कोरोना संकट के बाद भविष्य में रोजी-रोटी के लिए कोई साधन नहीं है। ऐसे में परिवार चलाने के लिए कई तरह की परेशानियां आ रही हैं। अब पीड़ित परिवार ने जिला प्रशासन से इस बाबत मदद की गुहार लगाई है। इस संबंध में कलेक्टर जेपी मौर्य ने कहा कि पुलिस प्रशासन द्वारा जांच कराकर सच्चाई होने पर परिवार को सरकारी योजना का लाभ दिया जाएगा।

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